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पांवद्वार के गांववाले पहुंचे कलेक्ट्रेट, चीन युद्ध के समय बने स्कूल में पढ़ने को बेबस हैं बच्चे - Villagers of Paanvdwar

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : 2 hours ago

धमतरी के नगरी इलाके में पांवद्वार है. यहां साल 1965 में शासकीय प्राथमिक विद्यालय बनाया गया था. 1965 में बने पांवद्वार सरकारी स्कूल की हालत अब जर्जर हो चुकी है. बावजूद इसके इसी स्कूल में आज भी बच्चों की क्लास लगाई जाती है.

Villagers of Paanvdwar
1965 में बना था स्कूल (ETV Bharat)

धमतरी: जर्जर स्कूल की शिकायत लेकर मंगलवार को पांवद्वार के ग्रामीण कलेक्टर दफ्तर पहुंचे. गांव वालों का कहना था कि उनके गांव में एकमात्र सरकार विद्यालय है. 1965 में बना ये सरकार स्कूल अब जर्जर हो चुका है. भवन की नींव से लेकर छत तक कमजोर हो चुकी है. स्कूल का मरम्मत तक नहीं किया जा सकता है. गांव वालों का कहना है कि भवन जर्जर हो जाने के बाद भी स्कूल में बच्चों की क्लास लगाई जा रही है. लोगों की ये भी शिकायत है कि जर्जर स्कूल में कभी भी हादसा हो सकता है.

पांवद्वार के ग्रामीणों की मांग: गांव वालों का कहना है कि स्कूल में उनके यहां के करीब 60 बच्चे पढ़ते हैं. लंबे समय से हम स्कूल के नए भवन की मांग अफसरों से कर रहे हैं लेकिन हमारी मांग पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. कलेक्ट्रेट पहुंचे ग्रामीणों की शिकायत जिला शिक्षा अधिकारी ने सुनी है. जिला शिक्षा अधिकारी का कहना है कि उनकी मांगों को हमने सुना है. जल्द ही स्कूल से जुड़ी पूरी जानकारी जुटाई जाएगी. जानकारी मिलने के बाद जो भी उचित कार्रवाई होगी वो की जाएगी.

जर्जर स्कूल में पढ़ते हैं बच्चे (ETV Bharat)

साल 1965 में स्कूल का निर्माण पांवद्वार में हुआ था. इतने सालों बाद स्कूल की हालत जर्जर हो चुकी है. बच्चे यहां पढ़ते हैं. कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. नया भवन बनाने की मांग हम कर रहे हैं.: राकेश कुमार नेताम, ग्रामीण

गांव वाले मिलने के लिए आए थे. स्कूल के बारे में उन लोगों ने बताया है. जिले में 57 ऐसे स्कूल हैं जो जर्जर हैं. बहुत से स्कूलों को डिस्मेंटल करने का काम शुरु हो चुका है.: तेजराम जगदल्ले, डीईओ

1965 में बना था प्राथमिक विद्यालय: गांव वालों का कहना है कि स्कूल का सत्र शुरु हुए करीब चार महीने से ज्यादा का वक्त बीत चुका है. इसके बावजूद स्कूल की जर्जर हालत और शिक्षकों की कमी को लेकर जिला शिक्षा विभाग कोई बड़ा फैसला नहीं ले पा रहा है. ग्रामीणों से मुलाकात के बाद डीईओ ने जरुर ये आश्वासन दिया है उनकी मांगों पर जल्द उचित कार्रवाई की जाएगी.

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पांवद्वार के ग्रामीणों की मांग: गांव वालों का कहना है कि स्कूल में उनके यहां के करीब 60 बच्चे पढ़ते हैं. लंबे समय से हम स्कूल के नए भवन की मांग अफसरों से कर रहे हैं लेकिन हमारी मांग पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. कलेक्ट्रेट पहुंचे ग्रामीणों की शिकायत जिला शिक्षा अधिकारी ने सुनी है. जिला शिक्षा अधिकारी का कहना है कि उनकी मांगों को हमने सुना है. जल्द ही स्कूल से जुड़ी पूरी जानकारी जुटाई जाएगी. जानकारी मिलने के बाद जो भी उचित कार्रवाई होगी वो की जाएगी.

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साल 1965 में स्कूल का निर्माण पांवद्वार में हुआ था. इतने सालों बाद स्कूल की हालत जर्जर हो चुकी है. बच्चे यहां पढ़ते हैं. कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. नया भवन बनाने की मांग हम कर रहे हैं.: राकेश कुमार नेताम, ग्रामीण

गांव वाले मिलने के लिए आए थे. स्कूल के बारे में उन लोगों ने बताया है. जिले में 57 ऐसे स्कूल हैं जो जर्जर हैं. बहुत से स्कूलों को डिस्मेंटल करने का काम शुरु हो चुका है.: तेजराम जगदल्ले, डीईओ

1965 में बना था प्राथमिक विद्यालय: गांव वालों का कहना है कि स्कूल का सत्र शुरु हुए करीब चार महीने से ज्यादा का वक्त बीत चुका है. इसके बावजूद स्कूल की जर्जर हालत और शिक्षकों की कमी को लेकर जिला शिक्षा विभाग कोई बड़ा फैसला नहीं ले पा रहा है. ग्रामीणों से मुलाकात के बाद डीईओ ने जरुर ये आश्वासन दिया है उनकी मांगों पर जल्द उचित कार्रवाई की जाएगी.

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