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UAE की संस्था ने घरों में हैंडपंप लगा उर्दू में लगाए शिलालेख, आखिर मंशा क्या है? - VIDISHA UAE CHARITABLE NGO

यूएई की संस्था से आर्थिक सहयोग लेकर एक स्थानीय संस्था ने गरीबों के घरों में हैंडपंप लगवाए. इसके बाद दीवार पर उर्दू में शिलालेख लगाए.

vidisha UAE charitable NGO
यूएई की संस्था ने घरों में लगवाए हैंडपंप, उर्दू में शिलालेख (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 17 hours ago

विदिशा : गंजबासौदा तहसील के बावली गांव में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के शहर शारजाह की संस्था के नाम से घरों में हैंडपंप लगवाए गए. शारजाह की ये संस्था स्थानीय एक संस्था को अनुदान देती है. प्रशासन की अनुमति के बगैर लोगों के घरों में हैंडपंप लगवाकर उर्दू में शिलालेख लगवाए गए. इसकी जानकारी मिलते ही जिला प्रशासन की टीम ने मौके का जायजा लिया. टीम ने पाया कि गांव के कई घरों पर हैंडपंप लगाने के बाद इस प्रकार के शिलालेख लगाए गए हैं. जिस कंपनी के ये शिलालेख हैं, उसका नाम अंग्रेजी में यूएई और शारजाह चेरिटेबल इंटरनेशनल लिखा है. खास बात ये है कि इसके लिए प्रशासन से किसी प्रकार की अनुमति नहीं ली गई है. प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी है.

न तो पीएचई से और न स्थानीय निकाय से अनुमति ली

इस मामले में गंज बासौदा एसडीम विजय राय का कहना है "ग्राम बावली में निजी घरों में ये संस्था नल लगवा रही है. लगभग 22 घरों पर ये नल लगे हुए हैं और शिलालेख भी लगाए गए हैं. इस बारे में पीएचई विभाग या स्थानीय निकाय पंचायत द्वारा अनुमति नहीं ली गई. इस संबंध में सचिव और पटवारी को नोटिस जारी किया गया है. नोटिस में कहा गया है कि बीते दो माह से इस प्रकार का काम कैसे चल रहा था. मौके पर दो लोग काम करते मिले हैं. इनके नाम अंसार और इम्ताज खां हैं."

गंज बासौदा एसडीम विजय राय (ETV BHARAT)

हैंडपंप लगाने का खर्चा यूएई की संस्था देती है

इन दोनों ने बताया कि वे लोग दिहाड़ी पर काम करते हैं. ग्राम मुरवास का कदिक खान और बेगमगंज का अब्दुल रज्जाक ने उन्हें मजदूरी पर रखा है. बताया जाता है कि हैंडपंप लगाने का अनुमानित खर्च ₹12 हजार है. ये सारा खर्च पट्टी पर लिखी चैरिटेबल संस्था करती है. बेगमगंज निवासी अब्दुल रजाक को एसडीओपी ने ऑफिस में पूछताछ के लिए बुलाया है.

vidisha UAE charitable NGO
उर्दू में शिलालेख लगाए (ETV BHARAT)
vidisha UAE charitable NGO
हैंडपंप लगाने के बाद लगाया शिलालेख (ETV BHARAT)

यूएई की संस्था से अनुदान लेकर घरों में लगाए हैंडपंप

एसडीओपी मनोज मिश्रा और एसडीएम विजय राय ने पुलिस टीम के साथ बावली गांव का दौरा किया. एसडीओपी मनोज मिश्रा ने बताया "हैंडपंप लगाने वाली संस्था का नाम कश्मीर एजुकेशनल एंड चैरिटेबल सोसाइटी ऑफ़ इंडिया है. ये संस्था मध्य प्रदेश में पंजीकृत है. इसके दस्तावेज हमने चेक किए हैं. यह संस्था 2003 से रजिस्टर्ड है. ये संस्था गरीब लोगों के घरों में हैंडपंप लगाती है और शौचालय बनाती है. संस्था में 7 मेंबर्स हैं." बताया जाता है कि इस संस्था के लोग यूएई के शारजाह की संस्था से जुड़े हैं और वहीं से अनुदान मिलता है.

vidisha UAE charitable NGO
उर्दू में शिलालेख लगाए, गांव में पुलिस व प्रशासन की टीम (ETV BHARAT)
vidisha UAE charitable NGO
गंजबासौदा के बावली में हैंडपंप के पास लगा शिलालेख (ETV BHARAT)

हैंडपंप और उर्दू के शिलालेख लगाकर खींची फोटो

वहीं, बावली गांव के कमल सिंह ने बताया "कुछ समय से गांव में कई लोगो के घर हैंडपंप लग रहे हैं. इसका भुगतान काजी साहब कर रहे थे. मेरे घर में भी हैंडपंप लगाया गया. इसके बाद दीवार पर उर्दू में लिखी एक शिलालेख लगाई गई. इस दौरान फोटो खींचे गए और वीडियो बनाए गए. काजी साहब ने नल चलाते हुए, पानी भरते हुए कई वीडियो बनवाए." ग्रामीणों का कहना है कि हैंडपंप कौन लगवा रहा है, इसकी जानकारी उन्हें नहीं है.

विदिशा : गंजबासौदा तहसील के बावली गांव में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के शहर शारजाह की संस्था के नाम से घरों में हैंडपंप लगवाए गए. शारजाह की ये संस्था स्थानीय एक संस्था को अनुदान देती है. प्रशासन की अनुमति के बगैर लोगों के घरों में हैंडपंप लगवाकर उर्दू में शिलालेख लगवाए गए. इसकी जानकारी मिलते ही जिला प्रशासन की टीम ने मौके का जायजा लिया. टीम ने पाया कि गांव के कई घरों पर हैंडपंप लगाने के बाद इस प्रकार के शिलालेख लगाए गए हैं. जिस कंपनी के ये शिलालेख हैं, उसका नाम अंग्रेजी में यूएई और शारजाह चेरिटेबल इंटरनेशनल लिखा है. खास बात ये है कि इसके लिए प्रशासन से किसी प्रकार की अनुमति नहीं ली गई है. प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी है.

न तो पीएचई से और न स्थानीय निकाय से अनुमति ली

इस मामले में गंज बासौदा एसडीम विजय राय का कहना है "ग्राम बावली में निजी घरों में ये संस्था नल लगवा रही है. लगभग 22 घरों पर ये नल लगे हुए हैं और शिलालेख भी लगाए गए हैं. इस बारे में पीएचई विभाग या स्थानीय निकाय पंचायत द्वारा अनुमति नहीं ली गई. इस संबंध में सचिव और पटवारी को नोटिस जारी किया गया है. नोटिस में कहा गया है कि बीते दो माह से इस प्रकार का काम कैसे चल रहा था. मौके पर दो लोग काम करते मिले हैं. इनके नाम अंसार और इम्ताज खां हैं."

गंज बासौदा एसडीम विजय राय (ETV BHARAT)

हैंडपंप लगाने का खर्चा यूएई की संस्था देती है

इन दोनों ने बताया कि वे लोग दिहाड़ी पर काम करते हैं. ग्राम मुरवास का कदिक खान और बेगमगंज का अब्दुल रज्जाक ने उन्हें मजदूरी पर रखा है. बताया जाता है कि हैंडपंप लगाने का अनुमानित खर्च ₹12 हजार है. ये सारा खर्च पट्टी पर लिखी चैरिटेबल संस्था करती है. बेगमगंज निवासी अब्दुल रजाक को एसडीओपी ने ऑफिस में पूछताछ के लिए बुलाया है.

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उर्दू में शिलालेख लगाए (ETV BHARAT)
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हैंडपंप लगाने के बाद लगाया शिलालेख (ETV BHARAT)

यूएई की संस्था से अनुदान लेकर घरों में लगाए हैंडपंप

एसडीओपी मनोज मिश्रा और एसडीएम विजय राय ने पुलिस टीम के साथ बावली गांव का दौरा किया. एसडीओपी मनोज मिश्रा ने बताया "हैंडपंप लगाने वाली संस्था का नाम कश्मीर एजुकेशनल एंड चैरिटेबल सोसाइटी ऑफ़ इंडिया है. ये संस्था मध्य प्रदेश में पंजीकृत है. इसके दस्तावेज हमने चेक किए हैं. यह संस्था 2003 से रजिस्टर्ड है. ये संस्था गरीब लोगों के घरों में हैंडपंप लगाती है और शौचालय बनाती है. संस्था में 7 मेंबर्स हैं." बताया जाता है कि इस संस्था के लोग यूएई के शारजाह की संस्था से जुड़े हैं और वहीं से अनुदान मिलता है.

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उर्दू में शिलालेख लगाए, गांव में पुलिस व प्रशासन की टीम (ETV BHARAT)
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गंजबासौदा के बावली में हैंडपंप के पास लगा शिलालेख (ETV BHARAT)

हैंडपंप और उर्दू के शिलालेख लगाकर खींची फोटो

वहीं, बावली गांव के कमल सिंह ने बताया "कुछ समय से गांव में कई लोगो के घर हैंडपंप लग रहे हैं. इसका भुगतान काजी साहब कर रहे थे. मेरे घर में भी हैंडपंप लगाया गया. इसके बाद दीवार पर उर्दू में लिखी एक शिलालेख लगाई गई. इस दौरान फोटो खींचे गए और वीडियो बनाए गए. काजी साहब ने नल चलाते हुए, पानी भरते हुए कई वीडियो बनवाए." ग्रामीणों का कहना है कि हैंडपंप कौन लगवा रहा है, इसकी जानकारी उन्हें नहीं है.

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