ETV Bharat / state

'परिवहन हेल्पर' पर बिना टेस्ट के जारी हो रहे DL, इस फर्जी एप से रहें सावधान, नहीं तो हो सकता है बड़ा नुकसान - TRANSPORT DEPARTMENT

उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग ऑनलाइन सेवाएं शुरू होने के बाद जालसाज हुए सक्रिय, फर्जी एप किसने बनाया, यह अभी तक नहीं पता चला

फर्जी परिवहन हेल्पर एप.
फर्जी परिवहन हेल्पर एप. (Photo Credit; ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 7, 2024, 9:13 PM IST

Updated : Dec 7, 2024, 9:51 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग ऑफलाइन सेवाओं को धड़ाधड़ ऑनलाइन तो किए जा रहा है, लेकिन सिक्योरिटी पर कोई ध्यान ही नहीं दिया जा रहा है. ऑनलाइन सेवाओं में कभी मृतक का ड्राइविंग लाइसेंस बन जाता है तो कभी फर्जी पता अपडेट कर कोई भी अपना डीएल जारी करा लेता है. जब मामला खुलता है तो थोड़ा बहुत अपडेट कर दिया जाता है लेकिन सिस्टम फूलप्रूफ हो ही नहीं पा रहा है. अब तो रेलवे की तरह ही परिवहन विभाग में भी जालसाजों ने एक ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार कर लिया है. जिस पर कीमत चुकाने के बाद आसानी से डीएल समेत अन्य कई काम हो रहे हैं. परिवहन विभाग के अफसर लाचार हैं.

37 सेवाएं फेसलेसः परिवहन विभाग ने जनता को यह सुविधा दी थी कि लर्नर लाइसेंस के लिए उन्हें आरटीओ कार्यालय आने की आवश्यकता न पड़े, घर बैठे ही लाइसेंस जारी हो जाए. लर्निंग लाइसेंस के लिए फेसलेस व्यवस्था लागू कर दी. विभाग ने अब तक लर्निंग लाइसेंस समेत 37 सेवाओं को फेसलेस किया है. विभाग की इन सुविधाओं पर अब ऑनलाइन फ्रॉड करने वालों की नजर है. विभाग की ऑनलाइन सुविधा में खामियां ही खामियां हैं. सिस्टम इतना लचर है कि कोई भी साइबर जालसाज आसानी से इसमें सेंध लगा देता है.

नकली एप पर सरकारी सुविधाएंः विभागीय अधिकारियों का दावा है कि लर्निंग लाइसेंस सिर्फ विभाग की वेबसाइट पर एनआईसी के सर्वर से ही जारी होना संभव है, लेकिन जालसाज इन दावों की हवा निकाल दे रहे हैं. "परिवहन हेल्पर" नाम के एक ऐप पर लर्निंग लाइसेंस बन रहा है. परिवहन विभाग की सेवाओं में प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर इस्तेमाल होने का ये पहला मामला सामने आया है. "परिवहन हेल्पर" नाम के ऐप पर आधार और नंबर प्लेट बदले जाने की सुविधाएं भी हैं. जबकि विभाग का कहना है सिर्फ एनआईसी सर्वर से ही ऐसा किया जा सकता है. लेकिन कि परिवहन हेल्पर पैसा लेकर किसी की भी हेल्प करने को तैयार है. अब सीनियर अफसरों के संज्ञान में मामला आया तो हड़कंप मचा है.

ऐसे हो रहा इस्तेमालः परिवहन हेल्पर नाम के ऐप का लिंक डाउनलोड करने पर इंटरनेट पर ये ऐप मिलता है. ई-मेल से साइन अप करने के बाद लर्निंग लाइसेंस टेस्ट का विकल्प है. वहां पर क्लिक करने के बाद 300 रुपये की फीस ली जा रही है. इसके बाद आगे की प्रक्रिया कर लर्निंग टेस्ट में रियायत दी जा रही है. इसमें बिना परीक्षा पास किए ही लर्निंग लाइसेंस जारी किये जा रहे हैं. परिवहन हेल्पर ऐप पर डॉट नेम प्रॉब्लम के लिए 100, पिन कोड मैपिंग के लिए 100, नंबर अपडेट के लिए 100, फोटो चेंज के लिए 100 और लर्नर लाइसेंस टेस्ट के लिए 100 फीस निर्धारित की गई है.

राष्ट्रीय सुरक्षा को भी हो सकता है खतराः परिवहन विभाग की फेसलेस सुविधाओं में ड्राइविंग लाइसेंस के अलावा गाड़ियों के ट्रांसफर से लेकर कई महत्वपूर्ण काम शामिल हैं. ऐसे में खतरा यह है कि प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर का प्रयोग कर चोरी की गाड़ी को ट्रांसफर कर लिया जाए. गलत ड्राइविंग लाइसेंस बनाकर उसका दुरुपयोग किया जाए तो इससे राष्ट्रीय सुरक्षा को भी खतरा पहुंचाया जा सकता है. अब प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर के प्रयोग का मामला सामने आने के बाद परिवहन विभाग के लिए दिक्कतें और बढ़ गई हैं.

NIC हैदराबाद से कराई जा रही जांचः एडिशनल ट्रांसपोर्ट कमिश्नर (आईटी) सुनीता वर्मा का कहना है कि यह मामला संज्ञान में आया है. यह गंभीर विषय है. एनआईसी से बात की गई है. जांच कराई जाएगी. ऑनलाइन सेवाओं का सिस्टम फूलप्रूफ किया जाएगा जिससे कोई भी इसमें सेंधमारी न कर सके. एआरटीओ हिमांशु जैन का कहना है कि इस सॉफ्टवेयर का लिंक एनआईसी हैदराबाद को भेज दिया है. जांच करने के लिए कहा गया है. सिस्टम में अगर कोई भी खामी है तो इसे पूरी तरह से दुरुस्त कराया जाएगा, जिससे कोई आवेदक ठगी का शिकार न होने पाए.

इसे भी पढ़ें-यूपी रोडवेज बसों का सस्ता होगा किराया, साधारण किराए में यात्री कर सकेंगे AC बसों से सफर

लखनऊ: उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग ऑफलाइन सेवाओं को धड़ाधड़ ऑनलाइन तो किए जा रहा है, लेकिन सिक्योरिटी पर कोई ध्यान ही नहीं दिया जा रहा है. ऑनलाइन सेवाओं में कभी मृतक का ड्राइविंग लाइसेंस बन जाता है तो कभी फर्जी पता अपडेट कर कोई भी अपना डीएल जारी करा लेता है. जब मामला खुलता है तो थोड़ा बहुत अपडेट कर दिया जाता है लेकिन सिस्टम फूलप्रूफ हो ही नहीं पा रहा है. अब तो रेलवे की तरह ही परिवहन विभाग में भी जालसाजों ने एक ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार कर लिया है. जिस पर कीमत चुकाने के बाद आसानी से डीएल समेत अन्य कई काम हो रहे हैं. परिवहन विभाग के अफसर लाचार हैं.

37 सेवाएं फेसलेसः परिवहन विभाग ने जनता को यह सुविधा दी थी कि लर्नर लाइसेंस के लिए उन्हें आरटीओ कार्यालय आने की आवश्यकता न पड़े, घर बैठे ही लाइसेंस जारी हो जाए. लर्निंग लाइसेंस के लिए फेसलेस व्यवस्था लागू कर दी. विभाग ने अब तक लर्निंग लाइसेंस समेत 37 सेवाओं को फेसलेस किया है. विभाग की इन सुविधाओं पर अब ऑनलाइन फ्रॉड करने वालों की नजर है. विभाग की ऑनलाइन सुविधा में खामियां ही खामियां हैं. सिस्टम इतना लचर है कि कोई भी साइबर जालसाज आसानी से इसमें सेंध लगा देता है.

नकली एप पर सरकारी सुविधाएंः विभागीय अधिकारियों का दावा है कि लर्निंग लाइसेंस सिर्फ विभाग की वेबसाइट पर एनआईसी के सर्वर से ही जारी होना संभव है, लेकिन जालसाज इन दावों की हवा निकाल दे रहे हैं. "परिवहन हेल्पर" नाम के एक ऐप पर लर्निंग लाइसेंस बन रहा है. परिवहन विभाग की सेवाओं में प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर इस्तेमाल होने का ये पहला मामला सामने आया है. "परिवहन हेल्पर" नाम के ऐप पर आधार और नंबर प्लेट बदले जाने की सुविधाएं भी हैं. जबकि विभाग का कहना है सिर्फ एनआईसी सर्वर से ही ऐसा किया जा सकता है. लेकिन कि परिवहन हेल्पर पैसा लेकर किसी की भी हेल्प करने को तैयार है. अब सीनियर अफसरों के संज्ञान में मामला आया तो हड़कंप मचा है.

ऐसे हो रहा इस्तेमालः परिवहन हेल्पर नाम के ऐप का लिंक डाउनलोड करने पर इंटरनेट पर ये ऐप मिलता है. ई-मेल से साइन अप करने के बाद लर्निंग लाइसेंस टेस्ट का विकल्प है. वहां पर क्लिक करने के बाद 300 रुपये की फीस ली जा रही है. इसके बाद आगे की प्रक्रिया कर लर्निंग टेस्ट में रियायत दी जा रही है. इसमें बिना परीक्षा पास किए ही लर्निंग लाइसेंस जारी किये जा रहे हैं. परिवहन हेल्पर ऐप पर डॉट नेम प्रॉब्लम के लिए 100, पिन कोड मैपिंग के लिए 100, नंबर अपडेट के लिए 100, फोटो चेंज के लिए 100 और लर्नर लाइसेंस टेस्ट के लिए 100 फीस निर्धारित की गई है.

राष्ट्रीय सुरक्षा को भी हो सकता है खतराः परिवहन विभाग की फेसलेस सुविधाओं में ड्राइविंग लाइसेंस के अलावा गाड़ियों के ट्रांसफर से लेकर कई महत्वपूर्ण काम शामिल हैं. ऐसे में खतरा यह है कि प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर का प्रयोग कर चोरी की गाड़ी को ट्रांसफर कर लिया जाए. गलत ड्राइविंग लाइसेंस बनाकर उसका दुरुपयोग किया जाए तो इससे राष्ट्रीय सुरक्षा को भी खतरा पहुंचाया जा सकता है. अब प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर के प्रयोग का मामला सामने आने के बाद परिवहन विभाग के लिए दिक्कतें और बढ़ गई हैं.

NIC हैदराबाद से कराई जा रही जांचः एडिशनल ट्रांसपोर्ट कमिश्नर (आईटी) सुनीता वर्मा का कहना है कि यह मामला संज्ञान में आया है. यह गंभीर विषय है. एनआईसी से बात की गई है. जांच कराई जाएगी. ऑनलाइन सेवाओं का सिस्टम फूलप्रूफ किया जाएगा जिससे कोई भी इसमें सेंधमारी न कर सके. एआरटीओ हिमांशु जैन का कहना है कि इस सॉफ्टवेयर का लिंक एनआईसी हैदराबाद को भेज दिया है. जांच करने के लिए कहा गया है. सिस्टम में अगर कोई भी खामी है तो इसे पूरी तरह से दुरुस्त कराया जाएगा, जिससे कोई आवेदक ठगी का शिकार न होने पाए.

इसे भी पढ़ें-यूपी रोडवेज बसों का सस्ता होगा किराया, साधारण किराए में यात्री कर सकेंगे AC बसों से सफर

Last Updated : Dec 7, 2024, 9:51 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.