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कहां गुम हो गई बेतवा: रेगिस्तान की तरह सूख गई जीवनदायिनी नदी, दुर्दशा के पीछे किसका हाथ! - Betwa river in bad condition - BETWA RIVER IN BAD CONDITION

मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह क्षेत्र विदिशा जिले की जीवनरेखा कही जाने वाली बेतवा नदी अपने 5000 वर्ष के स्वर्णिम इतिहास में सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. अब बेतवा के अस्तित्व पर संकट नजर आ रहा है और अब यह सिर्फ एक बरसाती नदी बनकर रह गई है. इसका यह हाल किया है सरकार की अनदेखी ने. पढ़िये ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट...

Water hyacinth in Betwa river
खतरे में जीवनदायिनी नदी का अस्तित्व (Etv Bharat Graphics)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : May 24, 2024, 10:04 AM IST

Updated : May 24, 2024, 11:10 AM IST

दुर्दशा पर आंसु बहा रही बेतवा नदी (ETV BHARAT)

विदिशा। पुराने समय में बेतवा को वेत्रवती नाम से पुकारा जाता था और कहा जाता था कि इसके चरण तीर्थ घाट पर स्नान करने से कोढ़ जैसा असाध्य रोग भी ठीक हो जाता था. लेकिन अब यहां हालत ऐसे है की पानी दिखना तो बंद हो गया और पूरी नदी जलकुंभी की चपेट में है. दूर से नदी ऐसी नज़र आती है मानो कोई सब्जी का खेत हो. जबकि महाकवि कालिदास द्वारा रचित मेघदूत में भी बेत्रवती नदी का वर्णन मिलता है. आज हालत यह है कि बेतवा का जल आचमन करने योग्य भी नही रह गाया है. नियमित स्नान करने आने वाले श्रद्धालुओं में विभिन्न चर्म रोग हो रहे है तो अनेक श्रद्धालु बेतवा के घाट पर ही जेटपंप के पानी से नहा रहे हैं.

Government not conserving Betwa
बेतवा नदी का अस्तित्व खतरे में (ETV BHARAT)

बेतवा नदी में मिल रहा नालों का पानी

दरअसल बेतवा नदी मंडीदीप के पास से निकलती है और विदिशा तक आते आते दम तोड़ देती है. क्योंकि सरकारों ने इसके संरक्षण पर कोई ध्यान नहीं दिया. न तो इसके किनारे पर वृक्षारोपण किया न ही उद्योग और किसानों को इससे सीधे पानी लेने से रोका. उल्टे इसके किनारे लगे पेड़ काट दिए गए. अतिक्रमण कर निर्माण कार्य होने दिया गया. रही सही कसर विदिशा शहर के गंदे नालों ने पूरी कर दी, जो सीधे बेतवा नदी में अपनी पूरी गंदगी उड़ेल रहे हैं.

शिवराज का गृहक्षेत्र, नदी के लिए नहीं किया कोई काम

नागरिक समय समय पर बेतवा को निर्मल और अविरल बनाने के लिए मुहिम चलाते रहे और सरकार सिर्फ आश्वासन देती रही. 18 साल तक शिवराज सिंह चौहान मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे उन्होंने भी बेतवा नदी के संरक्षण के लिए कुछ नहीं किया. अब हालत यह है कि बेतवा अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है. कही पूरी तरह रेगिस्तान की तरह सूख गई है तो कही गंदे नाले में तब्दील हो गई. कही किसी हरे भरे खेत की तरह नजर आ रही है. अब जब बेतवा नदी के हालात यह है तो इसके किनारे बने मंदिर और घाट श्रमदान कर रहे लोगों के भरोसे ही जीवित है.

Government not conserving Betwa
बेतवा नदी में मिल रहा गंदा पानी (ETV BHARAT)

चारों तरफ गंदगी का अंबार

बहरा बाबा घाट पर अपने पोते को बेतवा नदी दिखाने लेकर आए शहर के निवासी वीरेंद्र पितलिया से हमने बात की तो उन्होंने बताया कि ''अपने पोते को बेतवा नदी के दर्शन करने लाया था, क्योंकि हमारे धर्म ग्रंथों में यह पुण्य नदी मानी जाती है. लेकिन आज के हालात देखकर अफसोस हो रहा है. बेतवा नदी के नाम पर बहुत राजनीतिक रोटियां सेकी जाती हैं और आज तक इसका पूर्ण रूप से कोई भी जीर्णोद्धार नहीं हुआ है. विदिशा शहर का जितना भी गंदा पानी है वह इस घाट नाले से बेतवा नदी में मिल रहा है. यह बेतवा नदी तो नहीं रही है, बल्कि कोई नाला है या गंदी जगह नजर आती है. नदी के संरक्षण की इतनी मांग करने के बाद भी यहां का शासन प्रशासन आज तक कोई ऐसा ठोस कदम नहीं उठा पाया जिससे कि बेतवा नदी की गंदगी खत्म हो जाए.''

Water hyacinth in Betwa river
बेतवा नदी में उगी जलकुम्भी (ETV BHARAT)

कागजों में बनती हैं योजनाएं

लोगों का कहना है कि ''योजनाएं सिर्फ कागजों में ही बनती हैं. हम लोग बेतवा नदी को बचाने के लिए मांग करते हैं, अधिकारी आकर नापा तोली करते हैं और प्रेस कॉन्फ्रेंस हो जाती है. लेकिन उस संबंध में कोई ठोस कदम आज तक उठा.'' स्थानीय निवासी कुंजीलाल तिवारी का कहना है कि ''बेतवा नदी के इस चोर नाले को तुरंत बंद किया जाए नहीं को हम आंदोलन करेंगे. हमारी बेतवा मैया स्वच्छ और पवन बनी रहे, इसमें पितृ दोष कई प्रकार की पूजन की जाती है. पिंडों का विसर्जन भी किया जाता है. लोगों की भाव भक्ति पर ठेस पहुंच रही है. इसलिए इस पर तुरंत रोक लगाई जाए.''

Water hyacinth in Betwa river
बेतवा नदी के संरक्षण की उठी मांग (ETV BHARAT)

हाथ लगाने योग्य नहीं बचा नदी का पानी

आर्टिस्ट समृद्धि बताती हैं कि नदी भले ही प्रदूषित हो गई है, लेकिन घाट की पेंटिंग बनाने के लिए मैं इधर पर आई हूं. नदी की स्थिति तो बहुत खराब हो चुकी है और आगे जाकर नाला भी मिल चुका है. पूरा पानी एकदम खराब हो गया है. लोग यहां पूजा भी करते हैं और गंदगी भी करते हैं, यह बहुत बुरी बात है. विदिशा के लोगों को सुधरने की बहुत जरूरत है. लोग सुधरेंगे तभी नदी स्वच्छ बन पाएगी.'' वहीं, मध्य प्रदेश प्रांतीय पुजारी महासभा अध्यक्ष एवं बेत्रवती तट स्थित तीर्थ मंदिरों के पुजारी संजय पुरोहित का कहना है कि ''मां बेत्रवती भारत की प्रमुख नदी है, इसको कलयुग की गंगा कहा जाता है. मां बेत्रवती की ऐसी दुर्दशा कभी कालांतर में नहीं देखी गई. पूरी नदी जलकुंभी से ग्रसित है और उसका जल जो है हाथ में लेने योग्य भी नहीं है. कोई अगर स्नान कर लेगा तो चर्म रोग से पीड़ित हो जाएगा. जबकि कालांतर में एक ऐसा समय था जब चर्म रोग के जो रोगी होते थे. नदी में स्नान करने से आदि व्याधि पीड़ा से मुक्ति प्राप्त होती थी.

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जलकुंभी इतनी कि सब्जी का खेत लग रही नदी

बेतवा नदी पर प्रतिदिन श्रमदान करने वाले श्रमदानी ने बताया कि ''जलकुंभी इतनी तादात में आ गई है कि आप नहा नहीं सकते. बगल में हैंड पंप लगा हुआ है उससे हम करीब दो महीने से नहा रहे हैं. पिछले 4 से 5 सालों से हम यहां श्रमदान कर रहे हैं और हम यह देख रहे हैं बेतवा की हालत लगातार खराब होती चली जा रही है. पिछले 18 साल से शिवराज सिंह मुख्यमंत्री रहे उसके बावजूद भी इसकी अनदेखी की गई. एक बार भी कभी शिवराज सरकार ने यह प्रयास नहीं किया कि बेतवा की दुर्दशा को दूर किया जाए.''

सीएमओ बोले-अभियान के रूप में सफाई करेंगे

वहीं नगर पालिका विदिशा के सीएमओ धीरज शर्मा का कहना है कि ''बेतवा नदी को लेकर प्रशासन भी चिंतित है. नाले के पानी को डाइवर्ट करके सीवेज में पहुंचने के लिए और पानी को स्वच्छ करके नदी में तक पहुंचाने के लिए प्लान बन चुका है और टेंडर भी हो चुके हैं. उसकी स्वीकृति के लिए राज्य सरकार को प्रकरण प्रेषित किया गया हैं.'' नदी किनारे घाटों की दुर्दशा और पसरी पड़ी गंदगी को लेकर सीएमओ ने कहा हम अभियान के रूप में सफाई करेंगे. हमारी कोशिश रहेगी कि हम इसे आदत बनाएं और एक आदत के रूप में नदी की प्रतिदिन सफाई हो.''

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विदिशा। पुराने समय में बेतवा को वेत्रवती नाम से पुकारा जाता था और कहा जाता था कि इसके चरण तीर्थ घाट पर स्नान करने से कोढ़ जैसा असाध्य रोग भी ठीक हो जाता था. लेकिन अब यहां हालत ऐसे है की पानी दिखना तो बंद हो गया और पूरी नदी जलकुंभी की चपेट में है. दूर से नदी ऐसी नज़र आती है मानो कोई सब्जी का खेत हो. जबकि महाकवि कालिदास द्वारा रचित मेघदूत में भी बेत्रवती नदी का वर्णन मिलता है. आज हालत यह है कि बेतवा का जल आचमन करने योग्य भी नही रह गाया है. नियमित स्नान करने आने वाले श्रद्धालुओं में विभिन्न चर्म रोग हो रहे है तो अनेक श्रद्धालु बेतवा के घाट पर ही जेटपंप के पानी से नहा रहे हैं.

Government not conserving Betwa
बेतवा नदी का अस्तित्व खतरे में (ETV BHARAT)

बेतवा नदी में मिल रहा नालों का पानी

दरअसल बेतवा नदी मंडीदीप के पास से निकलती है और विदिशा तक आते आते दम तोड़ देती है. क्योंकि सरकारों ने इसके संरक्षण पर कोई ध्यान नहीं दिया. न तो इसके किनारे पर वृक्षारोपण किया न ही उद्योग और किसानों को इससे सीधे पानी लेने से रोका. उल्टे इसके किनारे लगे पेड़ काट दिए गए. अतिक्रमण कर निर्माण कार्य होने दिया गया. रही सही कसर विदिशा शहर के गंदे नालों ने पूरी कर दी, जो सीधे बेतवा नदी में अपनी पूरी गंदगी उड़ेल रहे हैं.

शिवराज का गृहक्षेत्र, नदी के लिए नहीं किया कोई काम

नागरिक समय समय पर बेतवा को निर्मल और अविरल बनाने के लिए मुहिम चलाते रहे और सरकार सिर्फ आश्वासन देती रही. 18 साल तक शिवराज सिंह चौहान मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे उन्होंने भी बेतवा नदी के संरक्षण के लिए कुछ नहीं किया. अब हालत यह है कि बेतवा अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है. कही पूरी तरह रेगिस्तान की तरह सूख गई है तो कही गंदे नाले में तब्दील हो गई. कही किसी हरे भरे खेत की तरह नजर आ रही है. अब जब बेतवा नदी के हालात यह है तो इसके किनारे बने मंदिर और घाट श्रमदान कर रहे लोगों के भरोसे ही जीवित है.

Government not conserving Betwa
बेतवा नदी में मिल रहा गंदा पानी (ETV BHARAT)

चारों तरफ गंदगी का अंबार

बहरा बाबा घाट पर अपने पोते को बेतवा नदी दिखाने लेकर आए शहर के निवासी वीरेंद्र पितलिया से हमने बात की तो उन्होंने बताया कि ''अपने पोते को बेतवा नदी के दर्शन करने लाया था, क्योंकि हमारे धर्म ग्रंथों में यह पुण्य नदी मानी जाती है. लेकिन आज के हालात देखकर अफसोस हो रहा है. बेतवा नदी के नाम पर बहुत राजनीतिक रोटियां सेकी जाती हैं और आज तक इसका पूर्ण रूप से कोई भी जीर्णोद्धार नहीं हुआ है. विदिशा शहर का जितना भी गंदा पानी है वह इस घाट नाले से बेतवा नदी में मिल रहा है. यह बेतवा नदी तो नहीं रही है, बल्कि कोई नाला है या गंदी जगह नजर आती है. नदी के संरक्षण की इतनी मांग करने के बाद भी यहां का शासन प्रशासन आज तक कोई ऐसा ठोस कदम नहीं उठा पाया जिससे कि बेतवा नदी की गंदगी खत्म हो जाए.''

Water hyacinth in Betwa river
बेतवा नदी में उगी जलकुम्भी (ETV BHARAT)

कागजों में बनती हैं योजनाएं

लोगों का कहना है कि ''योजनाएं सिर्फ कागजों में ही बनती हैं. हम लोग बेतवा नदी को बचाने के लिए मांग करते हैं, अधिकारी आकर नापा तोली करते हैं और प्रेस कॉन्फ्रेंस हो जाती है. लेकिन उस संबंध में कोई ठोस कदम आज तक उठा.'' स्थानीय निवासी कुंजीलाल तिवारी का कहना है कि ''बेतवा नदी के इस चोर नाले को तुरंत बंद किया जाए नहीं को हम आंदोलन करेंगे. हमारी बेतवा मैया स्वच्छ और पवन बनी रहे, इसमें पितृ दोष कई प्रकार की पूजन की जाती है. पिंडों का विसर्जन भी किया जाता है. लोगों की भाव भक्ति पर ठेस पहुंच रही है. इसलिए इस पर तुरंत रोक लगाई जाए.''

Water hyacinth in Betwa river
बेतवा नदी के संरक्षण की उठी मांग (ETV BHARAT)

हाथ लगाने योग्य नहीं बचा नदी का पानी

आर्टिस्ट समृद्धि बताती हैं कि नदी भले ही प्रदूषित हो गई है, लेकिन घाट की पेंटिंग बनाने के लिए मैं इधर पर आई हूं. नदी की स्थिति तो बहुत खराब हो चुकी है और आगे जाकर नाला भी मिल चुका है. पूरा पानी एकदम खराब हो गया है. लोग यहां पूजा भी करते हैं और गंदगी भी करते हैं, यह बहुत बुरी बात है. विदिशा के लोगों को सुधरने की बहुत जरूरत है. लोग सुधरेंगे तभी नदी स्वच्छ बन पाएगी.'' वहीं, मध्य प्रदेश प्रांतीय पुजारी महासभा अध्यक्ष एवं बेत्रवती तट स्थित तीर्थ मंदिरों के पुजारी संजय पुरोहित का कहना है कि ''मां बेत्रवती भारत की प्रमुख नदी है, इसको कलयुग की गंगा कहा जाता है. मां बेत्रवती की ऐसी दुर्दशा कभी कालांतर में नहीं देखी गई. पूरी नदी जलकुंभी से ग्रसित है और उसका जल जो है हाथ में लेने योग्य भी नहीं है. कोई अगर स्नान कर लेगा तो चर्म रोग से पीड़ित हो जाएगा. जबकि कालांतर में एक ऐसा समय था जब चर्म रोग के जो रोगी होते थे. नदी में स्नान करने से आदि व्याधि पीड़ा से मुक्ति प्राप्त होती थी.

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Saawan 2023: बुंदेलखंड में ऐसा प्राचीन शिव मंदिर जहां महिलाएं प्रवेश नहीं करती, पुरातत्व विभाग ने किया संरक्षित स्मारक घोषित

जलकुंभी इतनी कि सब्जी का खेत लग रही नदी

बेतवा नदी पर प्रतिदिन श्रमदान करने वाले श्रमदानी ने बताया कि ''जलकुंभी इतनी तादात में आ गई है कि आप नहा नहीं सकते. बगल में हैंड पंप लगा हुआ है उससे हम करीब दो महीने से नहा रहे हैं. पिछले 4 से 5 सालों से हम यहां श्रमदान कर रहे हैं और हम यह देख रहे हैं बेतवा की हालत लगातार खराब होती चली जा रही है. पिछले 18 साल से शिवराज सिंह मुख्यमंत्री रहे उसके बावजूद भी इसकी अनदेखी की गई. एक बार भी कभी शिवराज सरकार ने यह प्रयास नहीं किया कि बेतवा की दुर्दशा को दूर किया जाए.''

सीएमओ बोले-अभियान के रूप में सफाई करेंगे

वहीं नगर पालिका विदिशा के सीएमओ धीरज शर्मा का कहना है कि ''बेतवा नदी को लेकर प्रशासन भी चिंतित है. नाले के पानी को डाइवर्ट करके सीवेज में पहुंचने के लिए और पानी को स्वच्छ करके नदी में तक पहुंचाने के लिए प्लान बन चुका है और टेंडर भी हो चुके हैं. उसकी स्वीकृति के लिए राज्य सरकार को प्रकरण प्रेषित किया गया हैं.'' नदी किनारे घाटों की दुर्दशा और पसरी पड़ी गंदगी को लेकर सीएमओ ने कहा हम अभियान के रूप में सफाई करेंगे. हमारी कोशिश रहेगी कि हम इसे आदत बनाएं और एक आदत के रूप में नदी की प्रतिदिन सफाई हो.''

Last Updated : May 24, 2024, 11:10 AM IST
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