श्रीनगर: उत्तराखंड एसएसबी प्रशिक्षित गुरिल्ला संगठन ने अपनी लंबित मांगों को लेकर सरकार को अल्टीमेटम दे दिया है. संगठन ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी तीन प्रमुख मांगों पर 15 दिसंबर तक कोई कार्रवाई शुरू नहीं हुई, तो वो 18 दिसंबर को मुख्यमंत्री आवास का घेराव करेंगे और 19 दिसंबर को आत्मदाह जैसे कठोर कदम उठाने को बाध्य होंगे. वहीं, रुद्रप्रयाग में केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत भीरी-डमार मोटरमार्ग पर 48 मीटर स्टील गार्डर पुल का निर्माण कई वर्षों बाद भी ना होने से नाराज ग्रामीणों ने धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है.
गुरिल्ला संगठन ने कहा कि 18 दिसंबर को सुबह 10 बजे जैन धर्मशाला से मुख्यमंत्री आवास तक रैली निकालकर घेराव किया जाएगा. संगठन ने यह भी स्पष्ट किया कि उनका यह आंदोलन पूरी तरह से शांतिपूर्ण होगा और न्याय एवं अधिकारों के लिए है.
यह हर गुरिल्ला का संघर्ष': संगठन के प्रदेश अध्यक्ष युद्धवीर सिंह राणा ने कहा कि हम सरकार से अपने हक और न्याय की उम्मीद रखते हैं. अगर हमारी मांगों को अनदेखा किया गया, तो मजबूरन हमें अपने आंदोलन को आगे बढ़ाना पड़ेगा. यह सिर्फ हमारा नहीं, बल्कि उत्तराखंड के हर एसएसबी प्रशिक्षित गुरिल्ला का संघर्ष है. गौरतलब है कि एसएसबी प्रशिक्षित गुरिल्ला लंबे समय से अपने अधिकारों और सुविधाओं के लिए संघर्षरत हैं. अब संगठन ने अपनी मांगों को लेकर सख्त रुख अपनाते हुए सरकार को अंतिम चेतावनी दी है.
ये है गुरिल्ला संगठन की तीन प्रमुख मांगें
- एसएसबी प्रशिक्षित गुरिल्लाओं को सरकारी नौकरियां दी जाएं.
- सभी गुरिल्लाओं के लिए पेंशन की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए.
- गुरिल्लाओं की अन्य लंबित समस्याओं का समाधान किया जाए.
रुद्रप्रयाग में ग्रामीणों का धरना- प्रदर्शन
रुद्रप्रयाग में केदारनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर डमार गांव के लिए सड़क कटी है, वहां पर ग्रामीणों ने विभाग और ठेकदार की लेट लतीफी से नाराज होकर धरना शुरू किया. ग्रामीणों ने मांग पूरी ना होने पर एक फरवरी को केदारनाथ हाईवे पर जाम लगाने की चेतावनी दी है. वहीं ग्रामीणों की मांग पर संज्ञान लेते हुए केदारनाथ विधायक ने जिलाधिकारी को अतिशीघ्र इस पर कार्रवाई करने को कहा है.
पीएमजीएसवाई जखोली द्वारा भीरी-डमार मोटर मार्ग का निर्माण 11 फरवरी 2016 में प्रारंभ हुआ था, जिसे 1 दिसंबर 2017 तक पूर्ण होना था, जबकि इसी मोटर मार्ग पर मंदाकिनी नदी पर 48 मीटर स्टील गार्डर पुल का निर्माण 19 फरवरी 2020 में प्रारंभ होकर 20 मई 2021 को पूर्ण होना था. मोटर मार्ग का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है, लेकिन अभी तक पुल का कार्य पूरा नहीं हो पाया है.
ग्रामीणों का आरोप है कि उनको बरगलाने के लिए केवल ढांचा खड़ाकर कार्य रोक दिया गया है. ग्रामीणों की ओर से लगातार विभाग को कार्य पूरा करने का अनुरोध किया गया, लेकिन विभाग ना तो ठेकदार को मना पाया न उसके खिलाफ कार्रवाई कर पाया. केदारनाथ उपचुनाव के दौरान ग्रामीणों द्वारा चुनाव बहिष्कार की घोषणा के बाद सरकार के दबाव में ठेकेदार ने पुल के ढांचे में स्लेब डालने के लिए लकड़ी लगाने का कार्य प्रारंभ कर दिया था, लेकिन चुनाव निपटते ही ठेकेदार फिर गायब हो गया. इससे नाराज ग्रामीणों ने विभाग के कार्यालय का घेराव भी किया, लेकिन फिर से कार्य प्रारंभ होने की डेडलाइन दी गई, लेकिन कार्य प्रारंभ नहीं हो पाया.
भीरी डमार मोटर मार्ग संघर्ष समिति के अध्यक्ष जगमोहन सिंह भंडारी और सचिव रघुवीर सिंह नेगी ने बताया कि अब ग्रामीणों के सब्र का बांध टूट गया है. लगातार दिए जा रहे वादों से जनता आजिज आ चुकी है और अब आरपार की लड़ाई लड़ने का निर्णय ले चुकी है. अगर शीघ्र ही प्रशासन ने पुल का कार्य प्रारंभ नहीं किया, तो ग्रामीण उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होंगे.
केदारनाथ विधायक आशा नौटियाल ने कहा कि भीरी-डमार पुल और मोटर मार्ग के संबंध में उन्होंने जिलाधिकारी से मिलकर बातचीत की है. उन्होंने कार्यदायी संस्था पीएमजीएसवाई जखोली के अभियंता और ठेकेदार से भी बात करके तुरंत निर्माण कार्य शुरू करने के निर्देश दिये हैं. उन्होंने कहा कि जनता की इस लंबित समस्या का तुरंत निस्तारण होना चाहिए.
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