वाराणसी : ज्ञानवापी परिसर में कमीशन कार्रवाई के दौरान वजूखाने में मिले कथित शिवलिंग को फव्वारा कहे जाने और संबंधित स्थान पर लगातार गंदगी किए जाने के मामले में सीनियर जज सिविल डिवीजन नवम विनोद कुमार सिंह की अदालत में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और एआईएमआईअम अध्यक्ष ओवैसी पर मुकदमा दर्ज करने की निगरानी याचिका दाखिल की गई थी. इस अर्जी को कोर्ट ने बुधवार को खारिज कर दिया.
वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर पांडेय की तरफ से समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव और सांसद असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए याचिका दायर की गई थी. जिसे पहले निचली अदालत ने खारिज कर दिया था. जिस पर हरिशंकर पांडेय ने पुनः इस पर निगरानी याचिका दायर की थी. जिस पर बहस पूरी कर ली गई थी. बुधवार को कोर्ट को अपना फैसला सुनाना था. जिस पर कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया.
वाराणसी के एडीजे नवम की कोर्ट में दोनों पक्षों के वकीलों को तलब किया गया था. इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर पांडेय की तरफ से अखिलेश यादव, असदुद्दीन ओवैसी समेत मस्जिद की देखरेख करने वाली अंजुमन इंतजामियां मस्जिद कमेटी और लगभग 2000 अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई थी.
हरिशंकर पांडेय का कहना है कि शिवलिंग को बार-बार फव्वारा कहकर हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का काम ये दोनों नेता कर रहे हैं. इसके अलावा आस्था पर चोट पहुंचाते हुए वर्ग विशेष के लोगों ने उस स्थान पर गंदगी फैलाई और इतने दिनों तक उसे साफ-सुथरा भी नहीं रखा. इसलिए सभी के खिलाफ मुकदमा दर्ज होना आवश्यक है.
ओवैसी की तरफ से एहतेशाम आब्दी और शाहनवाज परवेज ने कोर्ट में अपना पक्ष रखा. अखिलेश यादव की तरफ से अनुज यादव ने बहस की. एडवोकेट हरिशंकर पांडेय ने वजू खाने में मिले शिवलिंग जैसी संरचना को लेकर अखिलेश यादव और ओवैसी पर धार्मिक भावनाएं आहत करने का आरोप लगाया है.