नैनीताल: उत्तरकाशी मस्जिद विवाद पर गुरुवार पांच दिसंबर को उत्तराखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ती विवेक भारती शर्मा की खंडपीठ ने अगली सुनवाई तक राज्य सरकार को वहां पर कानून व्यवस्था बनाये रखने के आदेश दिये हैं. मामले की अगली सुनवाई अब 16 दिसंबर को होगी.
दरअसल, उत्तरकाशी की अल्पसंख्यक सेवा समिति ने इस मामले को लेकर उत्तराखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि बीती 24 सितंबर को कुछ संगठनों ने उत्तरकाशी शहर में भटवारी रोड स्थित सुन्नी सुमदाय की मस्जिद को अवैध बताकर उसे ध्वस्त करने की धमकी दी. इसकी वजह से वहां दोनों समुदाय में तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गयी है. इसीलिए मस्जिद की सुरक्षा करने के आदेश राज्य सरकार को दिए जाए.
याचिका में आगे कहा गया कि यह मस्जिद वैध है. मस्जिद साल 1969 में जमीन खरीद कर बनाई गई थी. साल 1986 में वक्फ कमिश्नर ने इसका निरीक्षण किया और मस्जिद वैध पाई गई. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता डॉक्टर कार्तिकेय हरि गुप्ता ने कोर्ट को यह भी बताया कि इस तरीके के भड़काऊ बयान देना सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है.
याचिकाकर्ता ने वकील ने कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को आदेश देकर कहा था कि अगर किसी जाति, धर्म या समुदाय के लिए भड़काऊ बयान का सहारा लिया जाता है, तो राज्य सरकार सीधे मुकदमा दर्ज करें. यदि सरकार ऐसा नहीं करती है तो वो सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन होगा, लेकिन राज्य सरकार ने अभी तक इस मामले में किसी के खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया. राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया है.
क्या है उत्तरकाशी मस्जिद विवाद?: बता दें कि उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में बीते कुछ समय से 55 साल पुरानी मस्जिद को लेकर विवाद चल रहा है. हाल ही में इस विवाद में उस समय तूल पकड़ा, जब उत्तरकाशी में मस्जिद को अवैध बताते हुए कुछ हिंदू संगठनों ने शहर में प्रशासन के खिलाफ जन आक्रोश रैली निकाली. रैली के दौरान शहर का माहौल बिगड़ गया था. इस दौरान पुलिस पर पथराव भी हुआ था. वहीं पुलिस ने भी लाठीचार्च किया था. इसके बाद उत्तरकाशी पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 8 नामजद और 200 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था.
जानकारी के लिए बता दें कि जिस उत्तरकाशी की जिस मस्जिद को लेकर विवाद हो रहा है, उस मस्जिद का निर्माण साल 1969 में हुआ था. मुस्लिम पक्ष ने प्रशासन को जो दस्तावेज उपलब्ध कराए है, उसमें चार नाली और 15 मुट्ठी जमीन का सौदा 20 मई 1936 में हुआ था. 21 अक्टूबर 2024 को उत्तरकाशी जिला प्रशासन ने भी प्रेस नोट जारी कर बताया था कि ये जमीन रमजान अली पुत्र बजीर अली, अब्दुल हमीद बेग पुत्र फतेह बेग, अली अहमद पुत्र रसीद अहमद, यासीन बेग पुत्र आशीग बेग, ईलाही वक्श पुत्र जहांगीरवक्श और मुहम्मद रफीक पुत्र जहांगीर बक्स साकिनान उत्तरकाशी पट्टी बाड़ाहाट तहसील भटवाड़ी को बेची गई थी.
साल 2005 में इस मस्जिद की जमीन का दाखिल-खारिज किया गया था. जिसके बाद यह कानून विवाद में आ गई थी. साल 2023 में हिंदू संगठन ने इस मस्जिद को अवैध बताकर जिला प्रशासन से इसके निर्माण को लेकर आरटीआई में जानकारी मांगी. उसी के बाद विवाद बढ़ता चला गया.
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