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चंपाई सोरेन कैबिनेट में मंत्री पद की वैकेंसी, इन्हें मिल सकता है मौका, कांग्रेस विधायक दल नेता का पद भी खाली - Amalgir Alam resigns - AMALGIR ALAM RESIGNS

Ministerial post vacant in Jharkhand. मंत्री आलमगीर आलम के चंपाई सोरेन मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के बाद मंत्री पद खाली हो गया है. कांग्रेस कोटे से इस पद को भरा जा सकता है. इस रिपोर्ट में जानिए कौन-कौन दावेदार हैं?

Ministerial post vacant in Jharkhand
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jun 11, 2024, 12:00 PM IST

रांची/गोड्डा: सोमवार को जेल में बंद आलमगीर आलम ने मंत्री पद और कांग्रेस विधायक दल के नेता के पद से इस्तीफा दे दिया है. आलमगीर आलम के इस्तीफा के बाद से एक तरफ चंपाई सोरेन सरकार में मंत्री पद खाली हो गया है, वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस विधायक दल के नेता का पद भी खाली हो गया है. दोनों ही पद पर जल्द नियुक्ति होने की संभावना जताई जा रही है.

पिछले दिनों कांग्रेस के छह से आठ विधायक मंत्रिमंडल में नए चेहरों को शामिल करने की मांग आलाकमान से कर चुके हैं. इस दौरान इनके तेवर भी बेहद तल्ख रहे हैं. अब कांग्रेस के पास मौका है कि उन आठ असंतुष्ट विधायकों में से दो के आक्रोश को शांत किया जा सके. एक को मंत्री बनाकर और दूसरे को कांग्रेस विधायक दल के नेता बनाकर. अब बात करते हैं कि इसे लेकर किनका पलड़ा भारी है.

असंतुष्ट विधायकों की बात करें तो उसमें सबसे मुखर थे बेरमो से विधायक जयमंगल सिंह उर्फ अनूप सिंह. कांग्रेस पहले ही उनकी पत्नी को लोकसभा का टिकट देकर उनके ग्रिवांसेज को खत्म कर चुकी है. अब बात करते हैं करते हैं शिल्पी नेहा तिर्की की. वह पूर्व शिक्षा मंत्री बंधु तिर्की की बेटी हैं. फिलहाल बंधु तिर्की झारखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं, ऐसे में शिल्पी को मंत्री बनाने की संभावना कम ही लग रही है.

जहां तक राजेश कच्छप और नमन विक्सल कोंगाड़ी की बात है, ये आदिवासी समाज से आते हैं और चंपाई मंत्रिमंडल में कांग्रेस कोटे से पहले से ही रामेश्वर उरांव मंत्री हैं, इस लिहाज से इनके नामों पर चर्चा कम है. महिला कोटे की बात करें तो दीपिका पांडेय सिंह और अंबा प्रसाद के नाम की चर्चा चल है. अंबा प्रसाद ओबीसी कोटे से हैं, चुकी केंद्र में मोदी मंत्रिमंडल में राज्य के दो ओबीसी चेहरों को मौका मिला है, तो यहां उसके काउंटर के लिए कांग्रेस अंबा प्रसाद को मौका दे सकती है. दीपिका पांडेय सवर्ण कोटे से आती हैं और उन्हें पहले लोकसभा के लिए गोड्डा सीट से टिकट दिया गया था बाद में काट दिया है. उनकी नाराजगी को खत्म करने के लिए भी उन्हें मौका मिल सकता है.

उमांशकर अकेला भी पिछले दिनों असंतुष्ट गुट में शामिल थे और दिल्ली तक पहुंच कर अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं. ओबीसी कोटा और उनके अनुभव को देखते हुए उन्हें विधायक दल का नेता भी बनाया जा सकता है. यहां यह बात समझना होगा कि अगर अकेला को विधायक दल का नेता बनाया जाता है तो अंबा प्रसाद मंत्री नहीं बन पाएंगी, क्योंकि दोनों ही एक ही क्षेत्र से आते हैं और दोनों ओबीसी वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं.

अब बात इरफान अंसारी की. इरफान अंसारी संथाल क्षेत्र से आते हैं और मुस्लिम नेता है. मंत्रिमंडल में बदलाव को लेकर ये भी मुखर रहे हैं. इनके पिता फुरकान अंसारी कांग्रेस के सीनियर लीडर हैं और गोड्डा से सांसद भी रह चुके हैं. गोड्डा लोकसभा सीट के लिए दावेदार भी थे. वहीं जिनके इस्तीफा देने पर मंत्री और विधायक दल के नेता का पद खाली हुआ है वह भी संथाल क्षेत्र से ही आते हैं और मुस्लिम नेता हैं. इस लिहाज से इरफान अंसारी का पलड़ा भारी दिख रहा है. हालांकि इस क्षेत्र से हफिजुल हसन मंत्री हैं, लेकिन वह जेएमएम के कोटे से हैं.

कुल मिलाकर देखें तो दीपिका पांडेय सिंह और इरफान अंसारी की दावेदारी मजबूत दिख रही है. वैसे तो झारखंड में पहले से ही एक मंत्री पद खाली है, जिसपर कांग्रेस दावा करती रही है. अब एक और मंत्री पद खाली हो गया है. ऐसे में दो मंत्री और एक विधायक दल के नेता का पद खाली है. जेएमएम से बार्गेन करने में अगर कांग्रेस सफल होती है, तो तीन विधायकों को मौका मिल सकता है.

गोड्डा के वरिष्ठ पत्रकार देवेन कुमार पिंटू बताते हैं कि सरकार के पास कम समय बचा है. भाजपा अपना फोकस ओबीसी पर किये हुए है. दोनों केंद्रीय मंत्री इसी कोटे से बनाया गाय है. ऐसे में कांग्रेस राज्य में सवर्ण और भाजपा के नजरों से गिरे महतो वोटर को खुश करने की रणनीति से एक मंत्री और नेता विधायक दल पर काम करती है, जिसकी संभावना अधिक है. जो उनके लिए फायदे की बात हो सकती है. हालांकि अभी देखना है कि कांग्रेस की रणनीति क्या है?

ये भी पढ़ें- आलमगीर आलम ने दिया मंत्री पद से इस्तीफा, जेल प्रशासन के माध्यम से मुख्यमंत्री को सौंपा त्याग पत्र - Minister Alamgir Alam resigned

रांची/गोड्डा: सोमवार को जेल में बंद आलमगीर आलम ने मंत्री पद और कांग्रेस विधायक दल के नेता के पद से इस्तीफा दे दिया है. आलमगीर आलम के इस्तीफा के बाद से एक तरफ चंपाई सोरेन सरकार में मंत्री पद खाली हो गया है, वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस विधायक दल के नेता का पद भी खाली हो गया है. दोनों ही पद पर जल्द नियुक्ति होने की संभावना जताई जा रही है.

पिछले दिनों कांग्रेस के छह से आठ विधायक मंत्रिमंडल में नए चेहरों को शामिल करने की मांग आलाकमान से कर चुके हैं. इस दौरान इनके तेवर भी बेहद तल्ख रहे हैं. अब कांग्रेस के पास मौका है कि उन आठ असंतुष्ट विधायकों में से दो के आक्रोश को शांत किया जा सके. एक को मंत्री बनाकर और दूसरे को कांग्रेस विधायक दल के नेता बनाकर. अब बात करते हैं कि इसे लेकर किनका पलड़ा भारी है.

असंतुष्ट विधायकों की बात करें तो उसमें सबसे मुखर थे बेरमो से विधायक जयमंगल सिंह उर्फ अनूप सिंह. कांग्रेस पहले ही उनकी पत्नी को लोकसभा का टिकट देकर उनके ग्रिवांसेज को खत्म कर चुकी है. अब बात करते हैं करते हैं शिल्पी नेहा तिर्की की. वह पूर्व शिक्षा मंत्री बंधु तिर्की की बेटी हैं. फिलहाल बंधु तिर्की झारखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं, ऐसे में शिल्पी को मंत्री बनाने की संभावना कम ही लग रही है.

जहां तक राजेश कच्छप और नमन विक्सल कोंगाड़ी की बात है, ये आदिवासी समाज से आते हैं और चंपाई मंत्रिमंडल में कांग्रेस कोटे से पहले से ही रामेश्वर उरांव मंत्री हैं, इस लिहाज से इनके नामों पर चर्चा कम है. महिला कोटे की बात करें तो दीपिका पांडेय सिंह और अंबा प्रसाद के नाम की चर्चा चल है. अंबा प्रसाद ओबीसी कोटे से हैं, चुकी केंद्र में मोदी मंत्रिमंडल में राज्य के दो ओबीसी चेहरों को मौका मिला है, तो यहां उसके काउंटर के लिए कांग्रेस अंबा प्रसाद को मौका दे सकती है. दीपिका पांडेय सवर्ण कोटे से आती हैं और उन्हें पहले लोकसभा के लिए गोड्डा सीट से टिकट दिया गया था बाद में काट दिया है. उनकी नाराजगी को खत्म करने के लिए भी उन्हें मौका मिल सकता है.

उमांशकर अकेला भी पिछले दिनों असंतुष्ट गुट में शामिल थे और दिल्ली तक पहुंच कर अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं. ओबीसी कोटा और उनके अनुभव को देखते हुए उन्हें विधायक दल का नेता भी बनाया जा सकता है. यहां यह बात समझना होगा कि अगर अकेला को विधायक दल का नेता बनाया जाता है तो अंबा प्रसाद मंत्री नहीं बन पाएंगी, क्योंकि दोनों ही एक ही क्षेत्र से आते हैं और दोनों ओबीसी वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं.

अब बात इरफान अंसारी की. इरफान अंसारी संथाल क्षेत्र से आते हैं और मुस्लिम नेता है. मंत्रिमंडल में बदलाव को लेकर ये भी मुखर रहे हैं. इनके पिता फुरकान अंसारी कांग्रेस के सीनियर लीडर हैं और गोड्डा से सांसद भी रह चुके हैं. गोड्डा लोकसभा सीट के लिए दावेदार भी थे. वहीं जिनके इस्तीफा देने पर मंत्री और विधायक दल के नेता का पद खाली हुआ है वह भी संथाल क्षेत्र से ही आते हैं और मुस्लिम नेता हैं. इस लिहाज से इरफान अंसारी का पलड़ा भारी दिख रहा है. हालांकि इस क्षेत्र से हफिजुल हसन मंत्री हैं, लेकिन वह जेएमएम के कोटे से हैं.

कुल मिलाकर देखें तो दीपिका पांडेय सिंह और इरफान अंसारी की दावेदारी मजबूत दिख रही है. वैसे तो झारखंड में पहले से ही एक मंत्री पद खाली है, जिसपर कांग्रेस दावा करती रही है. अब एक और मंत्री पद खाली हो गया है. ऐसे में दो मंत्री और एक विधायक दल के नेता का पद खाली है. जेएमएम से बार्गेन करने में अगर कांग्रेस सफल होती है, तो तीन विधायकों को मौका मिल सकता है.

गोड्डा के वरिष्ठ पत्रकार देवेन कुमार पिंटू बताते हैं कि सरकार के पास कम समय बचा है. भाजपा अपना फोकस ओबीसी पर किये हुए है. दोनों केंद्रीय मंत्री इसी कोटे से बनाया गाय है. ऐसे में कांग्रेस राज्य में सवर्ण और भाजपा के नजरों से गिरे महतो वोटर को खुश करने की रणनीति से एक मंत्री और नेता विधायक दल पर काम करती है, जिसकी संभावना अधिक है. जो उनके लिए फायदे की बात हो सकती है. हालांकि अभी देखना है कि कांग्रेस की रणनीति क्या है?

ये भी पढ़ें- आलमगीर आलम ने दिया मंत्री पद से इस्तीफा, जेल प्रशासन के माध्यम से मुख्यमंत्री को सौंपा त्याग पत्र - Minister Alamgir Alam resigned

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