वाराणसी : बाबा भोलेनाथ की नगरी काशी में भगवान शिव के विवाह महाशिवरात्रि को लेकर तैयारियां जोर-जोर से शुरू हो गई हैं. आठ मार्च को शिवरात्रि का पर्व है और विश्वनाथ मंदिर में रंगारंग कार्यक्रम शुरू होने के साथ ही भक्तों के आने का सिलसिला भी शुरू हो गया, लेकिन काशी में महाशिवरात्रि के मौके पर 300 साल से एक ऐसी लौकिक परंपरा निभाई जा रही है. जिसका साक्षी हर कोई बनना चाहता है.
महाशिवरात्रि से काशी में रंग उत्सव यानी होली की भी औपचारिक शुरुआत हो जाती है. महाशिवरात्रि वाली रात काशी विश्वनाथ मंदिर में पुजारी और भक्त जमकर होली खेलते हैं और बाबा के विवाह का उत्सव मनाते हैं और उसके बाद शुरू होता है रंगभरी का पर्व. इन सबके बीच औघड़दानी भस्म लपेटकर अपने स्वरूप को निखारते हैं, उन्हें भी दूल्हा बनाया जाता है. दूल्हे के लिए हल्दी इस बार अयोध्या से आई है. जिसे खंडोबा महाराष्ट्र से पूजन पाठ करके भेजा गया और विवाह के एक दिन पहले भोलेनाथ को मेहंदी भी लगेगी, मंगल गीत भी गाए जाएंगे तो जानिए काशी की इस अद्भुत और अलौकिक पुरानी परंपरा के बारे में जो भोलेनाथ के गृहस्थ जीवन से जुड़ी है.
फाल्गुन मास की कृष्णपक्ष की चतुर्दशी पर 8 मार्च को महाशिवरात्रि पर शिव-पार्वती विवाह के उत्सव का क्रम 6 मार्च बुधवार से विश्वनाथ मंदिर के महंत आवास पर आरंभ हो जाएगा. टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास पर बाबा के रजत विग्रह के समक्ष हल्दी तेल का लोकाचार पूर्ण किया जाएगा. संध्या बेला में शिव को हल्दी लगाई जाएगी. इसके पूर्व बसंत पंचमी पर बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ की प्रतिमा के समक्ष तिलकोत्सव की परंपरा का निर्वाह किया गया था. हल्दी की रस्म के लिए गवनहिरयों की टोली संध्या बेला में महंत आवास पर जमा होगी.
एक तरफ मंगल गीतों का गान के बीच बाबा को हल्दी लगाई जाएगी. यह रस्म विश्वनाथ मंदिर के पूर्व मंहत डॉ. कुलपति तिवारी के सानिध्य में होगी. मांगलिक गीतों से महंत आवास गुंजायमान होगा. ढोलक की थाप और मंजीरे की खनक के बीच शिव-पार्वती के मंगल दाम्पत्य की कामना के गीत मुखर होंगे. हल्दी के पारंपरिक शिव गीतों में दुल्हे की खूबियों का बखान कर शिवांजलि प्रस्तुत किया जाएगा.
वहीं इन्हीं गीतों के जरिये भूतभावन महादेव को दूल्हन का ख्याल रखने की ताकीद भी दी जाएगी. शिवांजली के संयोजक संजीव रत्न मिश्र ने बताया कि इस अवसर पर शिवांजलि के तहत मथुरा से आमंत्रित नृत्य मंजरी दास का कथक नृत्य होगा, अन्य स्थानीय कलाकार भजनों की प्रस्तुति करेंगे. शिवांजली के ट्रस्टी व अंक शास्त्री पं.वाचस्पति तिवारी ने बताया कि महाशिवरात्रि की महानिशा के चारों प्रहर में महंत परिवार द्वारा की जाने वाली बाबा विश्वनाथ की आरती के विधान पूर्ण करने की तैयारी कर ली गई है. महंत परिवार के सदस्यों के मार्गदर्शन में बाबा विश्वनाथ और माता पार्वती के विवाह का कर्मकांड पूर्ण परंपरानुसार पूर्ण किया जाएगा.
पंडित संजीव रत्न मिश्र ने बताया कि इस वर्ष भगवान भोलेनाथ को लगने वाली हल्दी महाराष्ट्र के खंडोवा से आई है. यह विशेष हल्दी अयोध्या मंगाकर उसकी वैदिक अर्चना के बाद काशी भेजी गई है. अयोध्या के प्रख्यात रामायणी पं. वैद्यनाथ पांडेय के कनिष्ठ पुत्र पं. राघवेश पांडेय ने बाबा के लिए महाराष्ट्र के खंडोवा से विशेष हल्दी मंगाकर भेजी है.
टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास पर होने वाले विवाह के लोकाचार में यही हल्दी बाबा को लगाई जाएगी. साढ़े तीन सौ वर्षों से अधिक समय से महंत परिवार द्वारा किए जा रहे बाबा के विवाह के लोकाचार में यह पहला अवसर है, जब अयोध्य से बाबा के लिए हल्दी भेजी गई है. इससे पहले रंगभरी एकादशी के दिन गौरा के गौना के अवसर पर मथुरा की अबीर गत वर्ष भेजी गई थी.
पं. राघवेश पांडेय ने कहा कि यह मेरा परम सौभाग्य है कि काशीपुराधिपति बाबा विश्वनाथ के विवाह के लिए मुझे अयोध्या से हल्दी भेजने का अवसर मिला है. अयोध्या में श्रीराम लला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद जो शुरुआत हुई है इसका निर्वाह मैं आजीवन करूंगा. प्रतिवर्ष बाबा काशी विश्वनाथ के विवाह के लिए मैं अयोध्या से हल्दी का अर्पण करुंगा. मेरी कोशिश होगी कि अगले वर्ष से मैं स्वयं बाबा के लिए हल्दी लेकर काशी आऊं.
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