जोधपुर: बायतू विधायक हरीश चौधरी ने हाल ही में विधानसभा में 'ठाकुर का कुआं' कविता का पाठ कर सुर्खियां बटोरी थी. आरोप लगे कि अपनी राजनीति चमकाने के लिए हरीश चौधरी ने एक जाति विशेष को टारगेट किया, जबकि उनके गृह जिले बाडमेर में जाट राजपूतों के बीच लोकसभा चुनाव के बाद से ही स्थितियां सामान्य नहीं हैं. सोमवार को राज्य विधानसभा में जलसंसाधन विभाग की मांगों पर अपनी बात रखते हुए ओसियां विधायक भैराराम चौधरी ने हरीश चौधरी ने 'ठाकुर का कुआं' कविता का जवाब अपनी स्वरचित कविता से दिया.
भैराराम ने अपनी कविता के माध्यम से कहा कि 'अब समय बदल गया है. न अब चूल्हा रहा है न कुआं, वो तालाब भी सूख चुके हैं. अब वर्तमान की बात करो, पुरानी कविताएं छोडो, वर्तमान पर बात करो, न चूल्हा मिटटी का रहा, न हल बैल का रहा. फिर क्यों तमाशा होता है लोकतंत्र के मंदिर में, यह धरती है मीरा बाई की धरती है, करमा बाई की. यह ठाकुर है यह किसान है, पर लोकतंत्र के मंदिर में सभी अपने हैं'.
ओसियां विधायक ने कहा कि 'महाराणा और सूरजमल के वंशजों को अब लड़वाना बंद करो, मुगलों और अंग्रेजों की चालें चलना बंद करो. कुएं तो कब के सूखे अब तो नलकूप सूख रहे हैं. आप बातें कर रहे हैं मिट्टी के चूल्हों की, वो तालाब भी तो कब के सूख चुके हैं. कर सको तो भागीरथी प्रयास करो, धोरां धरती सूख रही है, कोई बात करो तो कैनाल पर बात करो, पुरानी कविताएं छोडो वर्तमान पर बात करो'.
डब्लयूआरसीपी पर दिया सुझाव: ओसियां विधायक भैराराम ने कहा कि पश्मिची राजस्थान के लिए ईआरसीपी के तरह डब्ल्यूआरसीपी के लिए माही और लूणी को जोड़ने के लिए परियोजना की डीपीआर जल्द बनाने की बात रखी. साथ ही कहा कि गुजरात के साथ जो समझौता 1966 का हो रखा है. उसका क्रियान्वयन करवाएं, जिससे पश्चिमी राजस्थान को राहत मिल सके.