लखनऊ: उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में मरीजों की दुर्दशा के मामले आए दिन सामने आते रहते हैं. इस मामले में प्रदेश की राजधानी भी अव्वल है. राजधानी के सरकारी अस्पतालों में वेंटिलेटर के अभाव में मरीजों की सांसें उखड़ रही हैं. इसकी बानगी कुछ दिनों पहले केजीएमयू के केजीएमयू के लारी कार्डियोलॉजी विभाग में देखने को मिला था. जिसका एक वीडियो वायरल हुआ था.
वीडियो में दिख रहा था कि मरीज इलाज के लिए डॉक्टर के सामने हाथ जोड़ रहा था लेकिन उसे रेफर किया गया. वेंटिलेटर नहीं होने के कारण मरीज की मौत हो गई थी. जब इस मामले की रिपोर्ट डिप्टी सीएम को सौंपी गई तो कहा गया कि संस्थान के पास पर्याप्त वेंटीलेटर हैं. ऐसे में ETV Bharat की टीम ने लखनऊ के उन सरकारी अस्पताल और मेडिकल कॉलेजों में वेंटिलेटर की स्थिति जानने की कोशिश की जहां पूरे प्रदेश से लोग इलाज के लिए पहुंचते हैं. आइए जानते हैं कि सरकारी अस्पतालों में वेंटिलेटर का सच क्या है?
लखनऊ के सरकारी अस्पतालों में कई वेंटिलेटर खराब पड़े हैं. इसके अलावा टेक्नीशियन नहीं है. अधिकारियों का कहना है कि वेंटिलेटर को चलाने वाले डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ व टेक्नीशियन की कमी है. नतीजतन सभी वेंटिलेटर का संचालन नहीं हो पा रहा है.
केजीएमयू के ट्रामा सेंटर में मारामारीः केजीएमयू में सबसे ज्यादा करीब 350 वेंटिलेटर का संचालन हो रहा है. ज्यादातर वेंटिलेटर बेड हमेशा भरे रहते हैं. लेकिन जिस विभाग में सबसे अधिक जरूरत है, वहां पर वेंटीलेटर की पूर्ति कम है. जिसके कारण कई बार मरीज को वेंटिलेटर सुविधा नहीं मिल पाती है. केजीएमयू में ट्रॉमा सेंटर में मरीजों का लोड अधिक होता है. केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ. केके सिंह ने कहा कि अस्पताल में पर्याप्त वेंटिलेटर है. बस मरीजों का भार अधिक होने के कारण समस्या हो जाती है. लेकिन, यह सभी सुविधा मरीजों के लिए है, जैसे ही वेंटिलेटर खाली होता है तो दूसरे मरीजों को अलाउड कर दिया जाता है. जबकि कुछ वेंटिलेटर वीवीआईपी रिजर्व पर रहता है. जल्द ही मेडिकल कॉलेज का ट्रॉमा सेंटर-2 की शुरुआत होने जा रही है. इसके शुरू होते ही समस्या दूर हो जाएगी.
लोहिया में कम पड़ जाते हैं वेंटिलेटरः लोहिया अस्पताल की इमरजेंसी में मरीजों की संख्या का लोड रहता है. यहां पर 150 वेंटीलेटर भी कम पड़ जाते हैं. अन्य विभागों में जहां पर वेंटीलेटर का इस्तेमाल न के बराबर होता है, वहां पर वेंटीलेटर रखे रखें खराब हो जाते हैं. लोहिया संस्थान में लगभग 130 वेंटिलेटर हैं. इमरजेंसी में 35 वेंटिलेटर हैं. मेडिसिन विभाग में 20, न्यूरोलॉजी में छह, पीडियाट्रिक व एनस्थीसिया विभाग के आईसीयू में 15-15 वेंटिलेटर का है.
बलरामपुर अस्पताल में सभी स्टाफ वेंटिलेटर चलाने में माहिरः बलरामपुर अस्पताल के निदेशक डॉक्टर सुशील प्रकाश ने बताया कि अस्पताल में लगभग 40 वेंटीलेटर है. कुछ को छोड़कर बाकी सभी संचालित है. इनमें से कुछ ऐसे हैं, जो खराब हुए हैं, उन्हें संबंधित कंपनी को अपडेट कराया गया है. क्योंकि, यह मशीन है. यह कभी भी खराब हो सकती है. नर्स और वार्ड बॉय समेत अन्य स्टाफ को वेंटिलेटर प्रशिक्षण दिया है ताकि यह मरीज की देखभाल कर सकें. टेक्नीशियन नहीं है. फिर भी हमारा आईसीयू चल रहा है. सभी स्टाफ वेंटिलेटर चलाने में माहिर हैं. बलरामपुर अस्पताल के आईसीयू इंचार्ज व एनेस्थीसिया हेड डॉ. एमपी सिंह ने बताया कि आईसीयू में वेंटिलेटर संचालित है और इस पर मरीज भर्ती भी है. प्रदेश भर से यहां पर मरीज इलाज करने के लिए आते हैं. कई बार ऐसा होता है कि वेंटिलेटर खाली नहीं होते हैं. लेकिन, जैसे ही खाली होते है, उस पर मरीज को शिफ्ट किया जाता है.
लोकबंधु अस्पताल 30 वेंटिलेटर बंदः डॉक्टरों का कहना है कि सभी वेंटिलेटर पर मरीज भर्ती किए जा रहे हैं. लोकबंधु अस्पताल में 40 वेंटिलेटर हैं, जिनमें 10 वेंटिलेटर का संचालन हो पा रहा है. बाकी 30 वेंटिलेटर बंद पड़े हैं. डॉक्टर, नर्सिंग, पैरामेडिकल स्टाफ व टेक्नीशियन की कमी से सभी वेंटिलेटर का संचालन नहीं हो पा रहा है. महानगर स्थित भाऊराव देवरस अस्पताल में तीन वेंटिलेटर हैं. अधिकारियों का कहना है कि जरूरत पड़ने पर वेंटिलेटर का संचालन हो रहा है. बाकी समय वेंटिलेटर का संचालन नहीं हो रहा है. बीकेटी स्थित राम सागर मिश्र हॉस्पिटल में पांच वेंटिलेटर हैं. ये भी डॉक्टर-कर्मचारियों के अभाव में बंद हैं.
सिविल अस्पताल में नहीं एक्सपर्टः हजरतगंज जिला से सिविल अस्पताल के सीएमएस डॉ राजेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि अस्पताल में कोविड काल में वेंटिलेटर सरकार की तरफ से मुहैया कराया गया था. वेंटिलेटर पर गंभीर मरीजों को भर्ती किया जाता है. वेंटीलेटर के एक्सपर्ट टेक्नीशियन तो अस्पताल में नहीं है. लेकिन जो स्टाफ नर्स हैं. उन्हें वेंटिलेटर के बारे में बताया और सिखाया गया है.
वेंटिलेटर संचालन के लिए स्टाफ की जरूरतः अधिकारियों का कहना है कि एक वेंटिलेटर के आठ घंटे के संचालन के लिए एक सीनियर डॉक्टर, एक सीनियर व दो जूनियर रेजिडेंट की जरूरत होती है. चार नर्सिंग स्टाफ व एक टेक्नीशियन की जरूरत पड़ती है.
क्या बोले मरीजों के परिजन-
फैजुल्लागंज निवासी मनीष त्रिपाठी ने बताया कि कुछ दिनों पहले दादी की तबीयत बहुत ज्यादा खराब थी. ऑक्सीजन लेवल कम होने के कारण होने लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया. लोहिया अस्पताल से केजीएमयू रेफर किया गया. इधर से उधार लेकर उन्हें घूमते रहे. लेकिन, वेंटीलेटर उपलब्ध नहीं होने के कारण वह हमें छोड़कर जा चुकी हैं.
केसरी कौशल ने बताया कि सरकारी अस्पतालों में भर्ती करते समय ही इतने नखरे दिखाते हैं कि मरीज परेशान हो जाता है. कई बार वेंटीलेटर के लिए इधर से उधर बार-बार रेफर किया जाता है. सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए. निजी अस्पताल में काफी पैसा खर्च होता है. जिसके कारण एक गरीब वर्ग का मरीज इलाज करने में सक्षम नहीं होता है.
राहुल कुमार ने बताया कि सरकारी अस्पतालों में मरीज को दिखाने में हालत खराब होती है. सरकार बाकी सभी काम बहुत अच्छा कर रही है. चिकित्सा क्षेत्र में भी बहुत बदलाव आया है. लेकिन, वेंटीलेटर को लेकर के भी थोड़ा सा ध्यान देना होगा. ताकि, मरीज को आसानी से इलाज मिल सकें. निजी अस्पतालों में चार गुना पैसा वसूला जाता है.