गोपालगंज: जिले के बरौली प्रखंड के नवादा गांव निवासी बाला साह के बेटे प्रिंस कुमार ने इंटरमीडिएट परीक्षा में टॉप किया है. प्रिंस ने साइंस विषय में 476 अंक प्राप्त कर पूरे बिहार में तीसरा स्थान प्राप्त किया है. उनकी इस सफलता से उनके परिवार और गांव में खुशी का माहौल है.
गोपालगंज के प्रिंस ने लहराया परचम: प्रिंस के सफलता को देख मां बाप फूले नहीं समा रहे हैं. उनके घर बधाई देने वालो का तांता लगा हुआ है. वहीं प्रिंस ने अपनी इस सफलता का श्रेय अपने मां पिता और गुरुजनों को दिया है. दरअसल इस संदर्भ में बताया जाता है कि प्रिंस कुमार बचपन से ही मेधावी छात्र रहे हैं.
साइंस में थर्ड टॉपर बने प्रिंस: प्रिंस ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही प्राथमिक विद्यालय से प्राप्त की. इसके बाद उन्होंने बरौली प्रखंड के एक उच्च माध्यमिक विद्यालय में नामांकन लिया. प्रिंस हमेशा से ही अपनी पढ़ाई में ध्यान देते थे और कक्षा में अव्वल आते थे. दो भाई और छह बहनों में सबसे छोटे प्रिंस को उनकी कड़ी मेहनत और लगन ने इस मुकाम तक पहुंचाया है.
"हमें बहुत खुशी हो रही है. सब्जी बेचकर बेटा को पढ़ा रहे हैं. मुझे पूरी उम्मीद थी कि इसे सफलता मिलेगी. हम जितना कर पाएंगे आगे भी करेंगे. मेरा बेटा बहुत मेहनती है."- बाला साह, प्रिंस के पिता
"बहुत खुशी है. रात भर पढ़ता रहता था. खाना भी खाना भूल जाता था. प्रिंस का पूरा ध्यान सिर्फ पढ़ाई में ही रहता है."- प्रिंस की मां
पिता बेचते है सब्जी, मां है गृहणी: प्रिंस की मां उर्मिला देवी एक गृहणी है जबकि इसके पिता बाला साह सब्जी बेच कर परिवार का भरण पोषण के साथ बच्चों को शिक्षा देते हैं. प्रिंस के पिता बाला साह पिछले 40 वर्षो से सब्जी बेचते हैं और अपनी छह बेटियों को स्नातक तक की पढ़ाई करवायी है. बेटे बेटियों को शिक्षा देने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं. प्रिंस के माता-पिता ने हमेशा से ही उसकी शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया।.उन्होंने प्रिंस को अच्छी शिक्षा देने के लिए हर संभव प्रयास किया.
बीपीएससी क्रैक करना है प्रिंस का लक्ष्य: इस संदर्भ में प्रिंस और उनके माता पिता से हमारी टीम ने खास बातचीत की.अपनी इस सफलता का श्रेय प्रिंस ने अपने माता-पिता, गुरुजनों को दिया है. उन्होंने कहा कि उनके माता-पिता ने हमेशा इसे ही उनका समर्थन किया और उन्हें प्रेरित किया. उनके गुरुजनों ने भी उन्हें पढ़ाई में बहुत मदद की.
"मेरे पिताजी सब्जी बेचते हैं. मेरा पढ़ाई का तरीका अपने सवालों पर रहता था. मैं अपने पढ़ाई के लिए टारगेट रखता था. आगे में बीपीएससी क्रैक करना चाहता हूं. 19 मार्च को बोर्ड से फोन आया और 21 मार्च को पटना बोर्ड ऑफिस पहुंचा, जहां अधिकारियों ने कुल 36 से 37 सवाल किए जिसका जवाब देते गया. सबसे ज्यादा सवाल हिंदी से रहा. वहीं केमिस्ट्री के एक दो सवाल में उलझ गया."- प्रिंस, टॉपर