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हिमालय की गर्मी से बनेगी बिजली, उत्तराखंड में जियोथर्मल एनर्जी प्लांट को लेकर कवायद तेज, जानें पूरी योजना - GEOTHERMAL ENERGY

उत्तराखंड में भू-तापीय ऊर्जा (जियोथर्मल एनर्जी) की संभावनों को तलाश जा रही है, जिसको लेकर जल्द ही आइसलैंड के साथ एमओयू साइन होने वाला है.

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आइसलैंड सरकार के साथ हुई चर्चा. (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Nov 29, 2024, 8:45 PM IST

Updated : Dec 2, 2024, 11:50 AM IST

देहरादून: उत्तराखंड ऊर्जा प्रदेश बनने की तरफ एक और कदम बढ़ाने जा रहा है. एक तरफ जहां सरकार सोलर एनर्जी को बढ़ावा दे रही है तो वहीं दूसरी ओर सरकार को फोकस जियोथर्मल एनर्जी की तरफ भी बढ़ा है. इसी क्रम में उत्तराखंड सरकार के तमाम अधिकारी आइसलैंड दौरे पर गए थे, जहां उन्होंने आइसलैंड में बने जियोथर्मल पावर प्लांट की बारीकियों को देखा. इसके साथ ही उत्तराखंड सरकार ने यह निर्णय लिया था कि उत्तराखंड के कुछ जगहों पर पायलट प्रोजेक्ट के रूप में जियोथर्मल पावर प्लांट स्थापित जाएगा. इसके लिए आइसलैंड सरकार के साथ टेक्नोलॉजी साझा करने के लिए एमओयू साइन किया जाएगा.

2000 मेगावाट बिजली का उत्पादन आसानी से किया जा सकता है: उत्तराखंड में जियोथर्मल एनर्जी की अपार संभावनाएं है, जिसका अगर सही ढंग से इस्तेमाल किया जाए तो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना बिजली का उत्पादन किया जा सकता है. यही वजह है सरकार जियोथर्मल से विद्युत उत्पादन पर जोर दे रही है. देश के हिमालयी क्षेत्रों में बड़ी संख्या में तप्त कुंड मौजूद है. हालांकि अभी तक करीब 340 तप्त कुंड के स्रोत ही चिन्हित किए गए है. यदि यहां भी जियोथर्मल पावर प्लांट लगाया जाए तो करीब करीब 2000 मेगावाट बिजली का उत्पादन आसानी से किया जा सकता है.

उत्तराखंड में हिमालय की गर्मी से बनेगी बिजली (ETV Bharat)

उत्तराखंड में 40 तप्त कुंड मौजूद है: वहीं, उत्तराखंड की बात करे तो प्रदेश में 40 तप्त कुंड मौजूद है, जिसमें से 20 गढ़वाल और 20 कुमाऊं क्षेत्र में है. चमोली जिले के तपोवन में मौजूद जियोथर्मल स्प्रिंग्स से करीब 5 मेगावाट तक बिजली का उत्पादन किया जा सकता है, जिसको देखते हुए सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी भारत सरकार ने पिछले साल 2023 में जियोथर्मल एनर्जी के इस्तेमाल को लेकर उत्तराखंड सरकार को पत्र भेजा था. ताकि वैकल्पिक ऊर्जा पर जोर दिया जा सके.

उत्तराखंड के अधिकारियों ने किया था आइसलैंड का दौरा: इसी क्रम में 12 जुलाई 2024 को भारत में आइसलैंड के राजदूत के साथ प्रारंभिक बैठक हुई थी. इसके बाद आइसलैंड सरकार ने आइसलैंड दूतावास के जरिए उत्तराखंड सरकार को आइसलैंड में मौजूद भूतापीय परियोजनाओं को देखने, एमओयू पर चर्चा करने और क्षेत्र का दौरा करने के लिए निमंत्रण दिया था. इसके बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ऊर्जा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल को रेक्जाविक आइसलैंड का दौरा करने का निर्देश दिया. जिसके क्रम में एक अगस्त 2024 को प्रतिनिधिमंडल ने अंतरराष्ट्रीय भू-तापीय इंजीनियरिंग परामर्श फर्म वर्किस का दौरा किया था.

भू-तापीय परियोजनाओं पर चर्चा: साथ ही वर्किस आइसलैंड में जियोसर्वे और भू-तापीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के अधिकारियों ने उत्तराखंड में भू-तापीय परियोजनाओं पर चर्चा की थी. आइसलैंड दौरे के बाद अधिकारियों ने पायलट प्रोजेक्ट के रूप में प्रदेश में मौजूद एक तप्तकुंड पर जियोथर्मल पावर प्लांट लगाने का निर्णय लिया था. इसके लिए आइसलैंड सरकार के साथ एमओयू साइन किया जाना था. ताकि आइसलैंड अपनी टेक्नोलॉजी को उत्तराखंड सरकार के साथ साझा करते हुए जियोथर्मल पावर प्लांट की बारीकियों को बताए. हालांकि इस बात को कई महीने बीत गए है, लेकिन अभी तक आइसलैंड सरकार के साथ एमओयू साइन नहीं हो पाया है. लेकिन अब इस दौरान सरकार की तरफ से कुछ कदम आगे बढ़ाए गए है.

आइसलैंड सरकार के साथ होगा एमओयू साइन: इस बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए ऊर्जा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि जियोथर्मल पावर प्लांट स्थापित करने के लिए आइसलैंड सरकार के साथ एमओयू साइन करना है. उत्तराखंड सरकार को दूसरे देश के साथ एमओयू साइन करना है, जिसके चलते विदेश मंत्रालय को एमओयू की कॉपी भेजकर परमिशन मांगा गया था. विदेश मंत्रालय ने एमओयू की कॉपी को नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) को भेजी थी. जिसपर एमएनआरई ने सहमति दे दी थी.

एमएनआरई से सहमति मिलने के बाद उत्तराखंड सरकार ने एमओयू की कॉपी को पर्यावरण मंत्रालय को भेजा था, जिस पर पर्यावरण मंत्रालय ने कुछ क्वेरी मांगी थी, जिसका जवाब दे दिया गया है. साथ ही ऊर्जा सचिव ने बताया कि उन्हें उम्मीद है कि अगले 15 से 20 दिनों में नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय से परमिशन मिल जायेगा. उसके बाद प्रदेश में मौजूद 40 जियोथर्मल में एक जियोथर्मल पर फिजिबिलिटी स्टडी (Feasibility Study) के लिए आइसलैंड सरकार के साथ एमओयू साइन किया जाएगा.

साथ ही बताया कि फिजिबिलिटी स्टडी से पहले जियोथर्मल से संबंधित मौजूद डाटा को लेकर एक्सरसाइज़ की जाएगी. इसके बाद जो फिजिबिलिटी स्टडी होगी उसके लिए ड्रिलिंग किया जाएगा. जिसका खर्च यूजेवीएनएल के जरिए उठाया जाएगा, इसके बाद सरकार के किसी माध्यम से यूजेवीएनएल को पैसा उपलब्ध कराया जाएगा.

साथ ही बताया कि फिलहाल दो स्थान बदरीनाथ और तपोवन में मौजूद जियोथर्मल को चिन्हित किया गया है. ऐसे में पहले दोनों जियोथर्मल को लेकर टेबल टॉक किया जाएगा. सब कुछ सही रहा तो फिर ड्रिलिंग के जरिए फिजिबिलिटी स्टडी की जाएगी. वैसे ड्रिलिंग के बाद ही पता चल पाएगा कि जियोथर्मल पावर प्लांट स्थापित करने की कितनी संभावना है.

साथ ही कहा कि किसी एक जियोथर्मल पर फ़िज़िबिलिटी स्टडी के लिए अगर ड्रिलिंग की जाती है तो करीब 3 से 4 करोड़ रुपए के खर्च आने की संभावना है. इसके अलावा ओएनजीसी ने भी उत्तराखंड में जियोथर्मल पावर प्लांट लगाने के लिए इच्छा जाहिर की है. ऐसे में ओएनजीसी के साथ भी एमओयू साइन किया जाएगा.

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देहरादून: उत्तराखंड ऊर्जा प्रदेश बनने की तरफ एक और कदम बढ़ाने जा रहा है. एक तरफ जहां सरकार सोलर एनर्जी को बढ़ावा दे रही है तो वहीं दूसरी ओर सरकार को फोकस जियोथर्मल एनर्जी की तरफ भी बढ़ा है. इसी क्रम में उत्तराखंड सरकार के तमाम अधिकारी आइसलैंड दौरे पर गए थे, जहां उन्होंने आइसलैंड में बने जियोथर्मल पावर प्लांट की बारीकियों को देखा. इसके साथ ही उत्तराखंड सरकार ने यह निर्णय लिया था कि उत्तराखंड के कुछ जगहों पर पायलट प्रोजेक्ट के रूप में जियोथर्मल पावर प्लांट स्थापित जाएगा. इसके लिए आइसलैंड सरकार के साथ टेक्नोलॉजी साझा करने के लिए एमओयू साइन किया जाएगा.

2000 मेगावाट बिजली का उत्पादन आसानी से किया जा सकता है: उत्तराखंड में जियोथर्मल एनर्जी की अपार संभावनाएं है, जिसका अगर सही ढंग से इस्तेमाल किया जाए तो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना बिजली का उत्पादन किया जा सकता है. यही वजह है सरकार जियोथर्मल से विद्युत उत्पादन पर जोर दे रही है. देश के हिमालयी क्षेत्रों में बड़ी संख्या में तप्त कुंड मौजूद है. हालांकि अभी तक करीब 340 तप्त कुंड के स्रोत ही चिन्हित किए गए है. यदि यहां भी जियोथर्मल पावर प्लांट लगाया जाए तो करीब करीब 2000 मेगावाट बिजली का उत्पादन आसानी से किया जा सकता है.

उत्तराखंड में हिमालय की गर्मी से बनेगी बिजली (ETV Bharat)

उत्तराखंड में 40 तप्त कुंड मौजूद है: वहीं, उत्तराखंड की बात करे तो प्रदेश में 40 तप्त कुंड मौजूद है, जिसमें से 20 गढ़वाल और 20 कुमाऊं क्षेत्र में है. चमोली जिले के तपोवन में मौजूद जियोथर्मल स्प्रिंग्स से करीब 5 मेगावाट तक बिजली का उत्पादन किया जा सकता है, जिसको देखते हुए सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी भारत सरकार ने पिछले साल 2023 में जियोथर्मल एनर्जी के इस्तेमाल को लेकर उत्तराखंड सरकार को पत्र भेजा था. ताकि वैकल्पिक ऊर्जा पर जोर दिया जा सके.

उत्तराखंड के अधिकारियों ने किया था आइसलैंड का दौरा: इसी क्रम में 12 जुलाई 2024 को भारत में आइसलैंड के राजदूत के साथ प्रारंभिक बैठक हुई थी. इसके बाद आइसलैंड सरकार ने आइसलैंड दूतावास के जरिए उत्तराखंड सरकार को आइसलैंड में मौजूद भूतापीय परियोजनाओं को देखने, एमओयू पर चर्चा करने और क्षेत्र का दौरा करने के लिए निमंत्रण दिया था. इसके बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ऊर्जा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल को रेक्जाविक आइसलैंड का दौरा करने का निर्देश दिया. जिसके क्रम में एक अगस्त 2024 को प्रतिनिधिमंडल ने अंतरराष्ट्रीय भू-तापीय इंजीनियरिंग परामर्श फर्म वर्किस का दौरा किया था.

भू-तापीय परियोजनाओं पर चर्चा: साथ ही वर्किस आइसलैंड में जियोसर्वे और भू-तापीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के अधिकारियों ने उत्तराखंड में भू-तापीय परियोजनाओं पर चर्चा की थी. आइसलैंड दौरे के बाद अधिकारियों ने पायलट प्रोजेक्ट के रूप में प्रदेश में मौजूद एक तप्तकुंड पर जियोथर्मल पावर प्लांट लगाने का निर्णय लिया था. इसके लिए आइसलैंड सरकार के साथ एमओयू साइन किया जाना था. ताकि आइसलैंड अपनी टेक्नोलॉजी को उत्तराखंड सरकार के साथ साझा करते हुए जियोथर्मल पावर प्लांट की बारीकियों को बताए. हालांकि इस बात को कई महीने बीत गए है, लेकिन अभी तक आइसलैंड सरकार के साथ एमओयू साइन नहीं हो पाया है. लेकिन अब इस दौरान सरकार की तरफ से कुछ कदम आगे बढ़ाए गए है.

आइसलैंड सरकार के साथ होगा एमओयू साइन: इस बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए ऊर्जा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि जियोथर्मल पावर प्लांट स्थापित करने के लिए आइसलैंड सरकार के साथ एमओयू साइन करना है. उत्तराखंड सरकार को दूसरे देश के साथ एमओयू साइन करना है, जिसके चलते विदेश मंत्रालय को एमओयू की कॉपी भेजकर परमिशन मांगा गया था. विदेश मंत्रालय ने एमओयू की कॉपी को नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) को भेजी थी. जिसपर एमएनआरई ने सहमति दे दी थी.

एमएनआरई से सहमति मिलने के बाद उत्तराखंड सरकार ने एमओयू की कॉपी को पर्यावरण मंत्रालय को भेजा था, जिस पर पर्यावरण मंत्रालय ने कुछ क्वेरी मांगी थी, जिसका जवाब दे दिया गया है. साथ ही ऊर्जा सचिव ने बताया कि उन्हें उम्मीद है कि अगले 15 से 20 दिनों में नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय से परमिशन मिल जायेगा. उसके बाद प्रदेश में मौजूद 40 जियोथर्मल में एक जियोथर्मल पर फिजिबिलिटी स्टडी (Feasibility Study) के लिए आइसलैंड सरकार के साथ एमओयू साइन किया जाएगा.

साथ ही बताया कि फिजिबिलिटी स्टडी से पहले जियोथर्मल से संबंधित मौजूद डाटा को लेकर एक्सरसाइज़ की जाएगी. इसके बाद जो फिजिबिलिटी स्टडी होगी उसके लिए ड्रिलिंग किया जाएगा. जिसका खर्च यूजेवीएनएल के जरिए उठाया जाएगा, इसके बाद सरकार के किसी माध्यम से यूजेवीएनएल को पैसा उपलब्ध कराया जाएगा.

साथ ही बताया कि फिलहाल दो स्थान बदरीनाथ और तपोवन में मौजूद जियोथर्मल को चिन्हित किया गया है. ऐसे में पहले दोनों जियोथर्मल को लेकर टेबल टॉक किया जाएगा. सब कुछ सही रहा तो फिर ड्रिलिंग के जरिए फिजिबिलिटी स्टडी की जाएगी. वैसे ड्रिलिंग के बाद ही पता चल पाएगा कि जियोथर्मल पावर प्लांट स्थापित करने की कितनी संभावना है.

साथ ही कहा कि किसी एक जियोथर्मल पर फ़िज़िबिलिटी स्टडी के लिए अगर ड्रिलिंग की जाती है तो करीब 3 से 4 करोड़ रुपए के खर्च आने की संभावना है. इसके अलावा ओएनजीसी ने भी उत्तराखंड में जियोथर्मल पावर प्लांट लगाने के लिए इच्छा जाहिर की है. ऐसे में ओएनजीसी के साथ भी एमओयू साइन किया जाएगा.

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Last Updated : Dec 2, 2024, 11:50 AM IST
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