देहरादून: उत्तराखंड वन विभाग में आरक्षी पद पर नियुक्ति को लेकर करीब 160 युवा असमंजस में हैं. स्थिति यह है कि पिछले कई महीनों से ये युवा वन महकमे में फाइलों की सुस्त रफ्तार का हर्जाना भुगत रहे हैं. न तो ये युवा किसी दूसरी भर्ती की तैयारी कर पा रहे हैं और न ही विभाग इन्हें तैनाती दे रहा है. ऐसे में थक हारकर अब इन युवाओं ने महकमे के खिलाफ मोर्चा खोल लिया है.
उत्तराखंड वन विभाग का ढुलमुल रवैया कई युवाओं पर भारी पड़ रहा है. मामला वन आरक्षी परीक्षा 2022 में तैनाती से जुड़ा हुआ है. दरअसल, यह परीक्षा 894 पद के लिए हुई थी. जिसमें बड़ी संख्या में युवाओं ने चयन होने के बाद भी तैनाती नहीं ली. बार-बार रिमाइंडर भेजने के बाद भी चयनित युवाओं ने अपनी दिलचस्पी तैनाती लेने में नहीं दिखाई, जिसके बाद उत्तराखंड लोक सेवा आयोग से प्रतीक्षा सूची विभाग की ओर से मांगी गई.
प्रतीक्षा सूची में हैं 160 अभ्यर्थी: खास बात ये है कि आयोग ने भी प्रतीक्षा सूची विभाग को भेज दी है, लेकिन इसके बावजूद वन विभाग में प्रतीक्षा सूची में शामिल युवाओं को तैनाती नहीं मिल पाई है. युवाओं का कहना है कि प्रतीक्षा सूची में 160 अभ्यर्थी ऐसे थे, जिन्हें तैनाती दी जानी थी, लेकिन लंबे समय से विभाग तैनाती को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं कर पा रहा है और मामला केवल फाइलों तक ही लंबित है.
युवाओं का टूट रहा सब्र का बांध: युवाओं की मानें तो अब सब्र का बांध टूट रहा है. इसलिए प्रतीक्षा सूची में मौजूद युवाओं को वन विभाग में प्रदर्शन करना पड़ रहा है. बड़ी बात ये है कि विभाग के अधिकारी तैनाती को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं कर पा रहे हैं, जिसके कारण अभ्यर्थी भी दुविधा में हैं. लिहाजा, उन्हें धरना प्रदर्शन करने को मजबूर होना पड़ा है.
सीसीएफ एचआरडी ने मामले में दिया ये जवाब: सीसीएफ एचआरडी मीनाक्षी जोशी से ईटीवी भारत ने जब मामले पर मौजूदा स्थिति पूछी तो उन्होंने कहा कि अभी यह मामला शासन में पेंडिंग है. प्रतीक्षा सूची में मौजूद अभ्यर्थियों को तैनाती दिए जाने से जुड़ी फाइल शासन को भेजी गई थी. शासन ने कुछ आपत्ति पर एचआरडी से जानकारी मांगी है. जिसके लिए आयोग से संपर्क किया जा रहा है. फिलहाल, इस मामले में ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता और शासन स्तर पर अनुमोदन के बाद ही तैनाती को लेकर स्थिति स्पष्ट हो सकती है.
उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के सचिव ने कही ये बात: वन आरक्षी परीक्षा 2022 उत्तराखंड लोक सेवा आयोग की ओर से करवाई गई थी. यह परीक्षा कुल 894 पदों पर हुई थी. जिसके पूरा होने के बाद कई अभ्यर्थियों ने तैनाती नहीं ली थी और इसी वजह से प्रतीक्षा सूची लोक सेवा आयोग से मांगी गई थी.
ईटीवी भारत ने लोक सेवा आयोग के सचिव गिरधारी सिंह रावत से बात की तो उन्होंने कहा कि विभाग की ओर से कई अभ्यर्थियों के तैनाती नहीं लिए जाने के बाद प्रतीक्षा सूची मांगी गई थी, लेकिन आयोग के पास भी शारीरिक दक्षता वाले उपयुक्त प्रतीक्षा सूची वाले अभ्यर्थी मौजूद नहीं थे. ऐसे में लोक सेवा आयोग ने फिर से अभ्यर्थियों का शारीरिक दक्षता टेस्ट लिया और उसके बाद प्रतीक्षा सूची विभाग को सौंपी.
मौजूदा स्थिति से ये लगता है कि अभी विभाग तय ही नहीं कर पाया है कि प्रतीक्षा सूची में शामिल अभ्यर्थियों को तैनाती दी जानी है या नहीं. उधर, प्रतीक्षा सूची में शामिल 160 अभ्यर्थियों का गुस्सा भी बढ़ता जा रहा है. यही कारण है कि अब इन अभ्यर्थियों ने वन विभाग में पहुंचकर अपना आक्रोश जाहिर किया है.
इस मामले में सबसे ज्यादा परेशानी की बात ये है कि प्रतीक्षा सूची में मौजूद अभ्यर्थियों की तैनाती को लेकर ही अंतिम निर्णय नहीं हो पाया है. उधर, अभ्यर्थी नौकरी की उम्मीद लगाकर बाकी परीक्षाओं पर भी फोकस नहीं कर पा रहे हैं. हैरानी की बात ये है कि इतना समय बीतने के बाद भी विभाग यह स्पष्ट ही नहीं कर पा रहा है कि उन्हें इन अभ्यर्थियों को तैनाती देनी है या नहीं?
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