रायपुर: तीन दिवसीय छत्तीसगढ़ राज्योत्सव का बुधवार को समापन हुआ. समापन समारोह में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शिरकत की. उन्होंने समारोह में वामपंथी उग्रवाद को पूरी तरह से खत्म करने की आवश्यकता पर जोर दिया.
उपराष्ट्रपति ने कहा, "निस्वार्थ सेवा निःस्वार्थ होनी चाहिए. निस्वार्थ सेवा में कोई स्वार्थ नहीं होना चाहिए. नि:स्वार्थ सेवा के नाम पर न केवल लोगों को विभिन्न माध्यमों से प्रलोभन देकर उनके दिलों तक पहुंचने का प्रयास किया जा रहा है, बल्कि आस्था बदलने की भी कोशिश की जा रही है.''
जगदीप धनकड़ ने कहा,"एक तरह से हमारी हजारों साल पुरानी संस्कृति पर हमला हो रहा है. आस्था बदलने का घृणित कार्य चल रहा है. हमें इसके प्रति सचेत रहना चाहिए. यह संस्थागत तरीके से हो रहा है. यह पैसे के बल पर हो रहा है. यह एक मकसद से हो रहा है.''
उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि मासूमियत का फायदा उठाया जा रहा है और गलतफहमियां फैलाई जा रही हैं. भारत की आत्मा को जीवित और शुद्ध रखने के लिए ऐसी ताकतों को बिना किसी देरी के रोकने की जरूरत है. उन्होंने आगे कहा कि इन तत्वों द्वारा आदिवासी लोगों को निशाना बनाया जा रहा है और समाज को इस "मानसिकता" के खिलाफ सतर्क रहना चाहिए. भारत में सभी को साथ लेकर चलने की संस्कृति है, जहां समाज के हर वर्ग का विशेष स्थान है. इस संस्कृति को सदैव सुरक्षित रखना चाहिए.
उपराष्ट्रपति ने कहा कि नक्सलवाद छत्तीसगढ़ के युवाओं के लिए चिंता का एक और कारण है, साथ ही उन्होंने कहा कि राज्य की भाजपा सरकार इस पर ध्यान दे रही है. मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने लगातार माओवाद पर काबू पाने की कोशिश की.
धनकड़ ने कहा, इतिहास हमें याद दिलाता है कि समाज के खिलाफ हथियार उठाने का परिणाम कभी अच्छा नहीं रहा है. हमें सावधान रहना होगा कि हमारे युवा गुमराह न हों और अपने जीवन के अद्भुत वर्षों को बर्बाद न करें. यह अच्छी बात है कि सरकार की सकारात्मक नीतियों के कारण आज युवाओं को कई अवसर मिल रहे हैं. फिर भी, हमें (नक्सल) खतरे पर अंकुश लगाना होगा.
जून 1975 में इंदिरा गांधी सरकार द्वारा लगाए गए आपातकाल की यादों को याद करते हुए धनखड़ ने कहा कि किसी को भी भारतीय संविधान के साथ छेड़छाड़ करने का अधिकार नहीं है और ऐसे प्रयासों को विफल किया जाना चाहिए.
उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि"हम संविधान दिवस के करीब पहुंच रहे हैं. मैं युवाओं से संविधान की भूमिका को याद रखने का आग्रह करता हूं. यह वह आधार है जिस पर हमारा देश खड़ा है. हर साल 26 नवंबर को हम प्रत्येक नागरिक, विशेषकर युवाओं को संविधान के महत्व और ताकत की याद दिलाने के लिए संविधान दिवस मनाते हैं."
उपराष्ट्रपति ने इंदिरा गांधी का नाम लिए बिना आगे कहा, "एक समय था, जब किसी ने प्रधानमंत्री रहते हुए आपातकाल लगा दिया था. मौलिक अधिकारों को 21 महीने के लिए निलंबित कर दिया गया था. 1975, 76 और 77 में स्थिति इतनी भयावह थी कि लोकतांत्रिक मूल्य कहीं दिखाई नहीं देते थे. यहां तक कि छात्रों और लाखों अन्य लोगों को भी सलाखों के पीछे डाल दिया गया। पत्रकारिता की कोई आजादी नहीं थी. संपूर्ण राजनीतिक वर्ग निर्वासित कर दिया गया.
धनकड़ ने आगे कहा कि वर्तमान पीढ़ी को उस काले अध्याय से सीख लेनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसी गलतियां कभी न दोहराई जाएं. संविधान की बदौलत, विधानसभाओं और लोकसभा में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने वाला एक विधेयक पारित किया गया. यह केवल 33 प्रतिशत आरक्षण के बारे में नहीं है, यह अधिक भी हो सकता है क्योंकि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति श्रेणियों में महिलाओं का एक तिहाई प्रतिनिधित्व होगा.
उपराष्ट्रपति ने इस तथ्य की सराहना की कि पिछले चुनाव में छत्तीसगढ़ विधानसभा के लिए 19 महिलाएं चुनी गईं, जिनमें से एक बड़ी संख्या एससी और एसटी समुदायों से थी. उन्होंने कहा कि राज्यों की प्रगति और देश के विकास का आपस में गहरा संबंध है और ये एक-दूसरे के पूरक हैं. राज्य के हितों को राष्ट्र के हितों से अलग नहीं किया जा सकता. राज्य और राष्ट्र एक हैं.
छत्तीसगढ़ राज्योत्सव समापन समारोह में छत्तीसगढ़ के राज्यपाल रामेन डेका, मुख्यमंत्री साय और विधानसभा अध्यक्ष रमन सिंह भी मौजूद थे.