विदिशा: शहर में स्थित गल्ला मंडी में डॉक्टर गणेश विराजित हैं. बड़ी संख्या में मरीज यहां इलाज कराने पहुंचते हैं. भक्तों का ऐसा मानना है कि यहां आकर पूजा पाठ करने और मंदिर से मिलने वाले धागा को बांधने से कई बीमारियों का इलाज हो जाता है. इस प्रसिद्ध मंदिर में सैकड़ों किलोमीटर दूर से मरीज धागा बंधवाने के लिए आते हैं. गणेश चतुर्थी से लेकर गणेश विसर्जन तक यहां बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं.
गल्लामंडी वाले डॉक्टर गणेश भगवान
गल्ला मंडी स्थित गणेश मंदिर का नाम अब डॉक्टर गणेश के रूप में जाना जाने लगा है. ऐसा इसलिए क्योंकि विगत कई साल से आस-पड़ोस एवं दूर दराज के लोग टाइफाइड, मलेरिया और पीलिया जैसी गंभीर बीमारियों का इलाज कराने इस मंदिर में गणपति बप्पा के पास आते हैं. यहां बेल बंधवा कर 4 से 5 दिन में ही ठीक हो जाते हैं. डॉ गणेश के प्रति भक्तों की आस्था देखते ही बनती है. पूर्व मुखी एवं पश्चिम मुखी भगवान श्री गणेश की यह प्रतिमा स्वयंभू बताई जाती है. कई वर्षों पहले इस भूमि से प्रकट हुए भगवान गणेश का यह काफी प्राचीन और प्रसिद्ध डॉ गणेश मंदिर के रूप में जाना जाने लगा है. गणेश चतुर्थी पर इस मंदिर में सैकड़ों की संख्या में लोगों की भीड़ दर्शन के लिए उमड़ती है.
'मरीजों पर बरसती है बप्पा की कृपा'
मंदिर के पुजारी हरिशंकर व्यास का कहना है कि "गल्ला मंडी के इस मंदिर में मैं झाड़ता हूं और धागा देता हूं. गणेश जी के आशीर्वाद और कृपा से लोगों को आराम मिलता है. यदि किसी बच्चे को नजर लग जाए या मोतीझिरा हो जाए तो गणेश जी रक्षा करते हैं. इस मंदिर में बहुत दुखी लोग आते हैं और गणेश जी की कृपा से जिनको दवाई नहीं लगती उनको दवाई लगने लगती है. यहां गणेश जी के नाम से ही सब काम चलता है. इस मंदिर का पुराना नाम वैद्य वाले गणेशजी था. मंडी बन जाने से गल्ला मंडी गणेश के नाम से भी यह जाना जाने लगा. गणेशजी की कृपा से भक्तों की हर मनोकामना यहां पूरी होती है. गणेशजी की यह स्वयंभू प्रतिमा है. इस मंदिर में डॉक्टर भी बेल बंधवाने की सलाह देते हैं और कहते हैं गणेश जी की कृपा होगी."
भक्तों को है बप्पा पर डॉक्टर जैसा भरोसा
गणपति भक्त सोनम जैन का कहना है कि "बेटी का सात-आठ दिन से बुखार ठीक नहीं हो रहा था तो इस मंदिर में झड़वाने के लिए आए थे. यहां पर बेल बांधते हैं, सात बार घुमाकर बांधने से उससे सही हो जाते हैं. बच्चों को नजर लगती है या टाइफाइड, बुखार जो भी हो आराम लगता है. कुछ डॉक्टर भी इस मंदिर में आने की सलाह देते पर हमें पहले से ही पता है हम लोग खुद ही यहां आते हैं. डॉक्टर को भी दिखाते हैं लेकिन यहां आकर आराम लग जाता है बच्चे को."