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चमत्कारी है विदिशा का महामाई मंदिर, यहां के पानी से ठीक होती है जानलेवा बीमारी - VIDISHA MATA MAHAMAI MANDIR - VIDISHA MATA MAHAMAI MANDIR

विदिशा का महामाई माता मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है. 1900 में फैली महामारी के बाद मंदिर का नाम महामाई मंदिर पड़ा.

VIDISHA MATA MAHAMAI MANDIR
विदिशा महामाई माता मंदिर (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 6, 2024, 10:18 PM IST

Updated : Oct 6, 2024, 10:53 PM IST

विदिशा: देवी दुर्गा ने आश्विन के महीने में महिषासुर पर आक्रमण कर उससे नौ दिनों तक युद्ध किया और दसवें दिन उसका वध किया. इसलिए इन नौ दिनों को शक्ति की आराधना के लिए समर्पित कर दिया गया. आश्विन महीने में शरद ऋतु के दिनों में शारदीय नवरात्र का पर्व मनाया जाता है. नवरात्रि के नौ दिनों में जहां भारतवर्ष में पूरे श्रद्धा भाव के साथ इस पर्व पर भक्ति, आराधना की जा रही है. वहीं आज हम आपको दर्शन कराते हैं विदिशा में स्थित महामाई माता मंदिर के.

बावड़ी का पानी पीने से दूर होता है चर्म रोग
विदिशा शहर के मोहनगिरी स्थित महामाई मंदिर और आषाढी माता के नाम से यह मंदिर जाना जाता है. शहर का यह आषाढी माता महामाई का प्राचीन मंदिर है. इस मंदिर का इतिहास यह है कि जहां आज मंदिर है वहां चारों तरफ तालाब हुआ करता था और अब आबादी बढ़ने के बाद वह तालाब खत्म हो चुका है. आज भी यहां एक बावड़ी है, जिसका पानी पीने और नहाने से चर्म रोग भी दूर होते हैं.

विदिशा का महामाई माता मंदिर (ETV Bharat)

मंदिर आकर भोजन बनाने की परंपरा
नवरात्रि के दिनों में भी यहां शहर भर के लोग देवी मां के दर्शन के लिए बड़ी श्रद्धा भाव से आते हैं. खास तौर पर यहां नवरात्रि के विशेष दिनों में श्रद्धालुओं का तांता रहता है. बरसों से एक परंपरा चली आ रही है यहां श्रद्धालु के आकर भोजन बनाने की और यहीं पर देवी मां को भोग लगाते हैं. इसके बाद ही पूरा परिवार भोजन प्रसादी ग्रहण करता है. यह परंपरा आज भी जीवित है. मंदिर में महामाई मां जगदंबा भवानी के रूप में शेर पर सवार हैं, उनके साथ वीर महाराज और राधा कृष्ण हैं. मान्यता है कि जिन लोगों को खांसी या बुखार आता है वह यहां आकर देवी मां से प्रार्थना करें तो वह ठीक हो जाता है.

VIDISHA MATA MAHAMAI MANDIR
महामारी के बाद पड़ा महामाई माता मंदिर (ETV Bharat)

महामारी से पड़ा महामाई मंदिर का नाम
एडवोकेट गोविंद देवलिया इतिहासकार बताते हैं कि, ''इस मंदिर का नाम महामाई मंदिर उस समय से पड़ा जब 1900 के लगभग देश में महामारी फैली. महामारी फैलने से हाहाकार मच गया और यहां दुर्गा मां की एक छोटी सी प्रतिमा के समक्ष आकर श्रद्धालु मन्नत मांगते थे. देवी की कृपा से सब ठीक हो जाते थे. तभी से महामाई के नाम से आज तक इस मंदिर का नाम महामाई माता के नाम से पड़ गया.''

MAHAMAI mandir renamed pandemic
महामाई माता मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र है (ETV Bharat)

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50 साल से मैहर वाली मां शारदा का एक शख्स कर रहा पूजा, अखंड़ ज्योति से उठा पर्दा

सती की दाईं कोहनी से पूरी होगी मनोकामना, उज्जैन में मां हरसिद्धि शक्तिपीठ में गजब शक्ति

1973 में लोगों ने चंदा इकठ्ठा कर बनवाया मंदिर
श्रद्धालु राजकुमार प्रजापति ने बताया कि, ''मंदिर तो प्राचीन है, वर्ष 1973 में लोगों ने अपनी श्रद्धा से राशि एकत्रित कर इस मंदिर को एक चबूतरे के रूप में बनाया था, जो आज विशालकाय हो चुका है.'' संजू प्रजापति बताते हैं कि, ''वह इस मंदिर का प्रत्यक्ष प्रमाण हैं, भक्त जगत जननी से भी मुराद मांगते हैं. मां उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं.''

विदिशा: देवी दुर्गा ने आश्विन के महीने में महिषासुर पर आक्रमण कर उससे नौ दिनों तक युद्ध किया और दसवें दिन उसका वध किया. इसलिए इन नौ दिनों को शक्ति की आराधना के लिए समर्पित कर दिया गया. आश्विन महीने में शरद ऋतु के दिनों में शारदीय नवरात्र का पर्व मनाया जाता है. नवरात्रि के नौ दिनों में जहां भारतवर्ष में पूरे श्रद्धा भाव के साथ इस पर्व पर भक्ति, आराधना की जा रही है. वहीं आज हम आपको दर्शन कराते हैं विदिशा में स्थित महामाई माता मंदिर के.

बावड़ी का पानी पीने से दूर होता है चर्म रोग
विदिशा शहर के मोहनगिरी स्थित महामाई मंदिर और आषाढी माता के नाम से यह मंदिर जाना जाता है. शहर का यह आषाढी माता महामाई का प्राचीन मंदिर है. इस मंदिर का इतिहास यह है कि जहां आज मंदिर है वहां चारों तरफ तालाब हुआ करता था और अब आबादी बढ़ने के बाद वह तालाब खत्म हो चुका है. आज भी यहां एक बावड़ी है, जिसका पानी पीने और नहाने से चर्म रोग भी दूर होते हैं.

विदिशा का महामाई माता मंदिर (ETV Bharat)

मंदिर आकर भोजन बनाने की परंपरा
नवरात्रि के दिनों में भी यहां शहर भर के लोग देवी मां के दर्शन के लिए बड़ी श्रद्धा भाव से आते हैं. खास तौर पर यहां नवरात्रि के विशेष दिनों में श्रद्धालुओं का तांता रहता है. बरसों से एक परंपरा चली आ रही है यहां श्रद्धालु के आकर भोजन बनाने की और यहीं पर देवी मां को भोग लगाते हैं. इसके बाद ही पूरा परिवार भोजन प्रसादी ग्रहण करता है. यह परंपरा आज भी जीवित है. मंदिर में महामाई मां जगदंबा भवानी के रूप में शेर पर सवार हैं, उनके साथ वीर महाराज और राधा कृष्ण हैं. मान्यता है कि जिन लोगों को खांसी या बुखार आता है वह यहां आकर देवी मां से प्रार्थना करें तो वह ठीक हो जाता है.

VIDISHA MATA MAHAMAI MANDIR
महामारी के बाद पड़ा महामाई माता मंदिर (ETV Bharat)

महामारी से पड़ा महामाई मंदिर का नाम
एडवोकेट गोविंद देवलिया इतिहासकार बताते हैं कि, ''इस मंदिर का नाम महामाई मंदिर उस समय से पड़ा जब 1900 के लगभग देश में महामारी फैली. महामारी फैलने से हाहाकार मच गया और यहां दुर्गा मां की एक छोटी सी प्रतिमा के समक्ष आकर श्रद्धालु मन्नत मांगते थे. देवी की कृपा से सब ठीक हो जाते थे. तभी से महामाई के नाम से आज तक इस मंदिर का नाम महामाई माता के नाम से पड़ गया.''

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महामाई माता मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र है (ETV Bharat)

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1973 में लोगों ने चंदा इकठ्ठा कर बनवाया मंदिर
श्रद्धालु राजकुमार प्रजापति ने बताया कि, ''मंदिर तो प्राचीन है, वर्ष 1973 में लोगों ने अपनी श्रद्धा से राशि एकत्रित कर इस मंदिर को एक चबूतरे के रूप में बनाया था, जो आज विशालकाय हो चुका है.'' संजू प्रजापति बताते हैं कि, ''वह इस मंदिर का प्रत्यक्ष प्रमाण हैं, भक्त जगत जननी से भी मुराद मांगते हैं. मां उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं.''

Last Updated : Oct 6, 2024, 10:53 PM IST
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