विदिशा। विदिशा में स्थानीय कलाकारों के साथ ही बाहर से आए कलाकारों द्वारा मूर्तियों का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है. मूर्तिकार पप्पू का कहना है "शासन की गाइडलाइन के अनुसार 8 से 10 फीट की ही मूर्तियां बनाई हैं. मूर्तियां बनाने के लिए विशेष रूप से कोलकाता से ही मिट्टी मंगाई जाती है. इस बार मिट्टी डेढ़ गुना महंगी हुई है. वहीं भाड़ा भी बढ़ गया है. मूर्तियों में इस्तेमाल होने वाली अन्य सामग्री बांस और कपड़े आदि भी महंगे हुए हैं, जिसका सीधा असर मूर्ति के कुल कीमत पर भी पड़ रहा है."
मूर्तिकारों ने दिया मिट्टी की प्रतिमाएं बनाने पर जोर
अधिकांश मूर्तिकार पर्यावरण बचाने के पक्ष में हैं. इस बार खास बात ये है कि मासूम बच्चे भी गणेश प्रतिमाएं बना रहे हैं. जगह-जगह पंडाल सजाने की तैयारियां शुरू हो गई हैं. 7 सितंबर को श्री गणेश विभिन्न भव्य स्वरूप में विराजेंगे. एक अंग्रेजी स्कूल की संचालक देवना अरोरा ने 2015 में बच्चों को अपने ही हाथों से मिट्टी के गणेश की प्रतिमाएं बनाने के लिए संकल्प दिलाया था. बच्चों के संकल्प के साथ ही खुद संचालक ने भी संकल्प लिया कि इस काम को वह अपने स्कूल परिसर से ही आगे बढ़ाएंगे. तब से स्कूल परिसर में बच्चों को मिट्टी के गणेश प्रतिमाएं बनाने के लिए कार्यशाला आयोजित की जा रही है.
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स्कूल में कार्यशाला आयोजित कर प्रशिक्षण
स्कूल परिसर में मिट्टी के गणेश प्रतिमाओं को सृजित करने के लिए आर्ट एंड क्राफ्ट शिक्षकों के माध्यम से कार्यशाला लगाई जाती है. बच्चे अपने हाथों से मिट्टी के गणेश बनाते हैं. छात्र-छात्राएं अपने घरों में मिट्टी से बनी गणपति स्थापित करेंगे. इसके लिए विद्यालय में गणपति महोत्सव के पहले मिट्टी के गणपति बनाने की कार्यशाला आयोजित की जा रही है. इस वर्ष भी कक्षा 2 से 10 वीं तक के छात्रों द्वारा मिट्टी के हो गणेश बनाए जा रहे हैं.