वाराणसी : काशी अद्भुत है, हमेशा से सनातन धर्म को रिप्रेजेंट करने वाली काशी सनातनियों के साथ अन्य धर्म और वर्ग के लोगों को भी काफी पसंद आती है. यही वजह है कि यूरोपियन कंट्री लिथुआनिया के नागरिक हेनरिक्स ने सनातन धर्म से प्रभावित होकर काशी में आकर ईसाई धर्म छोड़कर सनातन धर्म की दीक्षा ली. गुरु से दीक्षा लेने के बाद उन्होंने अपना जीवन सनातन के हिसाब से बिताने का संकल्प लिया.
बताते हैं कि 2021 में एक सड़क दुर्घटना में घायल होने के बाद हेनरिक्स को स्वप्न में भगवान श्री कृष्ण के दर्शन हुए. इसके बाद वे प्रभावित होकर गीता पढ़ने लगे और आध्यात्म की ओर झुकाव बढ़ता गया. इसके बाद सनातन धर्म से जुड़ने की इच्छा लेकर वाराणसी पहुंचे. अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने बताया कि दुर्घटना के बाद हेनरिक्स का मन सनातन धर्म की तरफ मुड़ने लगा. वह बार-बार भारत के बारे में गूगल पर सर्च करते थे और सनातन धर्म और उनसे जुड़े भगवानों के बारे में जानकारी हासिल करते थे. इस दौरान उनकी मुलाकात उनके झारखंड के रहने वाले एक शिष्य से हुई. जिसके माध्यम से हेनरिक्स उनके संपर्क में आए. हेनरिक्स एक मार्केटिंग मैनेजर हैं और उनके माता-पिता आयरलैंड में रहते हैं.
स्वामी जीतेन्द्रानन्द सरस्वती ने बताया कि श्री काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रोफेसर राम नारायण द्विवेदी ने विदेशी नागरिक हेनरिक्स की सनातन में वापसी कराई है. हेनरिक्स का नाम केशव और उनका गोत्र कश्यप रखा गया है. हेनरिक्स का कहना है कि एक्सीडेंट के बाद उन्होंने जीने की उम्मीद ही छोड़ दी थी, लेकिन भगवान कृष्ण की कृपा से तेजी से रिकवरी हुई. भगवान कृष्ण की भक्ति से मुझे मेंटली और फिजिकली दोनों तरह से सपोर्ट मिला.