फर्रुखाबादः यूपी की सबसे बड़ी आलू मंडी से एक राहत भरी खबर आई है. 30 से 40 रुपए प्रति किलो आलू खरीद रहे लोगों को इससे फायदा होगा. दावा किया जा रहा है कि आने वाले दिनों में आलू की कीमतें बढ़ने के बजाय गिरेंगी. इसके लिए सरकार और प्रशासन ने पहल शुरू कर दी है. चलिए जानते हैं आखिर इसके लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं.
बता दें कि यूपी की सबसे बड़ी आलू मंडी फर्रुखाबाद से देशभर की मंडियों को आलू की सप्लाई की जाती है. यहां इस बार थोक में आलू के भाव 2200 से 2500 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गए हैं. इसके पीछे वजह किसानों की फसल का नुकसान और महंगा ट्रांसपोर्ट बताया जा रहा है. फुटकर में आम लोगों तक यह आलू 30 से 40 रुपए प्रति किलो तक पहुंच रहा है. ऐसे में लोग आलू की कीमतों को लेकर बेहाल है. उन्हें चिंता सता रही है कि आलू की कीमतें अभी और बढ़ सकती है.
इस संबंध में जिले के आलू विकास एवं शाकभाजी अधिकारी राघवेंद्र सिंह ने बताया कि फर्रुखाबाद में इस बार 862991.69 मीट्रिक टन आलू को स्टोर किया गया है. अगर बात इसकी निकासी की करें तो अभी सिर्फ 19% आलू की ही निकासी कोल्ड स्टोरेज से हुई है. उन्होंने बताया कि जिले में 107 कोल्ड स्टोरेज के जरिए देशभर की मंडियों को आलू की सप्लाई की जाती है. उन्होंने कहा कि अभी भी कोल्ड स्टोरेज में 81% आलू भरा हुआ है. सरकार की ओर से निर्देश आ गए हैं कि कोल्ड स्टोरेज से आलू की निकासी तेज करें. साथ ही कोल्ड स्टोरेज में आलू की निकासी का रिकार्ड रोज चेक करें. इसके लिए दिशा-निर्देश दे दिए गए हैं.
इसे लेकर विभाग ने पहल शुरू कर दी है. हमने कोल्ड स्टोरेज को निर्देश देने शुरू कर दिए हैं कि आलू की निकासी अब तेजी से करें ताकि कीमतें गिरें. उन्होंने कहा कि अब आलू की कीमतें नहीं बढ़ेंगी. बारिश कम होते ही आलू की निकासी तेज कर दी जाएगी. इससे बढ़ती कीमतें कम हो जाएंगी. उन्होंने बताया की कोल्ड स्टोरेज में स्टोर आलू का सत्यापन भी किया जाएगा ताकि कोई भी ज्यादा वक्त तक आलू को स्टोर न रखें. उन्होंने कहा कि निकासी तेज होने के बाद आलू के भाव कम हो जाएंगे.
यूपी का सबसे बड़ा आलू उत्पादक जिला है फर्रुखाबाद
बता दें कि फर्रुखाबाद यूपी का सबसे बड़ा आलू उत्पादक जिला है. यहां से दिल्ली, नेपाल, बिहार, पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों को जिले से आलू की सप्लाई का जाती है. सरकारी अफसरों की मानें तो अगस्त बाद से आलू के तेवर ढीले पड़ सकते हैं. बारिश थमते ही दूसरे राज्यों में आलू की सप्लाई तेज कर दी जाएगी. इससे कीमतों में गिरावट आने की उम्मीद है. बताया गया कि जिले में आलू की फसल सितंबर में बोई जाती है जो दिसंबर में पूरी तरह से तैयार हो जाती है. नया आलू मार्केट में दिसंबर अंत से आना शुरू हो जाता है. उस दौरान सबसे कम आलू के भाव हो जाते हैं.
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