नई दिल्ली: दिल्ली नगर निगम की बैठक एक बार फिर हंगामे की भेंट चढ़ गई. बैठक की शुरुआत लगभग 45 मिनट की देरी से हुई, जिससे माहौल पहले से ही तनावपूर्ण हो गया था. बैठक में शोक प्रस्ताव के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पार्षद वेल में पहुंच गए और मेयर के चुनाव कराने की मांग को लेकर जोर-जोर से नारेबाजी करने लगे.
पोस्टर पम्पलेट लेकर पहुंची भाजपा
भाजपा के पार्षदों ने पोस्टर और पम्पलेट लेकर बैठक के माहौल को और भी गर्म कर दिया. वे मेयर डॉ. शैली ओबेरॉय के डाइस तक पहुंचे और उनके माइक को छीनने की कोशिश की. इस हरकत से बैठक में अराजकता फैल गई, लेकिन मौके पर मौजूद मार्शल ने मेयर का बचाव किया और हंगामे को नियंत्रित करने का प्रयास किया.
"स्थायी समिति के सदस्य के चुनाव की प्रक्रिया असंवैधानिक थी और यह सदन का अपमान है. इस प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था, जो कि लोकतांत्रिक मूल्यों का उल्लंघन करता है." डॉ. शैली ओबेरॉय, मेयर
इसके अलावा, मेयर ने बताया कि स्थायी समिति के सदस्य के चुनाव का मामला वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, और कोर्ट ने इस चुनाव पर रोक लगा दी है. इस स्थिति को लेकर भाजपा पार्षदों का आक्रोश समझ में आता है, लेकिन यह अभूतपूर्व है कि सदन में हंगामे की स्थिति उत्पन्न हो गई."
यह घटनाक्रम दिल्ली नगर निगम की कार्यप्रणाली और राजनीतिक गतिशीलता पर सवाल उठाता है. जब राजनीतिक दल अपने अधिकारों की रक्षा के लिए इस तरह के हंगामे का सहारा लेते हैं, तो इससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया में अविश्वास और अस्थिरता बढ़ती है.
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