सरगुजा : अस्तित्व में आने के बाद से ही संत गहिरा गुरू विश्वविद्यालय अव्यवस्थाओं से जूझ रहा है. राजभवन व्यवस्था सुधारने अब तक चार कुलपतियों की नियुक्ति कर चुका है, लेकिन व्यवस्था सुधरना तो दूर अधिकारियों ने व्यवस्था को चिंताजनक बना दिया है. यही कारण है कि राजभवन ने कुलपति की शक्तियों को शून्य कर एसजीजीयू में धारा 52 लागू कर दिया है.
कुलपति की शक्तियों को किया गया शून्य : डॉ. अशोक सिंह को एसजीजीयू के कुलपति का दायित्व सौंपा गया था. नियुक्ति के बाद से ही अपनी विवादित कार्यप्रणाली के कारण राजभवन ने एसजीजीयू में धारा 52 लागू कर हमेशा चर्चा में रहने वाले कुलपति डॉ. अशोक सिंह की शक्तियों को शून्य कर दिया है.
राजपत्र में अधिसूचना की गई प्रकाशित : शासन द्वारा इस संबंध में 3 अक्टूबर के राजपत्र में अधिसूचना प्रकाशित की गई है, जिसमें संत गहिरा गुरू विश्वविद्यालय के कार्यकलापों में कुप्रशासन और अव्यवस्था, विश्व विद्यालय में आंतरिक विवाद एवं समन्वय के अभाव के कारण स्वस्थ शैक्षणिक एवं प्रशासनिक वातावरण के अभाव का जिक्र किया गया है.
अधिसूचना में यह भी उल्लेख है कि जन साधारण और छात्रों की दृष्टि में विश्वविद्यालय के प्रति विश्वसनीयता में गिरावट को देखते हुए विश्वविद्यालय अधिनियम की धारा 1973 के अनुसार एसजीजीयू को नहीं चलाया जा सकता.
एसजीजीयू में धारा 52 लागू : राज्य शासन ने छत्तीसगढ़ विश्वविद्यालय अधिनियम की धारा 1973 की धारा 52 की शक्तियों का प्रयोग करते हुए अधिनियम की धारा 13,14, 23 से 25,40,47,48, 54 तथा 67 को एक वर्ष के लिए लागू किया है. इस धारा के लागू होने के बाद कुलपति की शक्तियां शून्य होने के साथ ही विश्वविद्यालय की कार्यसमिति सहित अन्य सभी समितियां खुद ही भंग हो गई है.
कुलपति के खिलाफ दर्जनों गंभीर शिकायतें : कुलपति डॉ.अशोक सिंह के विरूद्ध दर्जनों गंभीर शिकायतें थीं. शासन ने कुछ गंभीर शिकायतों की जांच की जिम्मेदारी संभागायुक्त को सौंपी थी. पिछले महीने कुछ शिकायतों की जांच में उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारी भी विवि प्रशासनिक भवन पहुंचे थे तथा शिकायतों से संबंधित दस्तावेज ले गए थे. कुलपति डॉ.सिंह के विरूद्ध महिला आयोग में भी कुछ मामलों की सुनवाई चल रही है. शिकायतों की जांच रिपोर्ट के आधार पर राजभवन ने कुलपति डॉ.अशोक सिंह को भी तलब किया था तथा उनका संतोषजनक जवाब नहीं मिलने के कारण इस तरह की गंभीर कार्रवाई की गई है.