ग्वालियर। इतिहास के पन्नों में कई प्रेम कहानियां लिखी गई और अमर हुईं. इन ना भूलने वाले प्रेमियों की निशानियों आज भी जगत में मौजूद हैं जो मोहब्बत का अहसास और उसकी खूबसूरती बयां करती हैं. आगरा में बना ताज महल तो उसका सबसे बड़ा उदाहरण है कि शाहजहां ने मुमताज के मरने के बाद उनकी याद में दुनियां की सबसे नायाब इमारतों में से एक ताज महल बनवाया था. कहा जाता है कि हर दौर के प्रेम और प्रेमियों की कहानियां इस जगत में प्रेरणा स्रोत बनती रही हैं. ऐसी ही खूबसूरत कहानी है ग्वालियर में स्थित गुजरी महल की, वो गुजरी महल जो ग्वालियर के महाराजा मान सिंह और उनकी रानी गुजरी बाई के प्रेम का प्रतीक है.
राई गाँव में हुआ था राजा मान सिंह को प्रेम
लंबे समय तक गुजरी महल के शोध और देखरेख में रहे रिटायर्ड पुरातत्व अधिकारी और पुरातत्वविद लाल बहादुर सिंह सोमवंशी कहते हैं कि ''ग्वालियर के राजा मानसिंह तोमर अन्य शासकों से अलग थे, वे प्रेम को बहुत मानते थे. हालांकि उस दौरान प्रेम भी शर्तों के तहत होता था. राजा महाराजाओं का कल्चर था कि शादी विवाह प्रेम में शर्तें हुआ करती थीं. ग्वालियर से 18 किलोमीटर दूर राई नाम का गांव है. उस दौरान इस गांव में गुर्जरों की बड़ी बस्ती थी. इसी गांव में एक युवती रहा करती थी. उसकी खूबसूरती के बारे में काफी चर्चा थी, क्योंकि उसकी आंखें किसी हिरणी की तरह ही सुंदर थीं, उसे मृगनयनी भी कहा जाता था.''
गुर्जर कन्या की बहादुरी और खूबसूरती के कायल थे राजा
एक दिन जब राजा मानसिंह राई गांव में शिकार के लिए गये थे उस दौरान रास्ते में दो भैंसे आपस में भिड़ गये. स्थिति यह हुई कि रास्ते के एक ओर राजा खड़े थे दूसरी ओर रानी पानी भरने के लिए गई थी. लेकिन अब जान ख़तरे में थी और किसी की हिम्मत नहीं हुई कि उन्हें छुड़ाया जा सके. तभी भीड़ को चीरती हुई वह गुजरी युवती अचानक सामने आयी और दोनों भेंसों को अलग कर दिया. उसकी बहादुरी देख राजा मानसिंह उसकी बहादुरी और खूबसूरती के कायल हो गये. उन्हें पहली नजर में उससे प्रेम हो गया.
राजा मान सिंह के सामने रखी थी ये महत्वपूर्ण शर्ते
राजा की आठ रानियां थीं, फिर भी प्रेम में पड़े राजा ने उस कन्या से प्रेम का इजहार कर विवाह का प्रस्ताव रखा. जिस पर उसने तीन शर्ते पूरी करने पर शादी करने का बात रखी. पहली शर्त थी की राजा को उसके लिये उसके नाम का महल बनवाना होगा. दूसरा जब वह राजा के साथ कहीं जाएगी वह उनके साथ ही रहेगी. तीसरी और सबसे बड़ी शर्त थी कि सिर्फ अपने ही गाँव का ही पानी पियेगी, उस दौरान किले की ऊँचाई के हिसाब से और दूरी के हिसाब से इतनी दूर तक पानी पाना संभव नहीं था. फिर फिर राजा मानसिंह ने तीनों शर्ते मानी. उन्होंने उस कन्या के लिये 1571 में एक महल का निर्माण कराया जिसे आज गुजरी महल के नाम से जाना जाता है. उस गाँव से गुजरी महल तक एक कैनाल का निर्माण कराया, जहां से उस समय में अत्याधुनिक तकनीकों के द्वारा पानी लाया गया.
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इस तरह प्रेम का प्रतीक बना गुजरी महल
तीनों शर्ते पूरी होने के बाद राजा ने गुजरी रानी से विवाह किया और उने गुजरी महल में ले आए और उनके साथ जीवन व्यतीत किया. उनकी ये कहानी अमर प्रेम का उदाहरण बनी. गुजरी रानी संगीत की भी बड़ी साधिका थीं. इन पर ही गूजरी तोड़ी राग है, जिसके प्रमाण के तौर पर आज भी ग्वालियर के मोती महल में एक पेंटिंग रखी हुई है, जिसमें इसे दर्शाया गया है. इनका प्रेम एक कहावत बन गया कि प्रेम राजा मान सिंह और रानी गुजरी जैसा होना चाहिए, जिसके लिए राजा ने गुजरी महल बनवा दिया.