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स्टोन क्रशरों का करोड़ों का जुर्माना माफ करने का मामला, सरकार ने कोर्ट को सौंपी रिपोर्ट - Fine Worth Crores of Stone Crushers

Fine Worth Crores of Stone Crushers स्टोन क्रशरों द्वारा अवैध खनन एवं भंडारण पर लगाए गए करीब 50 करोड़ रुपए जुर्माने को माफ करने के मामले पर होईकोर्ट ने सुनवाई की. सुनवाई के दौरान सरकार ने आज अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश की.

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फाइल फोटो
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Apr 1, 2024, 3:28 PM IST

नैनीतालः उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नैनीताल के पूर्व जिलाधिकारी द्वारा अपने कार्यकाल के दौरान विभिन्न स्टोन क्रशरों के अवैध खनन एवं भंडारण पर लगाए गए करीब 50 करोड़ रुपए जुर्माने को माफ कर देने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने अगली सुनवाई हेतु अगस्त माह की तिथि नियत की है. आज राज्य सरकार के द्वारा पूर्व के आदेश के क्रम में रिपोर्ट पेश की गई. लेकन रिपोर्ट हिंदी में होने के कारण कोर्ट सरकार से इसका अंग्रेजी में अनुवाद कर पेश करने को कहा है. साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता से इस रिपोर्ट का अध्ययन करने को भी कहा है.

मामले के मुताबिक, सामाजिक कार्यकर्ता चोरलगिया, नैनीताल निवासी भुवन पोखरियाल ने जनहित याचिका दायर कर कहा कि वर्ष 2016-17 में नैनीताल के तत्कालीन जिलाधिकारी के द्वारा कई स्टोन क्रशरों का अवैध खनन और भंडारण का जुर्माना करीब 50 करोड़ रुपए माफ कर दिया. जिलाधिकारी ने उन स्टोन क्रशरों का जुर्माना माफ किया, जिनपर जुर्माना करोड़ों में था और जिनका जुर्माना कम था, उनका माफ नहीं किया. जब इसकी शिकायत मुख्य सचिव और सचिव खनन से की गई तो उसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई. जबकि कहा गया कि यह जिलाधिकारी का विशेषाधिकार है. जब याचिकाकर्ता द्वारा शासन से इसका लिखित रूप में जवाब मांगा तो आज की तिथि तक उन्हें इसका लिखित जवाब नहीं दिया गया.

इसके बाद याचिकाकर्ता ने, जिलाधिकारी को किस नियमावली के तहत अवैध खनन और भंडारण पर लगे जुर्माने को माफ करने का अधिकार प्राप्त है, आरटीआई के माध्यम से अवगत कराने की मांग की. जिसके उत्तर में लोक सूचना अधिकारी औद्योगिक विभाग उत्तराखंड द्वारा कहा गया कि लोक प्राधिकार के अंतर्गत यह धारित नहीं है. जनहित याचिका में कहा गया कि जब लोक प्राधिकार में उक्त नियम धारित नहीं है तो जिलाधिकारी के द्वारा कैसे स्टोन क्रशरों पर लगे 50 करोड़ रुपए का जुर्माना माफ कर दिया. जबकि औद्योगिक विभाग के द्वारा 21 अक्टूबर 2020 को इस पर आख्या प्रस्तुत करने को कहा था, जो प्रस्तुत नहीं किया गया. जनहित याचिका में कोर्ट से मांग की गई है कि इस पर कार्रवाई की जाए. क्योंकि यह प्रदेश के राजस्व की हानि है.

ये भी पढ़ेंः हल्द्वानी में सरकारी जमीन को बेचने का मामला, हाईकोर्ट ने सरकार समेत विभागों से 10 दिन में मांगी जांच रिपोर्ट

नैनीतालः उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नैनीताल के पूर्व जिलाधिकारी द्वारा अपने कार्यकाल के दौरान विभिन्न स्टोन क्रशरों के अवैध खनन एवं भंडारण पर लगाए गए करीब 50 करोड़ रुपए जुर्माने को माफ कर देने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने अगली सुनवाई हेतु अगस्त माह की तिथि नियत की है. आज राज्य सरकार के द्वारा पूर्व के आदेश के क्रम में रिपोर्ट पेश की गई. लेकन रिपोर्ट हिंदी में होने के कारण कोर्ट सरकार से इसका अंग्रेजी में अनुवाद कर पेश करने को कहा है. साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता से इस रिपोर्ट का अध्ययन करने को भी कहा है.

मामले के मुताबिक, सामाजिक कार्यकर्ता चोरलगिया, नैनीताल निवासी भुवन पोखरियाल ने जनहित याचिका दायर कर कहा कि वर्ष 2016-17 में नैनीताल के तत्कालीन जिलाधिकारी के द्वारा कई स्टोन क्रशरों का अवैध खनन और भंडारण का जुर्माना करीब 50 करोड़ रुपए माफ कर दिया. जिलाधिकारी ने उन स्टोन क्रशरों का जुर्माना माफ किया, जिनपर जुर्माना करोड़ों में था और जिनका जुर्माना कम था, उनका माफ नहीं किया. जब इसकी शिकायत मुख्य सचिव और सचिव खनन से की गई तो उसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई. जबकि कहा गया कि यह जिलाधिकारी का विशेषाधिकार है. जब याचिकाकर्ता द्वारा शासन से इसका लिखित रूप में जवाब मांगा तो आज की तिथि तक उन्हें इसका लिखित जवाब नहीं दिया गया.

इसके बाद याचिकाकर्ता ने, जिलाधिकारी को किस नियमावली के तहत अवैध खनन और भंडारण पर लगे जुर्माने को माफ करने का अधिकार प्राप्त है, आरटीआई के माध्यम से अवगत कराने की मांग की. जिसके उत्तर में लोक सूचना अधिकारी औद्योगिक विभाग उत्तराखंड द्वारा कहा गया कि लोक प्राधिकार के अंतर्गत यह धारित नहीं है. जनहित याचिका में कहा गया कि जब लोक प्राधिकार में उक्त नियम धारित नहीं है तो जिलाधिकारी के द्वारा कैसे स्टोन क्रशरों पर लगे 50 करोड़ रुपए का जुर्माना माफ कर दिया. जबकि औद्योगिक विभाग के द्वारा 21 अक्टूबर 2020 को इस पर आख्या प्रस्तुत करने को कहा था, जो प्रस्तुत नहीं किया गया. जनहित याचिका में कोर्ट से मांग की गई है कि इस पर कार्रवाई की जाए. क्योंकि यह प्रदेश के राजस्व की हानि है.

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