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वरुथिनी एकादशी आज, जानें शुभ मुहूर्त, भगवान विष्णु की पूजा करने से मिलेगा पुण्य - Varuthini Ekadashi 2024

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By ETV Bharat Haryana Team

Published : May 4, 2024, 6:33 AM IST

Varuthini Ekadashi 2024: हिंदू वर्ष में 1 साल में 26 एकादशी आती हैं. जिनका अपने आप में बहुत ही ज्यादा महत्व बताया गया है. चार मई दिन शनिवार को हिंदू पंचांग के अनुसार वरुथिनी एकादशी पड़ रही है. इस दिन भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा अर्चना करने का महत्व बताया गया है.

Varuthini Ekadashi 2024
Varuthini Ekadashi 2024 (Etv Bharat)

करनाल: हिंदू धर्म में प्रत्येक व्रत व त्योहार का बहुत ही ज्यादा महत्व होता है. जिसको हिंदू धर्म के लोग बड़ी श्रद्धा के साथ मनाते हैं. इनमें से एक व्रत एकादशी का व्रत है. जिसकी सनातन धर्म में बहुत ही ज्यादा मान्यता है. हिंदू वर्ष में 1 साल में 26 एकादशी आती हैं. जिनका अपने आप में बहुत ही ज्यादा महत्व बताया गया है. चार मई दिन शनिवार को हिंदू पंचांग के अनुसार वरुथिनी एकादशी पड़ रही है.

वरुथिनी एकादशी: माना जाता है कि जो भी जातक इस दिन श्रद्धा के साथ भगवान विष्णु की पूजा करता है और एकादशी का व्रत रखता है, तो भगवान विष्णु उसके सारे पाप और दोष दूर कर देते हैं और उसके घर में सुख समृद्धि आती है. इस दिन भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा अर्चना करने का महत्व बताया गया है. चलिए जानते हैं कि वरुथिनी एकादशी का व्रत कैसे रखा जाता है और इसका महत्व क्या है.

वरुथिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार वरुथिनी एकादशी वैशाख महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को कहा जाता है, जो इस महीने 4 मई को दिन शनिवार को पड़ रही है. उन्होंने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार वरुथिनी एकादशी का आरंभ 3 मई को रात के 11:24 से शुरू होगा, जबकि इसका समापन 4 में की रात के 8:38 पर हो जाएगा. सनातन धर्म में प्रत्येक व्रत में त्योहार को उदय तिथि के साथ बनाया जाता है. इसलिए वर्तनी एकादशी का व्रत 4 मई को दिन शनिवार को रखा जाएगा.

पूजा का शुभ मुहूर्त: वरुथिनी एकादशी पूजा का शुभ मुहूर्त का समय सुबह 7:18 से शुरू होकर सुबह 8:58 तक रहेगा. वही वरुथिनी एकादशी के व्रत का पारण का समय 5 मई को सुबह 5:37 से लेकर 8:17 तक रहेगा.

व्रत का विधि विधान: पंडित ने बताया कि एकादशी वाले दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करने का बहुत ही ज्यादा महत्व बताया गया है, अगर कोई भी इंसान पवित्र नदी में स्नान नहीं कर पता तो वो अपने घर में ही नहाने वाले पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें, स्नान करने के उपरांत भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करें, और उसके बाद मंदिर में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करें. पूजा के दौरान सबसे पहले उनके आगे देसी घी का दीपक जलाएं, उसके उपरांत उनका पीले रंग के फल, फूल, वस्त्र, मिठाई, अक्षत, और चंदन अर्पित करें, और उनकी आरती करें.

भगवान विष्णु की पूजा: जो भी जातक इस एकादशी का व्रत करना चाहता है वह भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने उपरांत व्रत रखने का प्रण लें, दिन में एकादशी की कथा, विष्णु पुराण के साथ-साथ 'ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः' का मंत्र का 108 बार जाप करें. शाम के समय भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने के बाद उनकी आरती करें और उनको प्रसाद का भोग लगाएं. शाम के समय गरीब ब्राह्मण और जरूरतमंदों को भोजन कराएं.

एकादशी के व्रत का पारण द्वादशी के दिन होता है इसलिए इसका पारण 5 में को दिन रविवार को सूर्योदय के बाद किया जाएगा, पहले भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करें और उसके बाद ब्राह्मणों को भोजन करने के बाद अपनी इच्छा अनुसार दक्षिणा दें और फिर अपने व्रत का पारण कर लें.

वरुथिनी एकादशी का महत्व: पंडित ने बताया कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महाभारत काल में भगवान श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर को कहा था कि वरुथिनी एकादशी का मानव जीवन में इतना ज्यादा महत्व है. जो भी इंसान वरुथिनी एकादशी के दिन सच्ची निष्ठा से व्रत रखता है, भगवान विष्णु उनके सभी प्रकार के पाप और दोष दूर कर देती है और उसे जातक को सुख समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति मिलती है. ये भी माना जाता है कि वरुथिनी एकादशी का व्रत करने से पुण्य की प्राप्ति भी होती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. उन्होंने कहा कि इस एकादशी के दिन भोजन और अनाज का दान करने से अक्षय पुण्य की प्रति मनुष्य को होती है.

ये भी पढ़ें- आज इन राशियों के स्टूडेंट्स को मिलेगी खुशखबरी, खर्च के साथ बढ़ेगी इनकम - Aaj ka Rashifal

करनाल: हिंदू धर्म में प्रत्येक व्रत व त्योहार का बहुत ही ज्यादा महत्व होता है. जिसको हिंदू धर्म के लोग बड़ी श्रद्धा के साथ मनाते हैं. इनमें से एक व्रत एकादशी का व्रत है. जिसकी सनातन धर्म में बहुत ही ज्यादा मान्यता है. हिंदू वर्ष में 1 साल में 26 एकादशी आती हैं. जिनका अपने आप में बहुत ही ज्यादा महत्व बताया गया है. चार मई दिन शनिवार को हिंदू पंचांग के अनुसार वरुथिनी एकादशी पड़ रही है.

वरुथिनी एकादशी: माना जाता है कि जो भी जातक इस दिन श्रद्धा के साथ भगवान विष्णु की पूजा करता है और एकादशी का व्रत रखता है, तो भगवान विष्णु उसके सारे पाप और दोष दूर कर देते हैं और उसके घर में सुख समृद्धि आती है. इस दिन भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा अर्चना करने का महत्व बताया गया है. चलिए जानते हैं कि वरुथिनी एकादशी का व्रत कैसे रखा जाता है और इसका महत्व क्या है.

वरुथिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार वरुथिनी एकादशी वैशाख महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को कहा जाता है, जो इस महीने 4 मई को दिन शनिवार को पड़ रही है. उन्होंने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार वरुथिनी एकादशी का आरंभ 3 मई को रात के 11:24 से शुरू होगा, जबकि इसका समापन 4 में की रात के 8:38 पर हो जाएगा. सनातन धर्म में प्रत्येक व्रत में त्योहार को उदय तिथि के साथ बनाया जाता है. इसलिए वर्तनी एकादशी का व्रत 4 मई को दिन शनिवार को रखा जाएगा.

पूजा का शुभ मुहूर्त: वरुथिनी एकादशी पूजा का शुभ मुहूर्त का समय सुबह 7:18 से शुरू होकर सुबह 8:58 तक रहेगा. वही वरुथिनी एकादशी के व्रत का पारण का समय 5 मई को सुबह 5:37 से लेकर 8:17 तक रहेगा.

व्रत का विधि विधान: पंडित ने बताया कि एकादशी वाले दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करने का बहुत ही ज्यादा महत्व बताया गया है, अगर कोई भी इंसान पवित्र नदी में स्नान नहीं कर पता तो वो अपने घर में ही नहाने वाले पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें, स्नान करने के उपरांत भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करें, और उसके बाद मंदिर में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करें. पूजा के दौरान सबसे पहले उनके आगे देसी घी का दीपक जलाएं, उसके उपरांत उनका पीले रंग के फल, फूल, वस्त्र, मिठाई, अक्षत, और चंदन अर्पित करें, और उनकी आरती करें.

भगवान विष्णु की पूजा: जो भी जातक इस एकादशी का व्रत करना चाहता है वह भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने उपरांत व्रत रखने का प्रण लें, दिन में एकादशी की कथा, विष्णु पुराण के साथ-साथ 'ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः' का मंत्र का 108 बार जाप करें. शाम के समय भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने के बाद उनकी आरती करें और उनको प्रसाद का भोग लगाएं. शाम के समय गरीब ब्राह्मण और जरूरतमंदों को भोजन कराएं.

एकादशी के व्रत का पारण द्वादशी के दिन होता है इसलिए इसका पारण 5 में को दिन रविवार को सूर्योदय के बाद किया जाएगा, पहले भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करें और उसके बाद ब्राह्मणों को भोजन करने के बाद अपनी इच्छा अनुसार दक्षिणा दें और फिर अपने व्रत का पारण कर लें.

वरुथिनी एकादशी का महत्व: पंडित ने बताया कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महाभारत काल में भगवान श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर को कहा था कि वरुथिनी एकादशी का मानव जीवन में इतना ज्यादा महत्व है. जो भी इंसान वरुथिनी एकादशी के दिन सच्ची निष्ठा से व्रत रखता है, भगवान विष्णु उनके सभी प्रकार के पाप और दोष दूर कर देती है और उसे जातक को सुख समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति मिलती है. ये भी माना जाता है कि वरुथिनी एकादशी का व्रत करने से पुण्य की प्राप्ति भी होती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. उन्होंने कहा कि इस एकादशी के दिन भोजन और अनाज का दान करने से अक्षय पुण्य की प्रति मनुष्य को होती है.

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