ETV Bharat / state

औषधीय गुणों का भंडार है ये जंगली फल, डायबिटीज-हार्ट की बीमारी का भी पक्‍का इलाज, यहां पढ़ें घिंघारू की खूबियां - Ghingaru fruit Qualities

author img

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Aug 17, 2024, 5:11 PM IST

Updated : Aug 17, 2024, 9:05 PM IST

Ghingaru fruit Qualities, Ghingaru ke Fayde घिंघारू एक पहाड़ी फल है. इस फल का पौधा औषधीय गुणों से भरपूर होता है. इसके लिए फल, फूल, पत्तियां और टहनियों का कई तरीके से इस्तेमाल किया जाता है. घिंघारू का फल कई गुणों का भंडार है इसके सेवन से कई बीमारियां दूर होती हैं.

Etv Bharat
औषधीय गुणों का भंडार है ये जंगली फल (Etv Bharat)
औषधीय गुणों का भंडार है ये जंगली फल (Etv Bharat)

रामनगर: उत्तराखंड के नैनीताल जिले के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में मिलने वाला घिंगारू औषधीय गुणों का भंडार है. इस साथ ही इस फल में कई चमत्कारी गुण हैं. यह फल कई रोगों में चमत्कारी फायदा करता है. यह फल, पहाड़ों पर जून जुलाई अगस्त सितंबर तक देखा जाता है. यह फल नैनीताल जिले के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में कोटाबाग़ ब्लॉक के दुर्गम क्षेत्रों में, रामगढ़ में, भीमताल में, नैनीताल के दुर्गम क्षेत्रों में,अल्मोड़ा,पिथौरागढ़ आदि ऊंचाई वाले क्षेत्रों में मिलता है.

ऊंचाई वाले इलाकों में मिलता है घिंगारू: घिंगारू टमाटर या सेब की तरह भी दिखाई देता है. इसका आकार बहुत छोटा होता है. यह फल हल्के खट्टे, कसैले और स्वाद में मीठे होते हैं. घिंघारू में प्रोटीन पर्याप्त मात्रा में पाई जाती है. इसका पौधा मध्यम आकार का होता है. इसकी शाखाएं कांटेदार तथा पत्ते गहरे रंग के होते हैं. यह पौधा 400 से 2700 मीटर की ऊंचाई वाले पर्वतीय क्षेत्रों में पाया जाता है.

5 बीमारियों का रामबाण इलाज: पहाड़ों पर रहने वाले लोग बताते हैं कि घिंगारू यह बहुत ही स्वादिष्ट होता है. यह कई बीमारियों में इस्तेमाल किया जाता है. मुख्य तौर पर हार्ट के लिए पेट की पाचन क्रिया के लिए घिंगारू इस्तेमाल किया जाता है.आयुर्वेद में प्रैक्टिस कर रहे डॉक्टर जीएस कोटिया ने बताया यह पहाड़ी फल कई नामों से जाना है. जिसे कुमाऊंनी में घिंगारु, गढ़वाली में घिंघरू और नेपाली में घंगारू के नाम से जाना जाता है.

हार्ट डिजीज में हेल्पफुल है घिंगारू: छोटे-छोटे लाल सेव जैसे दिखने वाले घिंघरू के फलों को हिमालयन रेड बेरी, फायर थोर्न एप्पल या व्हाइट थोर्न भी कहते हैं. इसका वानस्पतिक नाम पैइराकैंथा क्रेनुलाटा है. उन्होंने कहा खाने में यह खट्टा और मीठा होता है. डॉक्टर ने बताया कि यह कई बीमारियों में रामबाण है. मुख्य तौर पर हृदय रोग, रक्तचाप, खूनी दस्त, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने आदि कई बीमारियों के लिए यह रामबाण माना जाता है.

मधुमेह रोगों को ठीक करने में उपयोगी: उन्होंने बताया अगर किसी को खूनी दस्त हो जाये तो घिंघारू के फलों को सुखाकर चूर्ण बनाकर दही के साथ खूनी दस्त का उपचार किया जाता है. इन फलों में पर्याप्त मात्रा में शुगर भी पाई जाती है. यह शरीर को तत्काल ऊर्जा प्रदान करती है. इसके अलावा इसकी टहनी का प्रयोग दांतून के रूप में भी किया जाता है. जिससे दांत दर्द से निजात मिल सकती है. उन्होंने बताया घिंघारू के फल और पत्तियों में उच्च मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट और एंटी इन्फलामेट्री गुण होने की वजह से यह हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, मधुमेह रोगों को ठीक करने में मदद कर सकता है.

जीएस कोटिया ने बताया घिंगारू में मौजूद बायोफ्लोनोइड्स हृदय में रक्त संचार को संतुलित करता है. यह रक्त वाहिकाओं को नष्ट होने से भी बचाता है. इसके अलावा यह मस्तिष्क में भी रक्त के प्रवाह को सुचारू करने में सक्षम है. जिसके याददाश्त बढ़ती है. औषधीय फल घिंघारू प्रोटीन का अच्छा स्रोत माना जाता है. ऐसे में सेहत को हेल्दी रखने के लिए इस फल का सेवन जरूर करना चाहिए.

पढे़ं- उत्तराखंड में मिलती है दुनिया की सबसे पावरफुल सब्जी, गुणों से भरपूर, स्वाद में भी शानदार, क्लिक कर पढ़ें - Uttarakhand Linguda Vegetable

औषधीय गुणों का भंडार है ये जंगली फल (Etv Bharat)

रामनगर: उत्तराखंड के नैनीताल जिले के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में मिलने वाला घिंगारू औषधीय गुणों का भंडार है. इस साथ ही इस फल में कई चमत्कारी गुण हैं. यह फल कई रोगों में चमत्कारी फायदा करता है. यह फल, पहाड़ों पर जून जुलाई अगस्त सितंबर तक देखा जाता है. यह फल नैनीताल जिले के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में कोटाबाग़ ब्लॉक के दुर्गम क्षेत्रों में, रामगढ़ में, भीमताल में, नैनीताल के दुर्गम क्षेत्रों में,अल्मोड़ा,पिथौरागढ़ आदि ऊंचाई वाले क्षेत्रों में मिलता है.

ऊंचाई वाले इलाकों में मिलता है घिंगारू: घिंगारू टमाटर या सेब की तरह भी दिखाई देता है. इसका आकार बहुत छोटा होता है. यह फल हल्के खट्टे, कसैले और स्वाद में मीठे होते हैं. घिंघारू में प्रोटीन पर्याप्त मात्रा में पाई जाती है. इसका पौधा मध्यम आकार का होता है. इसकी शाखाएं कांटेदार तथा पत्ते गहरे रंग के होते हैं. यह पौधा 400 से 2700 मीटर की ऊंचाई वाले पर्वतीय क्षेत्रों में पाया जाता है.

5 बीमारियों का रामबाण इलाज: पहाड़ों पर रहने वाले लोग बताते हैं कि घिंगारू यह बहुत ही स्वादिष्ट होता है. यह कई बीमारियों में इस्तेमाल किया जाता है. मुख्य तौर पर हार्ट के लिए पेट की पाचन क्रिया के लिए घिंगारू इस्तेमाल किया जाता है.आयुर्वेद में प्रैक्टिस कर रहे डॉक्टर जीएस कोटिया ने बताया यह पहाड़ी फल कई नामों से जाना है. जिसे कुमाऊंनी में घिंगारु, गढ़वाली में घिंघरू और नेपाली में घंगारू के नाम से जाना जाता है.

हार्ट डिजीज में हेल्पफुल है घिंगारू: छोटे-छोटे लाल सेव जैसे दिखने वाले घिंघरू के फलों को हिमालयन रेड बेरी, फायर थोर्न एप्पल या व्हाइट थोर्न भी कहते हैं. इसका वानस्पतिक नाम पैइराकैंथा क्रेनुलाटा है. उन्होंने कहा खाने में यह खट्टा और मीठा होता है. डॉक्टर ने बताया कि यह कई बीमारियों में रामबाण है. मुख्य तौर पर हृदय रोग, रक्तचाप, खूनी दस्त, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने आदि कई बीमारियों के लिए यह रामबाण माना जाता है.

मधुमेह रोगों को ठीक करने में उपयोगी: उन्होंने बताया अगर किसी को खूनी दस्त हो जाये तो घिंघारू के फलों को सुखाकर चूर्ण बनाकर दही के साथ खूनी दस्त का उपचार किया जाता है. इन फलों में पर्याप्त मात्रा में शुगर भी पाई जाती है. यह शरीर को तत्काल ऊर्जा प्रदान करती है. इसके अलावा इसकी टहनी का प्रयोग दांतून के रूप में भी किया जाता है. जिससे दांत दर्द से निजात मिल सकती है. उन्होंने बताया घिंघारू के फल और पत्तियों में उच्च मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट और एंटी इन्फलामेट्री गुण होने की वजह से यह हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, मधुमेह रोगों को ठीक करने में मदद कर सकता है.

जीएस कोटिया ने बताया घिंगारू में मौजूद बायोफ्लोनोइड्स हृदय में रक्त संचार को संतुलित करता है. यह रक्त वाहिकाओं को नष्ट होने से भी बचाता है. इसके अलावा यह मस्तिष्क में भी रक्त के प्रवाह को सुचारू करने में सक्षम है. जिसके याददाश्त बढ़ती है. औषधीय फल घिंघारू प्रोटीन का अच्छा स्रोत माना जाता है. ऐसे में सेहत को हेल्दी रखने के लिए इस फल का सेवन जरूर करना चाहिए.

पढे़ं- उत्तराखंड में मिलती है दुनिया की सबसे पावरफुल सब्जी, गुणों से भरपूर, स्वाद में भी शानदार, क्लिक कर पढ़ें - Uttarakhand Linguda Vegetable

Last Updated : Aug 17, 2024, 9:05 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.