रांचीः झारखंड में संवैधानिक संस्थाओं का क्या हाल है उसकी वास्तविकता देखनी हो तो चले आइए सूचना आयोग में जहां आयुक्तों के मनोनयन की प्रतीक्षा में केसों से संबंधित संचिका कई सालों से धूल फांक रही हैं. आयोग की इस दुर्दशा पर सुप्रीम कोर्ट भी गंभीर टिप्पणी करते हुए राज्य सरकार को आयुक्तों की नियुक्ति करने का निर्देश दे चुकी है. इसके बावजूद अब तक यह नहीं हो पाया है.
इसी तरह राज्य महिला आयोग का हाल है जहां महिला उत्पीड़न की शिकार महिलाएं गुहार लगाने आती थीं. यहां भी अध्यक्ष और सदस्य के पद खाली होने की वजह से आवेदन पर सुनवाई पूरी तरह ठप है. सूचना आयोग और महिला आयोग की तरह राज्य में आधा दर्जन से अधिक ऐसे बोर्ड निगम हैं. जहां ना तो अध्यक्ष हैं और ना ही कोई सदस्य ऐसे में कामकाज किस तरह चल रहा होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है.
हेमंत सरकार 2.0 में क्या बहुरेंगे बोर्ड-निगम के दिन
झारखंड में एक बार फिर हेमंत सोरेन के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन की सरकार बनी है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या इन संवैधानिक संस्थाओं के दिन बहुरेंगे या उनकी स्थिति ऐसे ही बनी रहेगी. हेमंत सरकार में महत्वपूर्ण विभाग संभालने वाले वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर कहते हैं कि संवैधानिक संस्थाओं को कार्यशील बनाया जाएगा राज्य सरकार इस दिशा में कदम उठाएगी.
हालांकि विपक्ष के निशाने पर हमेशा से इस मुद्दे पर रह रही सरकार अभी तक कोई पहल शुरू नहीं की है. बीजेपी विधायक सीपी सिंह कहते हैं कि जेपीएससी जैसी संस्था में अध्यक्ष नहीं है, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार कितनी लापरवाह है. उन्होंने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि अभी मंईयां योजना और कैंची छाप के बल पर सरकार में वापस आने पर सत्तारूढ़ दल को लग रहा है कि कितना तीसमार खां हैं.
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