लटेरी (विदिशा)। विदिशा जिले के लटेरी क्षेत्र में महिला बाल विकास विभाग के करीब 200 आंगनबाड़ी केंद्र हैं. इनमें से 100 से अधिक आंगनबाड़ी केंद्रों के पास खुद का भवन नहीं है. ऐसे में आंगनबाड़ी केंद्र या तो अन्य किसी शासकीय भवन में संचालित किए जाते हैं या फिर किराए के भवनों में. इनमें से कई मकान जर्जर हालत में हैं. इन्हीं जर्जर भवनों में बच्चों को बैठाया जाता है. यहां पर कोई सुविधा भी नहीं है. कई मकानों का किराया भी जमा नहीं किया जाता.
मकान मालिकों को किराया भी नहीं मिलता
राज्य सरकार की महत्वपूर्ण योजनाएं महिला बाल विकास विभाग के माध्यम से संचालित की जाती हैं. जिनमें से लाडली लक्ष्मी योजना और लाडली बहना योजना शामिल हैं. क्षेत्र में जो आंगनवाड़ी केंद्र किराए के भवनों में संचालित किया जा रहे हैं, उनको भी समय पर किराया भी नहीं मिल रहा है. इन 200 आंगनबाड़ी केंद्रों को 8 सेक्टर में बांटा गया है, जिनकी देखरेख करने के लिए विभाग ने 4 महिला सुपरवाइजर हैं. इन्हें दो-दो सेक्टर का प्रभार दिया गया है. वहीं, स्टाफ कम होने की वजह से महिला बाल विकास विभाग की व्यवस्थाएं दम तोड़ती नजर आ रही हैं.
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गांव हो या कस्बा, सभी जगह आंगनबाड़ी केंद्र खस्ताहाल
ग्रामीण क्षेत्र ही नहीं लटेरी के आंगनवाड़ी केंद्र भी समय पर नहीं खुल रही हैं. लटेरी में महिला बाल विकास विभाग का खुद का ऑफिस भवन तक नहीं है. यहां ऑफिस जनपद के एक क्षतिग्रस्त भवन में संचालित किया जाता है, जहां से 200 आंगनबाड़ी केंद्रों की मॉनिटरिंग की जा रही है. इस मामले में एसडीएम अनुभा जैन का कहना है "समय-समय पर विभाग को सूचित किया जाता है. जैसे-जैसे बजट आता है तो आंगनबाड़ी भवन बनवाए जाते हैं."