उदयपुर: 'महिला आयोग आपके द्वार' अभियान के तहत सोमवार को उदयपुर में महिला आयोग की ओर से संभाग स्तरीय जनसुनवाई रखी गई. इसमें राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष विजया के. रहाटकर ने महिलाओं की परिवेदनाएं सुनी और हाथों-हाथ मौजूद अधिकारियों को त्वरित राहत देने के लिए निर्देशित किया. इस दौरान लोकसभा सांसद डॉ मन्नालाल रावत, महिला आयोग के संयुक्त सचिव अशोली चलाई, जिला कलेक्टर अरविन्द पोसवाल, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव एडीजे कुलदीप शर्मा, पुलिस अधीक्षक योगेश गोयल, राजसमंद एसपी सुधीर जोशी आदि भी उपस्थित रहे.
महिला आयोग पहुंचा है आपके द्वार: जिला परिषद सभागार में आयोजित जनसुनवाई के अवसर पर राष्ट्रीय अध्यक्ष रहाटकर ने महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा कि दूरस्थ क्षेत्र की महिलाएं अपनी समस्याएं लेकर दिल्ली तक नहीं पहुंच पाती हैं. इसलिए आयोग ने उन तक पहुंचकर उनकी परिवेदनाओं को समझ कर राहत देने के लिए विशेष अभियान चलाया है. उन्होंने कहा कि आयोग महिलाओं के मायके जैसा है. महिलाएं जिस तरह से अपने मायके में जाकर अपनी पीड़ा खुलकर बता सकती हैं, ऐसे ही आयोग में भी अपनी बात बेझिझक रखें, ताकि उसके समाधान की दिशा में सार्थक प्रयास किए जा सकें.
परिवेदनाएं सुनी, बंधाया ढाढ़स, दिए निर्देश: रहाटकर ने जनसुनवाई के दौरान आयोग में पूर्व से पंजीकृत संभाग के विभिन्न जिलों के तकरीबन 50 प्रकरणों के साथ ही सोमवार को जनसुनवाई में पूर्व में रजिस्टर्ड 45 प्रकरणों तथा नवीन दर्ज 50 प्रकरणों की सुनवाई की. लगभग साढ़े तीन घंटों तक चली इस सुनवाई में रहाटकर ने एक-एक प्रकरण में महिलाओं की पीड़ा को तसल्ली से सुना. अधिकांश प्रकरण पति-पत्नी अथवा पारिवारिक विवादों से जुड़े हुए रहे.
आयोग अध्यक्ष ने प्रकरण से जुड़ी पत्रावलियों का अवलोकन किया तथा संबंधित जांच अधिकारी से प्रगति रिपोर्ट जानी. उन्होंने संबंधित अधिकारियों को त्वरित राहत प्रदान करने के लिए भी निर्देशित किया. जनसुनवाई के दौरान कई महिलाएं अपनी पीड़ा बताते-बताते भावुक हुई तो रहाटकर ने उन्हें ढाढ़स बंधाया और आश्वस्त किया कि महिला आयोग पूरी संवेदनशीलता के साथ उनकी परिवेदनाओं का समाधान करेगा.
महिला परामर्श केंद्रों पर हो समझाइश: जनसुनवाई के दौरान महिला आयोग की राष्ट्रीय अध्यक्ष ने महिला परामर्श केंद्रों के संबंध में जानकारी ली. उन्होंने कहा कि आयोग के समक्ष अधिकांश पारिवारिक विवादों के प्रकरण आते हैं. ऐसे में बेहतर यही है कि महिला परामर्श केंद्र अथवा विधिक सेवा प्राधिकरण के निःशुल्क विधिक सहायता सेल में इन प्रकरणों की काउंसलिंग की जाए, ताकि पुलिस पर भी ऐसे प्रकरणों का दबाव नहीं रहे. विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव एडीजे शर्मा ने वृत्त स्तर पर निःशुल्क विधिक परामर्श सेवा उपलब्ध होने की जानकारी दी.