भोपाल. छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ में शनिवार-रविवार की मध्यरात्रि जैन मुनि आचार्य विद्यासागर महाराज (Acharya shri Vidyasagar maharaj) ने अपना शरीर त्याग दिया. जैन मुनि आचार्य पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे. उन्होंने तीन दिन पहले उपवास धारण किया था. इससे पहले उन्होंने अन्य जैन मुनियों की मौजूदगी में संघ संबंधी सभी कार्यों से निवृत्ति ले ली और उसी दिन आचार्य का पद भी त्याग दिया था.
बुंदेलखंड से था गहरा नाता
आचार्यश्री का जन्म कर्नाटक के सदलगा गांव में 10 अक्टूबर 1946 को शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था. भले ही वे कर्नाटक में जन्मे और राजस्थान में दीक्षा ली हो पर मध्यप्रदेश और खासतौर पर बुंदेलखंड (Bundelkhand) से उनका खासा लगाव रहा.1975 के आसपास विद्यासागर महाराज बुंदेलखंड आए थे.
बुंदेलखंड के जैन समाज से थे प्रभावित
1975 में मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड में समय व्यतीत करते हुए विद्यासागर महाराज बुंदेलखंड के जैन समाज (Jain samaj) की भक्ति और समर्पण से खासा प्रभावित हुए थे. वे इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपना अधिकांश समय बुंदेलखंड में ही व्यतीत किया. आचार्यश्री ने लगभग 350 दीक्षाएं दीं और उनके शिष्य पूरे देश में विहारकर जैनधर्म की प्रभावना कर रहे हैं.
मध्यप्रदेश में गुजरा अधिकतर समय
राष्ट्र संत आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के समाधिपूर्वक निधन पर शोक व्यक्त करते हुए पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने लिखा, 'ये समाचार सम्पूर्ण जगत को स्तब्ध और निशब्द करने वाला है. मेरे जीवन में आचार्य श्री का गहरा प्रभाव रहा, उनके जीवन का अधिकतर समय मध्यप्रदेश की भूमि में गुजरा और उनका मुझे भरपूर आशीर्वाद मिला. आचार्य श्री के सामने आते ही हृदय प्रेरणा से भर उठता था. उनका आशीर्वाद असीम शांति और अनंत ऊर्जा प्रदान करता था. उनका जीवन त्याग और प्रेम का उदाहरण है. आचार्य श्री जीते जागते परमात्मा थे. उनका भौतिक शरीर हमारे बीच न हो लेकिन गुरु के रूप में उनकी दिव्य उपस्थिति सदैव आस पास रहेगी. आचार्य श्री शीघ्र ही परमपद सिद्धत्व को प्राप्त हों. गुरुवर के चरणों मे शत-शत नमन, नमोस्तु भगवन!'
सीएम मोहन यादव ने जताया शोक
मध्यरात्रि 2 बजकर 30 मिनट पर जैन मुनि आचार्य विद्यासागर महाराज ने अपना शरीर त्याग दिया. विद्यासागर महाराज के समाधि लेने पर एमपी के सीएम मोहन यादव ने भी शोक प्रकट किया. उन्होंने लिखा, 'विश्ववंदनीय संत आचार्य गुरुवर श्री 108 विद्यासागर जी महाराज का समाधिस्थ होना सम्पूर्ण जगत के लिए अपूरणीय क्षति है. परमपूज्य गुरुवर की शिक्षाएं सर्वदा मानवता के कल्याण और जीवों की सेवा के लिए प्रेरित करती रहेंगी.
ये भारत और विश्व के लिए अपूरणीय क्षति : कमलनाथ
विद्यासागर महाराज के समाधिपूर्वक निधन पर शोक व्यक्त करते हुए पूर्व सीएम कमलनाथ ने लिखा, 'पूज्य संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के संल्लेखना पूर्वक समाधि लेने की खबर न सिर्फ जैन समाज के लिए बल्कि समूचे भारत और विश्व के लिए अपूरणीय क्षति है. ब्रह्मलीन आचार्य श्री विद्याधर जी महाराज ज्ञान, त्याग, तपस्या और तपोबल का सागर रहे हैं. भारत भूमि ऐसे अलौकिक संत के दर्शन, प्रेरणा, आशीष, स्पर्श और करूणा से धन्य हुई है. मैं आचार्य श्री विद्यासागर जी को भावपूर्ण प्रणाम करता हूं, शत् शत् नमन करता हूं.
आधे दिन का राजकीय शोक घोषित
आचार्यश्री विद्यासागर महाराज के समाधिपूर्ण निधन पर सरकार ने आधे दिन का राजकीय शोक घोषित कर दिया गया है. इस दौरान राष्ट्रीय आधा झुका हुआ रहेगा और राजकीय समारोह व कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जा सकेंगे. आचार्य श्री विद्यासागर महाराज का अंतिम संस्कार आज यानी 18 फरवरी को दोपहर 1 बजे किया जाएगा.