जयपुर. साइबर ठगी से बचने के लिए पुलिस और बैंकों की ओर से जागरूकता के तमाम प्रयास किए जाते रहे हैं, लेकिन साइबर ठगी का ग्राफ लगातार बढ़ता ही जा रहा है. साइबर ठग हर बार अपने तरीके बदल-बदलकर वारदातों को अंजाम दे रहे हैं. वाट्सएप ग्रुप में आए एक लिंक पर क्लिक करने से हाल ही में एक डेयरी संचालक ने अपने खाते से 4.42 लाख रुपए गंवा दिए.
साइबर ठग इस तरह देते हैं वारदातों को अंजाम: साइबर एक्सपर्ट हेमराज का कहना है कि साइबर ठग वारदात को अंजाम देने का अपना तरीका कुछ समय बाद बदलते रहते हैं. वाट्सएप ग्रुप में अलग-अलग लिंक भेजकर साइबर ठगी करते हैं. तरीका पुराना लेकिन हर बार इसका कंटेंट बदल दिया जाता है. कभी कंपनियों के ऑफर का लाभ दिलवाने के बहाने और कभी सरकार की योजनाओं का फायदा दिलवाने का झांसा देकर लिंक पर क्लिक करने को कहा जाता है. लेकिन क्लिक करते ही मोबाइल का एक्सेस साइबर ठगों के पास चला जाता है. ऐसे में किसी भी संदिग्ध लिंक पर क्लिक करने से बचना चाहिए. इसलिए किसी भी संदिग्ध लिंक पर क्लिक न करें.
किसी भी कंपनी के कस्टमर केयर को कॉल करना है तो गूगल पर नंबर ढूंढने के बजाय आप संबंधित वेबसाइट पर विजिट करें.
कोई भी कंपनी आपके बैंक अकाउंट की जानकारी आपसे नहीं पूछेगी. ऐसा करने वाला जरूर कोई साइबर ठग ही होगा. इस बात का विशेष ध्यान रखें. अपने डेबिट या क्रेडिट कार्ड की जानकारी किसी को न बताएं. बैंक खुद ऐसी जानकारी आपसे नहीं पूछता है.
इसे भी पढ़ें : हमेशा सिर दर्द से रहते हैं परेशान तो हो जाएं सावधान, माइग्रेन के लक्षण पहचानें और करें सही इलाज - Utility News
कई बार ऐसा देखा गया है कि साइबर ठग आपको व्हाट्सएप्प पर क्यूआर कोड भेजते हैं. ध्यान रखें कि क्यूआर कोड पर स्केन कर पेमेंट किया जाता है, पेमेंट प्राप्त करने के लिए स्कैन नहीं किया जाता.
ठगी का शिकार होने पर यहां मिलेगी मदद: साइबर एक्सपर्ट हेमराज का कहना है कि किसी भी तरह की साइबर ठगी होने पर साइबर हेल्पलाइन 1930 पर शिकायत की जा सकती है. ऐसा करने से पीड़ित के बैंक खाते से जिस बैंक खाते में ठगी की रकम गई है. उसे फ्रीज करवाया जा सकता है. कई मामलों में पीड़ित को ठगी होने का आभास देरी से होता है. तब तक साइबर ठग ठगी की रकम खातों से निकलवा लेते हैं.