दुमकाः जिले के शिकारीपाड़ा प्रखंड के कोल प्रभावित क्षेत्र लताकांदर गांव में विकास योजनाओं का निरीक्षण और आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर पोलिंग बूथ की जांच के लिए पहुंचीं प्रशिक्षु महिला आईएएस प्रांजल ढांढा और शिकारीपाड़ा के सीओ कपिलदेव ठाकुर को ग्रामीणों ने बंधक बना लिया. आईएएस के साथ सीओ लगभग तीन घंटे तक बंधक रहे. देखते ही देखते कई गांव के सैकड़ों ग्रामीण वहां इकट्ठा हो गए. ग्रामीण इस बात से नाराज थे कि गांव पहुंचने से पहले प्रशिक्षु आईएएस और सीओ ने ग्राम प्रधान से अनुमति नहीं ली थी.
बांड भरवाकर अधिकारियों को छोड़ा गया
ग्रामीण इस बात को लेकर काफी उग्र हो गए और मौके पर पहुंचे अधिकारियों को बंधक बना लिया. इसके बाद दोनों अधिकारियों से बांड भरवाया गया कि भविष्य में वे कभी भी इस क्षेत्र में बिना ग्राम प्रधान के अनुमति के नहीं आएंगे और ना ही कोयला खदान और कोल रैक प्वाइंट के लिए रास्ता के संबंध में ग्राम प्रधान और ग्रामीणों पर दबाव बनाएंगे.
कोल ब्लॉक और कोल रैक प्वाइंट का ग्रामीण लगातार कर रहे हैं विरोध
हम आपको बता दें कि दुमका जिले के शिकारीपाड़ा प्रखंड में लगभग एक दर्जन कोल ब्लॉक आवंटित हैं. साथ ही यहां के हरिनसिंगा रेलवे स्टेशन पर बीजीआर नामक कंपनी को कोल रैक प्वाइंट आवंटित किया गया है. हालांकि कोल ब्लॉक और कोल रैक प्वाइंट दोनों अभी तक चालू नहीं हुआ है. फिलहाल निर्माण और कागजी कार्रवाई की प्रक्रिया चल रही है. उधर, शिकारीपाड़ा क्षेत्र के कोल प्रभावित एरिया के ग्रामीण पिछले कई महीनों से कोल ब्लॉक और कोल रैक प्वाइंट को लेकर लगातार विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि ना हम कोल ब्लॉक खुलने देंगे और ना ही कोल रैक प्वाइंट चालू होने देंगे. इधर हरिनसिंगा स्टेशन की ओर जाने वाली सड़क को भी ग्रामीणों ने बांस का बैरियर लगाकर बंद कर दिया है.
आंगनबाड़ी केंद्र और स्कूल का निरीक्षण करने पहुंचे थे अधिकारी
जानकारी के अनुसार मंगलवार को दुमका की प्रशिक्षु आईएएस सह एसडीएम प्रांजल ढांढा और शिकारीपाड़ा सीओ कपिलदेव ठाकुर कोल प्रभावित लताकांदर भिलाईटांड़ गांव में स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र का निरीक्षण करने पहुंचे थे. साथ ही पोलिंग बूथ की भी जांच कर रहे थे. ग्रामीणों को जब इस बात की जानकारी हुई तो उन्होंने प्रशिक्षु महिला आईएएस और सीओ को गांव में यह कहते हुए बैठा लिया कि आप बिना ग्राम प्रधान की अनुमति के क्यों आए हैं.
ग्रामीणों को थी आशंका, कोल ब्लॉक के पक्ष में बात करने पहुंचे हैं अधिकारी
ग्रामीणों को इस बात कि शंका थी कि दोनों अधिकारी कोल ब्लॉक कंपनी के पक्ष में बात करने के लिए पहुंचे हैं. इसके बाद देखते ही देखते कई गांव के सैकड़ों ग्रामीण वहां इकट्ठा हो गए और अधिकारियों को बंधक बना लिया. उधर, जैसे ही यह जानकारी पुलिस प्रशासन को हुई दुमका एसडीपीओ विजय कुमार महतो, शिकारीपाड़ा के प्रभारी थाना इंचार्ज गणेश पासवान भारी संख्या में पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे. उन्होंने ग्रामीणों को समझाने का प्रयास किया. बताया गया कि इन लोगों के आने का मकसद कुछ और है, पर ग्रामीण नहीं माने. ग्रामीणों ने सबों को लगभग तीन घंटे तक बंधक बनाए रखा. अंत में एक बांड पर अधिकारियों के हस्ताक्षर लिए.
जानिए बांड पेपर में क्या लिखा था
बांड में लिखा था कि आगे से कोई भी पुलिस और प्रशासन के पदाधिकारी सरकारी काम के अलावा अगर किसी अन्य काम के लिए गांव आएंगे तो पहले संबंधित गांव के ग्राम प्रधान और मुखिया को इसकी सूचना देंगे. इसके अलावा कोयला खदान और रैक रास्ता के संबंध में पुलिस और प्रशासन द्वारा किसी भी प्रकार की कोई बातचीत नहीं की जाएगी. साथ ही ग्राम प्रधान और ग्रामीणों पर कोई दवाब भी नहीं बनाया जाएगा. क्षेत्र में अगर ग्रामीण द्वारा विरोध का प्रतीक चुड़का लगाया जाता है तो पदाधिकारी जनता के साथ बैठकर उसका समाधान करेंगे. गांव के ग्रामीण और ग्राम प्रधानों के साथ ग्राम सभा के निर्णय को ही माना जाएगा. इस तरह का अगर कोई मामला होता है तो अनावश्यक रूप से किसी को परेशान नहीं किया जाएगा. बांड लिखने के बाद ग्रामीणों ने अधिकारियों को छोड़ा.
हमलोगों के साथ किसी तरह का नहीं हुआ दुर्व्यवहारःसीओ
इस पूरे मामले पर शिकारीपाड़ा के सीओ कपिल देव ठाकुर ने बताया कि हम लोग स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्रों का निरीक्षण करने गए थे. साथ ही पोलिंग बूथ का भी निरीक्षण था. इसके अतिरिक्त वृद्धापेंशन शिविर का भी जायजा लेने था. हमलोग जब लताकांदर गांव की ओर गए तो ग्रामीणों को गलतफहमी हो गई कि हमलोगकोल ब्लॉक कंपनी के तरफ से बात करने पहुंचे हैं. जिसके बाद ग्रामीणों ने हमें रोक लिया. हालांकि उन्होंने किसी तरह का हम लोगों से दुर्व्यवहार नहीं किया. अंततः ग्रामीण से बात कर हमलोग वहां से वापस आए. बांड लिखे जाने के संबंध में उन्होंने बताया कि ग्रामीण जिद पर अड़े थे, इसलिए लिखना पड़ा.
सोमवार को सर्वे टीम का भी किया था विरोध
सोमवार को कोल ब्लॉक एरिया में गई सर्वे टीम को भी ग्रामीणों के विरोध का सामना करना पड़ा था और उन्हें कई घंटे तक रोक रखा गया था. सर्वे का काम भी नहीं करने दिया गया. अंत में उनसे भी यह लिखित रूप से लिया गया कि भविष्य में वे कभी भी बिना ग्राम प्रधान की अनुमति के इस क्षेत्र में प्रवेश नहीं करेंगे.
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