वाराणसी : धनतेरस के पावन मौके पर माता अन्नपूर्णा के मंदिर में भक्तों की जबरदस्त भीड़ लगी रही. 2 लाख के ज्यादा भक्तों पर मां ने चांदी समेत नवरत्नों का खजाना लुटाया. वहीं त्योहार पर काशी विश्वनाथधाम को खास तरह से सजाया गया है. बाबा विश्वनाथ के मंदिर में अन्नपूर्णा माता की पाषाण प्रतिमा का दर्शन करने के लिए दूर-दूर से भक्त पहुंचे. यह वहीं प्रतिमा है जिसे साल 2021 में करीब 108 साल कनाडा से भारत लाया गया था.
धनतेरस के पावन अवसर पर श्री काशी विश्वनाथ धाम में मंगला आरती के बाद माता अन्नपूर्णा की मंगला आरती के बाद श्रद्धालुओं को प्रसाद स्वरूप खजाने का वितरण किया गया. बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे. धनतेरस का पर्व धन और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. इस दिन विशेष रूप से पूजा-अर्चना कर मां लक्ष्मी के स्वागत की तैयारी की जाती है. इस दिन अन्न और समृद्धि की देवी माता अन्नपूर्णा के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का विशेष महत्व है.
2 नवंबर तक चलेगा कार्यक्रम : कार्यक्रम के तहत श्रद्धालुओं को खजाने का वितरण किया जा रहा है. यह अनवरत अन्नकूट पर्व तक 2 नवंबर तक चलता रहेगा. इस पहल का उद्देश्य श्रद्धालुओं को माता की कृपा का अनुभव कराना और धार्मिक आस्था के प्रति प्रोत्साहित करना है. विश्वनाथ के दरबार में साल 2021 में कनाडा से वापस लाई गई 108 साल पुरानी अन्नपूर्णा माता की प्रतिमा स्थापित की गई थी. इसे सीएम योगी आदित्यनाथ ने खुद अपने हाथों से मंदिर में स्थापित किया था.
मंदिर प्रशासन के अनुसार कई सौ साल पहले वाराणसी के किसी मंदिर से अन्नपूर्णा मां की प्रतिमा कनाडा ले जाई गई थी. कुछ लोगों की पहल के बाद केंद्र सरकार ने इस पुरातन मूर्ति को वापस लाने का काम किया था. भव्य अनुष्ठान के साथ इस प्रतिमा को स्थापित किया गया था. इसके बाद धनतेरस पर यहां खजाने का वितरण किया जाता है.
आराम से हो रहे मां के दर्शन : मंदिर बंद होने तक 2,21,738 श्रद्धालुओं ने मां अन्नपूर्णा और बाबा विश्वनाथ का आशीर्वाद प्राप्त किया. इस दिन विशेष पूजा और अनुष्ठान का आयोजन किया गया. इससे श्रद्धालुओं में भक्ति और उल्लास का वातावरण बना रहा. एसडीएम शम्भू शरण ने बताया कि श्री काशी विश्वनाथ धाम में विशेष सजावट की गई है. सुगम दर्शन के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं की गईं हैं. बहुत आराम से भक्तों को दर्शन हो रहे हैं. वहीं भक्त डॉ अमिता ने बताया कि मां अन्नपूर्णा का आशीर्वाद पाकर उन्हें सुखद अनुभूति हो रही है.
काशी से मां अन्नपूर्णा का है गहरा नाता : शास्त्रों के अनुसार मां पार्वती के रूप में मां अन्नपूर्णा ने भगवान शिव से विवाह किया था. भगवान शिव कैलाश पर्वत पर रहते थे. मां पार्वती को वहां रहना पसंद नहीं आ रहा था. माता ने भोलेनाथ की नगरी काशी में रहने की इच्छा जताई. फिर भगवान शिव उन्हें लेकर काशी चले आए. काशी ही मां अन्नपूर्णा की नगरी भी कहा जाता है. मान्यता है कि इस नगरी में कोई भी भूखा नहीं रहता है.
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