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वन विभाग में डिवीजन स्तर पर तैयार नहीं हुआ वर्किंग प्लान, अटके कई काम, जानिये इसकी वजह - Forest Department Working Plan

Forest Department Working Plan, Uttarakhand Forest Department, Uttarakhand Forest Department Division उत्तराखंड वन विभाग के लिए बेहद अहम माने जाने वाले वर्किंग प्लान के चलते कई डिवीजन परेशानी में आ गए हैं. राज्य के कई डिवीजन का वर्किंग प्लान अब तक अप्रूव नहीं हो पाया है. ऐसे में ऐसे कई काम हैं जो आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं.

Forest Department Working Plan
उत्तराखंड वन विभाग वर्किंग प्लान (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 13, 2024, 9:00 PM IST

Updated : Sep 13, 2024, 9:59 PM IST

देहरादून: वन विभाग के लिए वर्किंग प्लान आगामी 10 साल की रूपरेखा को तय करता है. इसी प्लान के माध्यम से यह तय हो पता है कि संबंधित डिवीजन में कितने और क्या-क्या काम अगले 10 साल के दौरान होंगे, हालांकि, यह वर्किंग प्लान वन विभाग में सिस्टमैटिक कार्यों को तय करता है, लेकिन इस बार यही सिस्टम कई डिवीजन में परेशानी की वजह बन गया है.

उत्तराखंड वन विभाग वर्किंग प्लान (ETV BHARAT)

दरअसल, राज्य के कई डिवीजन ऐसे हैं जहां अगले वर्षों के लिए तय होने वाले वर्किंग प्लान को अब तक अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है. नतीजा यह रहा कि इन डिविजन में कई काम लटक गए हैं. ऐसे में ना केवल वन विभाग के संबंधित डिवीजन में विभाग के अधिकारियों के लिए दिक्कतें बढ़ गई हैं बल्कि आम लोगों को भी इसे सीधे परेशानी का सामना करना पड़ता है.

क्या होता है वर्किंग प्लान: वन विभाग के अंतर्गत वर्किंग प्लान में 10 सालों की रूपरेखा को तैयार किया जाता है. प्रदेश में 27 डिवीजन हैं. जिसके लिए वर्किंग प्लान तैयार किया जाता है. 10 साल पूरे होने से करीब ढाई साल पहले ही नए वर्किंग प्लान पर कसरत शुरू हो जाती है. इस बार यह काम समय से पूरा नहीं हो पाया है. इसलिए वर्किंग प्लान को लागू करने में देरी हुई है. वर्किंग प्लान को लेकर मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी ने कहा कोरोना वायरस के चलते इस बार समय से वर्किंग प्लान पर काम नहीं हो पाया. इसके कारण इसकी कसरत देरी से शुरू हो पाई. इसके बावजूद भी तेजी से काम करने की कोशिश की गई. अब बाकी बचे हुए डिवीजन में भी वर्किंग प्लान को अंतिम रूप दिया जा रहा है.

उत्तराखंड में वन विभाग की पांच डिवीजन: राज्य के ऐसी पांच डिवीजन हैं जिस पर अब तक वर्किंग प्लान को अंतिम मुहर लगना बाकी है. इन डिविजन में पिथौरागढ़, मसूरी, गढ़वाल, अपर यमुना, चंपावत डिवीजन शामिल है. कोरोना वायरस के कारण करीब 2 साल देरी से इन पर काम शुरू हो पाया. इसीलिए अब तक यह पूरी तरह से तैयार नहीं हो पाए थे.

नए निर्माण कार्य करना मुश्किल, दूसरे काम भी बंद: खास बात यह है कि बिना वर्किंग प्लान के संबंधित डिवीजन में पेड़ों के कटान से लेकर दूसरे हक हकूक से जुड़े कार्यों को नहीं किया जा सकता है. इसके अलावा तमाम नए निर्माण और नए कार्यों को भी यहां करना मुमकिन नहीं होता है. यह स्थिति वन विभाग के लिए काफी मुश्किल भरी होती है. इस दौरान वन विभाग के संबंधित डिवीजन के अधिकारी चाह कर भी यहां पर कोई नई शुरुआत या काम नहीं कर पाते हैं.


क्या बोले वन मंत्री: वन विभाग के मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा ऐसी स्थितियां लोगों को परेशान करती हैं. वन विभाग के संबंधित क्षेत्र में काम भी नहीं हो पाते हैं. इससे लोगों को भी दिक्कतें होती है. उन्होंने कहा वन विभाग लगातार प्रयास कर रहा है कि इसे जल्द से जल्द पूरा कर लिया जाए. जिससे इन परेशानियों को समय से खत्म किया जा सके.

पढ़ें- राजाजी इलेक्ट्रिकल व्हीकल हादसा, वनकर्मियों को नहीं मिला शहीद का दर्जा, 9 महीनों से जांच जारी - National Forest Martyrs Day



देहरादून: वन विभाग के लिए वर्किंग प्लान आगामी 10 साल की रूपरेखा को तय करता है. इसी प्लान के माध्यम से यह तय हो पता है कि संबंधित डिवीजन में कितने और क्या-क्या काम अगले 10 साल के दौरान होंगे, हालांकि, यह वर्किंग प्लान वन विभाग में सिस्टमैटिक कार्यों को तय करता है, लेकिन इस बार यही सिस्टम कई डिवीजन में परेशानी की वजह बन गया है.

उत्तराखंड वन विभाग वर्किंग प्लान (ETV BHARAT)

दरअसल, राज्य के कई डिवीजन ऐसे हैं जहां अगले वर्षों के लिए तय होने वाले वर्किंग प्लान को अब तक अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है. नतीजा यह रहा कि इन डिविजन में कई काम लटक गए हैं. ऐसे में ना केवल वन विभाग के संबंधित डिवीजन में विभाग के अधिकारियों के लिए दिक्कतें बढ़ गई हैं बल्कि आम लोगों को भी इसे सीधे परेशानी का सामना करना पड़ता है.

क्या होता है वर्किंग प्लान: वन विभाग के अंतर्गत वर्किंग प्लान में 10 सालों की रूपरेखा को तैयार किया जाता है. प्रदेश में 27 डिवीजन हैं. जिसके लिए वर्किंग प्लान तैयार किया जाता है. 10 साल पूरे होने से करीब ढाई साल पहले ही नए वर्किंग प्लान पर कसरत शुरू हो जाती है. इस बार यह काम समय से पूरा नहीं हो पाया है. इसलिए वर्किंग प्लान को लागू करने में देरी हुई है. वर्किंग प्लान को लेकर मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी ने कहा कोरोना वायरस के चलते इस बार समय से वर्किंग प्लान पर काम नहीं हो पाया. इसके कारण इसकी कसरत देरी से शुरू हो पाई. इसके बावजूद भी तेजी से काम करने की कोशिश की गई. अब बाकी बचे हुए डिवीजन में भी वर्किंग प्लान को अंतिम रूप दिया जा रहा है.

उत्तराखंड में वन विभाग की पांच डिवीजन: राज्य के ऐसी पांच डिवीजन हैं जिस पर अब तक वर्किंग प्लान को अंतिम मुहर लगना बाकी है. इन डिविजन में पिथौरागढ़, मसूरी, गढ़वाल, अपर यमुना, चंपावत डिवीजन शामिल है. कोरोना वायरस के कारण करीब 2 साल देरी से इन पर काम शुरू हो पाया. इसीलिए अब तक यह पूरी तरह से तैयार नहीं हो पाए थे.

नए निर्माण कार्य करना मुश्किल, दूसरे काम भी बंद: खास बात यह है कि बिना वर्किंग प्लान के संबंधित डिवीजन में पेड़ों के कटान से लेकर दूसरे हक हकूक से जुड़े कार्यों को नहीं किया जा सकता है. इसके अलावा तमाम नए निर्माण और नए कार्यों को भी यहां करना मुमकिन नहीं होता है. यह स्थिति वन विभाग के लिए काफी मुश्किल भरी होती है. इस दौरान वन विभाग के संबंधित डिवीजन के अधिकारी चाह कर भी यहां पर कोई नई शुरुआत या काम नहीं कर पाते हैं.


क्या बोले वन मंत्री: वन विभाग के मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा ऐसी स्थितियां लोगों को परेशान करती हैं. वन विभाग के संबंधित क्षेत्र में काम भी नहीं हो पाते हैं. इससे लोगों को भी दिक्कतें होती है. उन्होंने कहा वन विभाग लगातार प्रयास कर रहा है कि इसे जल्द से जल्द पूरा कर लिया जाए. जिससे इन परेशानियों को समय से खत्म किया जा सके.

पढ़ें- राजाजी इलेक्ट्रिकल व्हीकल हादसा, वनकर्मियों को नहीं मिला शहीद का दर्जा, 9 महीनों से जांच जारी - National Forest Martyrs Day



Last Updated : Sep 13, 2024, 9:59 PM IST
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