लखनऊ: उत्तर प्रदेश आज अपना स्थापना दिवस मना रहा है. यूपी अपने 74 साल पूरे करके 75वें साल के सफर में प्रवेश कर रहा है. अपना उत्तर प्रदेश तमाम ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासतों को संजोए हुए है. यहां अयोध्या, मथुरा, काशी, जैसे प्रमुख धार्मिक स्थान हैं, जहां पर देश दुनिया के तमाम लोग पूजन अर्चन के लिए आते हैं. अभी 2 दिन पहले ही अयोध्या में भगवान श्री राम अपने मंदिर में विराजमान हुए हैं. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिव्या भव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की है. तमाम प्रमुख मेहमान इस कार्यक्रम के साक्षी बने थे.
दरअसल, यूपी का जन्म किसी और नाम से हुआ था और बाद में उत्तर प्रदेश के रूप में ही इसकी पहचान बन गई. जानकारों से बात करने पर और इतिहास के पन्नों को पलटने से इस बात की जानकारी मिलती है कि 24 जनवरी 1950 को भारत के गवर्नर जनरल ने यूनाइटेड प्रोविंस आदेश 1950 पारित किया था. इसके अनुसार यूनाइटेड प्रोविंस का नाम बदलकर (नाम परिवर्तन) करके उत्तर प्रदेश रखा था. यहीं से यूपी की स्थापना मानी जाती है.
दस्तावेजों के अनुसार यूनाइटेड प्रोविंस राज्य बंगाल प्रांत के अधीन था. उस समय तीन प्रांत बंगाल मुंबई व मद्रास एक साथ थे और चौथे राज्य के गठन की आवश्यकता महसूस की गई थी. जिसके बाद आगरा सूबे का गठन हुआ. जिसका प्रमुख गवर्नर होता था. जनवरी 1858 में लॉर्ड कैनिंग इलाहाबाद वर्तमान में प्रयागराज में अवध तथा उत्तरी पश्चिमी प्रांत का गठन किया. इस प्रकार शासन शक्ति आगरा से इलाहाबाद स्थानांतरित हो गई.
आगरा से इलाहाबाद ट्रांसफर हुआ था हाईकोर्ट: इसी क्रम में वर्ष 1968 में उच्च न्यायालय भी आगरा से इलाहाबाद स्थानांतरित हो गया था. 1856 में अवध को मुख्य आयुक्त के अधीन किया गया था. बाद में जिलों का उत्तरी पश्चिमी सूबे में विलय किया जाना प्रारंभ हुआ. इसे 1877 में उत्तरी पश्चिमी सूबे तथा अवध के नाम से जाना गया. पूरे सूबे को 1902 में यूनाइटेड प्रोविंस ऑफ आगरा एंड अवध का नाम दिया गया. 1920 में विधान परिषद के प्रथम चुनाव के बाद लखनऊ में 1921 में परिषद का गठन हुआ. क्योंकि गवर्नर मंत्रियों तथा गवर्नर के सचिवों को लखनऊ में ही रहना था.
1935 में ही लखनऊ बन गई थी प्रदेश की राजधानी: इसलिए तत्कालीन गवर्नर सर हरकोर्ट बटलर ने अपना हेड क्वार्टर इलाहाबाद से लखनऊ ट्रांसफर कर दिया. 1935 तक संपूर्ण कार्यालय लखनऊ आ चुका था. लखनऊ सूबे की राजधानी बन चुका था, जिसका नाम अप्रैल 1937 में यूनाइटेड प्रोविंस रखा गया तथा 24 जनवरी 1950 में भारत के संविधान के अधीन इसका नाम उत्तर प्रदेश कर दिया गया.
राम नाईक के कहने पर सीएम योगी ने यूपी दिवस मनाने की डाली परंपरा: उत्तर प्रदेश में 2017 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद तत्कालीन राज्यपाल राम नाईक ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उत्तर प्रदेश दिवस मनाने की शुरुआत करने की बात कही थी. इसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने 24 जनवरी 2018 को उत्तर प्रदेश का पहला स्थापना दिवस मनाकर इसकी शुरुआत की गई. संस्कृति विभाग की तरफ से 24 जनवरी को हर वर्ष उत्तर प्रदेश दिवस मानाए जाने की परंपरा शुरू हो गई.
अखिलेश यादव ने यूपी दिवस मनाने की मांग को किया था नजरअंदाज: उल्लेखनीय है कि तत्कालीन राज्यपाल राम नाईक ने पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के शासनकाल के दौरान भी उत्तर प्रदेश का स्थापना दिवस मनाए जाने का सुझाव दिया था लेकिन उन्होंने इस प्रस्ताव को नजरअंदाज किया और बाद में जब उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बने तो फिर 24 जनवरी 2018 से यूपी दिवस मनाने की परंपरा शुरू की गई.