वाराणसी : लड़की हो, बाल छोटे नहीं रखने चाहिए. छोटे कपड़े नहीं पहनना, लड़कियों का खेल से क्या लेना देना. ऐसे ही तमाम तानों से उबर कर वाराणसी की 40 लड़कियों ने हाॅकी को अपना कॅरियर बनाने का फैसला किया और अब देश का नाम रोशन करने की तमन्ना है.
बनारस के परमानंदपुर मैदान पर हॉकी के गुर सीखने वाली सृष्टि पटेल कहती हैं कि हॉकी में भविष्य बनाना चुनौतियों से भरा रहा. माता-पिता ने तो सहयोग किया, लेकिन आस-पड़ोस के लोगों ने ताने कसने की कोई कसर नहीं छोड़ी. हालांकि मैंने किसी पर ध्यान नहीं दिया. सिर्फ खेल पर फोकस रखा. सृष्टि की तरह हॉकी खेलने वाली कई लड़कियां ने भी ऐसे तानों को अनसुना कर जुनून के साथ हाॅकी पर फोकस किया. अब इन लड़कियां का संकल्प गोल्ड मेडल लाना है.
बनारस की पहली बेटियों की हॉकी टोली, खेल चुकी है 20 से ज्यादा टूर्नामेंट: बनारस में हॉकी की पनप रही नई पौध में 40 लड़कियों की टोली है. यह बच्चियां अंडर 14 की प्लेयर हैं. इस टीम ने 20 से ज्यादा टूर्नामेंट स्टेट के लिए खेले हैं. इन खिलाड़ियों का कहना है कि तीन साल से हॉकी खेलने की शुरुआत की, अब उनके मन में सिर्फ देश के लिए खेलने का सपना है. यह लड़कियां रोज बनारस के परमानंदपुर के मैदान पर हॉकी की प्रैक्टिस करती हैं. विकास एकेडमी के कोच इदरीश अहमद इन्हें हाॅकी के गुर सिखाते हैं. एकेडमी से निःशुल्क ट्रेंनिग के साथ हॉकी किट भी उपलब्ध कराई जाती है.
हॉकी में बनारस का है अलग नाम: बनारस हॉकी को लेकर अपनी अलग पहचान रखता है. हॉकी के मशहूर प्लेयर मोहम्मद शाहिद बनारस से ताल्लुक रखते थे. वर्तमान में ओलंपिक में मेडल लाने वाले ललित उपाध्याय भी बनारस के हैं. ललित वर्तमान में भारतीय हॉकी टीम के फारवर्ड प्लेयर हैं, जो उत्तर प्रदेश के मध्य से खिलाड़ी हैं जो टोक्यो ओलंपिक में पदक जीतने में सफल हुए हैं. ललित अब तक 200 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय मैच खेल चुके हैं. हॉकी में बनारस के राहुल सिंह का भी नाम आता है. राहुल ने अटलांटा ओलंपिक में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया था. वर्तमान में राहुल मुंबई कस्टम में वरिष्ठ पद पर कार्यरत हैं. राहुल के बड़े भाई भी ओलंपिक खिलाड़ी थे.