शहडोल। चार मई को जो एकादशी पड़ रही है, उसे वरुथिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. इसे बहुत विशेष एकादशी माना जाता है. खासकर धन संपदा वैभव के लिए इस एकादशी का बहुत महत्व है. ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री से जानते हैं कि आखिर वरुथिनी एकादशी के दिन किस तरह से विधि विधान से पूजा करें और और कैसे दूध का व्यापार करने वाले लोगों के लिए यह एकादशी बहुत फलदाई साबित हो सकता है.
वरुथिनी एकादशी ऐसे करें पूजा
ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं की वरुथिनी एकादशी के दिन जो लोग व्रत करते हैं. शास्त्रों में लिखा है कि प्रातः कालीन उठकर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें और शुद्ध होकर शुद्ध मन के साथ इस दिन व्रत करने का प्रण करें, तांबे के कलश में जल लेकर जहां पर भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की प्रतिमा है, वहां जाकर स्नान कराएं. जिनके पास प्रतिमा उपलब्ध न हो, तो मन में संकल्प करके किसी केला के वृक्ष के पास जाकर स्नान कराएं. वहां माला चढ़ाएं, भोग लगाएं, आरती करें, तो उनका पूजन पूर्ण होता है.
इसके साथ ही सायंकाल के समय जैसे ही दिन डूबता है. थाली में फल सजाकर या फलाहार लेकर धूप दीप चंदन रोली हल्दी लेकर के वहां जाकर पूजन करें और मन में संकल्प कर लें की हे भगवान आपकी हम तन मन से पूजन कर रहे हैं. हमारी मनोकामना पूर्ण हो. इस तरह से पूजन करने के बाद आरती करें. आरती करने के बाद भोग लगाएं और सभी लोगों में उस प्रसाद को बांटे. जितना अधिक से अधिक प्रसाद लोगों के बीच में बांट सकते हैं. उतना बांटे, उनके घर में उतनी ही यश प्रतिष्ठा मान सम्मान धन वैभव की प्राप्ति होगी.
दूध का व्यापार करने वाले जरूर करें ये काम
ज्योतिष आचार्य कहते हैं की शास्त्रों में इसका भी उल्लेख मिलता है की जो व्यक्ति वरुथिनी एकादशी का व्रत करते हैं. उनके घर में दूध की कमी कभी नहीं होती है. ऐसे व्यक्ति जो दूध से संबंधित व्यवसाय करते हैं, गाय भैंस वाले हैं. इस एकादशी का व्रत अवश्य करें. जिससे उनके घर में दुधारू पशुओं की वृद्धि होगी और उनके घर में दूध की कभी कमी नहीं होगी. दूध का व्यापार उनका बुलंदियों को छुएगा.