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एनजीटी कोर्ट की सख्त टिप्पणी- बोर्ड लगवा दिया जाए, गंगा का पीने और नहाने के लायक नहीं

NGT COURT HEARING: बनारस में गंगा की सहायक नदियों वरुणा और अस्सी में अतिक्रमण पर भी शासन-प्रशासन को फटकार

वाराणसी डीएम को एनजीटी ने लगाई फटकार .
वाराणसी डीएम को एनजीटी ने लगाई फटकार . (Video Credit : ETV Bharat Photo Credit : ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 2 hours ago

Updated : 1 hours ago

वाराणसी : राष्ट्रीय हरित अधिकरण(NGT) ने गंगा की सहायक नदियों वरुणा और अस्सी में अतिक्रमण को लेकर बेहद तल्ख टिप्पणी की है. एनजीटी कोर्ट वरुणा और अस्सी के अतिक्रमण को लेकर मामले की सुनवाई कर रहा था. इसमें वाराणसी के जिला अधिकारी एस. राज लिंगम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल हुए. साथ ही एनजीटी में जनहित याचिका दायर करने वाले हाईकोर्ट के अधिवक्ता सौरभ तिवारी भी मौजूद रहे. एनजीटी के जज अरुण कुमार त्यागी और सब्जेक्ट एक्सपर्ट के जज के तौर पर ए. सेंथिल ने पूरे मामले की सुनवाई की.

जानकारी देते अधिवक्ता सौरभ तिवारी. (Video Credit : ETV Bharat)

सौरभ तिवारी ने बताया कि मामले में सुनवाई के दौरान एनजीटी के जजों ने जिला अधिकारी एस. राजलिंगम से पूछा कि क्या आप गंगा का जल पी सकते हैं? जजों ने अपनी टिप्पणी में यहां तक कह दिया कि क्यों नहीं गंगा के किनारे बोर्ड लगवा दिया जाए कि गंगाजल का पानी पीने और नहाने के लिए योग्य नहीं है. हालांकि जजों की ये टिप्पणी आदेश का पार्ट नहीं है.

एडवोकेट सौरभ तिवारी ने बताया कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने वरुणा और अस्सी नदी के ग्रीन बेल्ट में हुए अतिक्रमण पर कार्रवाई के आदेश 21 नवम्बर 2021 को दे दिए गए थे. इस मामले में कोई कार्रवाई न होते देख मेरी तरफ से जुलाई माह में याचिका डाली गई थी. फिलहाल सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान एनजीटी का रुख बहुत ही कड़ा था. मामले की अगली सुनवाई 13 दिसंबर को होगी.

यह भी पढ़ें : गंगा में स्नान तो दूर आचमन तक मुश्किल.. NGT ने बिहार के 38 जिलों के DM से मांगी रिपोर्ट

यह भी पढ़ें : गंगा में प्रदूषण का मामला एनजीटी स्थानांतरित करने के आदेश पर पुनर्विचार की याचिका दाखिल

वाराणसी : राष्ट्रीय हरित अधिकरण(NGT) ने गंगा की सहायक नदियों वरुणा और अस्सी में अतिक्रमण को लेकर बेहद तल्ख टिप्पणी की है. एनजीटी कोर्ट वरुणा और अस्सी के अतिक्रमण को लेकर मामले की सुनवाई कर रहा था. इसमें वाराणसी के जिला अधिकारी एस. राज लिंगम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल हुए. साथ ही एनजीटी में जनहित याचिका दायर करने वाले हाईकोर्ट के अधिवक्ता सौरभ तिवारी भी मौजूद रहे. एनजीटी के जज अरुण कुमार त्यागी और सब्जेक्ट एक्सपर्ट के जज के तौर पर ए. सेंथिल ने पूरे मामले की सुनवाई की.

जानकारी देते अधिवक्ता सौरभ तिवारी. (Video Credit : ETV Bharat)

सौरभ तिवारी ने बताया कि मामले में सुनवाई के दौरान एनजीटी के जजों ने जिला अधिकारी एस. राजलिंगम से पूछा कि क्या आप गंगा का जल पी सकते हैं? जजों ने अपनी टिप्पणी में यहां तक कह दिया कि क्यों नहीं गंगा के किनारे बोर्ड लगवा दिया जाए कि गंगाजल का पानी पीने और नहाने के लिए योग्य नहीं है. हालांकि जजों की ये टिप्पणी आदेश का पार्ट नहीं है.

एडवोकेट सौरभ तिवारी ने बताया कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने वरुणा और अस्सी नदी के ग्रीन बेल्ट में हुए अतिक्रमण पर कार्रवाई के आदेश 21 नवम्बर 2021 को दे दिए गए थे. इस मामले में कोई कार्रवाई न होते देख मेरी तरफ से जुलाई माह में याचिका डाली गई थी. फिलहाल सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान एनजीटी का रुख बहुत ही कड़ा था. मामले की अगली सुनवाई 13 दिसंबर को होगी.

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Last Updated : 1 hours ago
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