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विदिशा के बाढ़ वाले गणेश, मूर्ति का चमत्कार देखती रह गईं थी शिवराज सिंह की पत्नी, फिर लिया था ये प्रण - Baadh Wale Ganesh Vidisha - BAADH WALE GANESH VIDISHA

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से 50 किलमीटर दूर भगवान गणेश का ऐसा मंदिर है, जिसे 'बाढ़ वाले गणेश' के नाम से जाना जाता है. तकरीबन दो दशक पहले स्थापित की गई भगवान गणेश की इस प्रतिमा और उनके नाम के पीछे की कहानी भी अनोखी है.

BAADH WALE GANESH VIDISHA
विदिशा के बाढ़ वाले गणेश (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 13, 2024, 7:39 PM IST

विदिशा: भोपाल-विदिशा मार्ग पर रंगई स्थित बेतवा नदी किनारे श्री बाढ़ वाले गणेश मंदिर की स्थापना का एक अलग ही किस्सा है. करीब डेढ़ दशक पहले क्षेत्र के कुछ युवाओं ने नदी किनारे भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित की थी. इस दौरान आई बाढ़ में पूरा पंडाल जलमग्न हो गया था. इतना ही नहीं, मूर्ति भी पानी में डूब गई थी लेकिन पानी उतरने के बाद मूर्ति को किसी प्रकार की कोई क्षति नहीं हुई. तब से इस अनोखी प्रतिमा को श्री बाढ़ वाले गणेश कहा जाता है.

देखें वीडियो (Etv Bharat)

क्या है बाढ़ वाले गणेश की कहानी?

मंदिर पुजारी पं. परशुराम चौबे ने बताया, '' 2005 में यहां पर बाढ़ आई हुई थी और मिट्टी के गणेश जी की झांकी लगी हुई थी. गणेश जी 5 से 6 दिन बाढ़ के पानी में डूबे रहे, इसके बावजूद मूर्ति को जरा भी नुकसान नहीं हुआ. इसी दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पत्नी यहां से गुजरीं और पानी में डूबे गणपति की प्रतिमा देखा आश्चर्यचकित रह गईं, इसके बाद उन्होंने यहां मंदिर बनावाने का संकल्प लिया, जो 2008 में बनकर तैयार हुआ.''

Baadh Wale Ganesh Vidisha
बाढ़ वाले गणेश (Etv Bharat)

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अनंत चतुर्दशी पर पहुंच सकते हैं शिवराज

स्थापना के बाद मंदिर का नाम श्री बाढ़ वाले गणेश रखा गया और तभी से गणपति लोगों की अर्जी सुन रहे हैं और मनोकामना पूरी कर रहे हैं. गणेश जी किस मंदिर में उनका रोज अभिषेक होता है और इन दिनों सुबह शाम आरती और अखंड रामायण का पाठ हो रहा हैस जो की अनंत चतुर्दशी तक चलेगा. अनंत चतुर्थी के दिन यहां पर हवन होगा, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में केंद्र सरकार में कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी पत्नी पहुंच सकते हैं.

विदिशा: भोपाल-विदिशा मार्ग पर रंगई स्थित बेतवा नदी किनारे श्री बाढ़ वाले गणेश मंदिर की स्थापना का एक अलग ही किस्सा है. करीब डेढ़ दशक पहले क्षेत्र के कुछ युवाओं ने नदी किनारे भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित की थी. इस दौरान आई बाढ़ में पूरा पंडाल जलमग्न हो गया था. इतना ही नहीं, मूर्ति भी पानी में डूब गई थी लेकिन पानी उतरने के बाद मूर्ति को किसी प्रकार की कोई क्षति नहीं हुई. तब से इस अनोखी प्रतिमा को श्री बाढ़ वाले गणेश कहा जाता है.

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क्या है बाढ़ वाले गणेश की कहानी?

मंदिर पुजारी पं. परशुराम चौबे ने बताया, '' 2005 में यहां पर बाढ़ आई हुई थी और मिट्टी के गणेश जी की झांकी लगी हुई थी. गणेश जी 5 से 6 दिन बाढ़ के पानी में डूबे रहे, इसके बावजूद मूर्ति को जरा भी नुकसान नहीं हुआ. इसी दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पत्नी यहां से गुजरीं और पानी में डूबे गणपति की प्रतिमा देखा आश्चर्यचकित रह गईं, इसके बाद उन्होंने यहां मंदिर बनावाने का संकल्प लिया, जो 2008 में बनकर तैयार हुआ.''

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