प्रयागराजः उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के बाहर UPPSC Exam को लेकर सड़क जाम कर विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्रों की मांग के बाद शाम को यूपी लोकसेवा आयोग के सचिव ने प्रतियोगी छात्रों से ज्ञापन लिया. आयोग के सचिव अशोक कुमार छात्रों से मिलने के लिए जब पहुंचे तो उन्होंने विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्रों से बातचीत भी की. इसके साथ ही उन्होंने छात्रों के द्वारा दिए गए ज्ञापन पर विचार करने के लिए तीन दिन का समय मांगा है.
परीक्षा के दिनों पर कोई फैसला नहीं लिया हैः आयोग के सचिव ने प्रदर्शन कर रहे छात्रों को बताया कि अभी आयोग की तरफ से परीक्षा कितने दिन में करवानी है इसपर कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है. अभी तक जिलों से परीक्षा केंद्रों की सूची मांगी गई है और जिलों से आयोग के मानक पर खरे उतरने वाले सेंटर की सूची मिलने के बाद ही तय हो पाएगा कि परीक्षा एक दिन में हो पाएगी अथवा नहीं. छात्रों की तरफ से दिए गए ज्ञापन में मांगों पर विचार कर सहानुभूति पूर्वक निर्णय लेने का भरोसा उन्होंने दिया है. बता दें कि इन दोनों ही परीक्षा में करीब 16 लाख छात्र बैठने हैं. परीक्षा को दो-दो दिनों के शेड्यूल में कराए जाने की चर्चा के बीच छात्रों ने नाराजगी जतानी शुरू कर दी थी. इसी के चलते विरोध किया जा रहा है.
छात्रों की प्रमुख मांगें ये रहीं
1. परीक्षा की अलग-अलग पालियों के प्रश्न पत्रों में प्रश्नों की प्रकृति सरल व कठिन के पहचान की कोई पद्धति नहीं है और इस अंतर को नॉर्मलाइजेशन से भरा नहीं जा सकता है.
2. नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया त्रुटि पूर्ण व विवादित रही है पूर्व में भी यह विभिन्न परीक्षा परिणाम में व्यापक विसंगति उत्पन्न कर चुकी है.
3. नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया लागू होने से उपयुक्त परीक्षा परिणाम में भी व्यापक विसंगति आएगी.
4. परीक्षा परिणाम में विसंगति विधिक विवाद का कारण बनेगी और न्यायिक विलंबित के कारण परीक्षा प्रक्रिया तय समय में पूर्ण नहीं हो पाएगी, इसका व्ययभार भी छात्रों पर पड़ेगा
5. स्केलिंग प्रक्रिया पूर्व में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में भ्रष्टाचार व विधिक विवाद का प्रमुख कारण रही है जिसकी सीबीआई जांच अभी भी विचाराधीन है.
6. इसी प्रकार नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया भी भ्रष्टाचार के लिए लूपूल बनेगी वह गलत परंपरा को जन्म देगी.
7. लोक सेवा आयोग द्वारा एक बार स्केलिंग की प्रक्रिया का उन्मूलन कर पुनः उसी को लागू करना कहीं से भी उचित व तर्कसंगत नहीं है.
8. उपयुक्त विषयों के साथ ही परीक्षाओं के प्रकाशित विज्ञापनों में परिवर्तन भी न्याय संगत या वैध नहीं है.
8. लोक सेवा आयोग द्वारा मजबूत इच्छा शक्ति से परीक्षा केंद्रों की संख्या बढ़ाकर परीक्षाओं को पूर्व की भांति ही आयोजित किया जा सकता है.
ज्ञापन में ये तर्क भी दिए गए: इसके साथ ही छात्रों द्वारा दिये गए 9 सूत्रीय ज्ञापन में यह भी लिखा है कि परीक्षाओं को एक से अधिक पालियों में कराना व नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया उचित या न्यायपूर्ण नहीं है.सभी छात्र सामूहिक रूप से इसका विरोध करते हुए इसे अस्वीकार करते हैं.क्योंकि इससे छात्रों का भविष्य गंभीर रूप से प्रभावित होगा.इसलिये उनकी मांग है कि उक्त परीक्षाओं को पूर्व की भांति ही एक दिवस व एक पाली में सुचिता पूर्ण और विवाद रहित तरीके से आयोजित कराया जाए.
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UPPSC Exam: उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के बाहर छात्रों ने किया था प्रदर्शन. सचिव ने समझाकर मांगा तीन दिन का समय.
By ETV Bharat Uttar Pradesh Team
Published : Oct 22, 2024, 10:29 AM IST
प्रयागराजः उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के बाहर UPPSC Exam को लेकर सड़क जाम कर विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्रों की मांग के बाद शाम को यूपी लोकसेवा आयोग के सचिव ने प्रतियोगी छात्रों से ज्ञापन लिया. आयोग के सचिव अशोक कुमार छात्रों से मिलने के लिए जब पहुंचे तो उन्होंने विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्रों से बातचीत भी की. इसके साथ ही उन्होंने छात्रों के द्वारा दिए गए ज्ञापन पर विचार करने के लिए तीन दिन का समय मांगा है.
परीक्षा के दिनों पर कोई फैसला नहीं लिया हैः आयोग के सचिव ने प्रदर्शन कर रहे छात्रों को बताया कि अभी आयोग की तरफ से परीक्षा कितने दिन में करवानी है इसपर कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है. अभी तक जिलों से परीक्षा केंद्रों की सूची मांगी गई है और जिलों से आयोग के मानक पर खरे उतरने वाले सेंटर की सूची मिलने के बाद ही तय हो पाएगा कि परीक्षा एक दिन में हो पाएगी अथवा नहीं. छात्रों की तरफ से दिए गए ज्ञापन में मांगों पर विचार कर सहानुभूति पूर्वक निर्णय लेने का भरोसा उन्होंने दिया है. बता दें कि इन दोनों ही परीक्षा में करीब 16 लाख छात्र बैठने हैं. परीक्षा को दो-दो दिनों के शेड्यूल में कराए जाने की चर्चा के बीच छात्रों ने नाराजगी जतानी शुरू कर दी थी. इसी के चलते विरोध किया जा रहा है.
छात्रों की प्रमुख मांगें ये रहीं
1. परीक्षा की अलग-अलग पालियों के प्रश्न पत्रों में प्रश्नों की प्रकृति सरल व कठिन के पहचान की कोई पद्धति नहीं है और इस अंतर को नॉर्मलाइजेशन से भरा नहीं जा सकता है.
2. नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया त्रुटि पूर्ण व विवादित रही है पूर्व में भी यह विभिन्न परीक्षा परिणाम में व्यापक विसंगति उत्पन्न कर चुकी है.
3. नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया लागू होने से उपयुक्त परीक्षा परिणाम में भी व्यापक विसंगति आएगी.
4. परीक्षा परिणाम में विसंगति विधिक विवाद का कारण बनेगी और न्यायिक विलंबित के कारण परीक्षा प्रक्रिया तय समय में पूर्ण नहीं हो पाएगी, इसका व्ययभार भी छात्रों पर पड़ेगा
5. स्केलिंग प्रक्रिया पूर्व में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में भ्रष्टाचार व विधिक विवाद का प्रमुख कारण रही है जिसकी सीबीआई जांच अभी भी विचाराधीन है.
6. इसी प्रकार नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया भी भ्रष्टाचार के लिए लूपूल बनेगी वह गलत परंपरा को जन्म देगी.
7. लोक सेवा आयोग द्वारा एक बार स्केलिंग की प्रक्रिया का उन्मूलन कर पुनः उसी को लागू करना कहीं से भी उचित व तर्कसंगत नहीं है.
8. उपयुक्त विषयों के साथ ही परीक्षाओं के प्रकाशित विज्ञापनों में परिवर्तन भी न्याय संगत या वैध नहीं है.
8. लोक सेवा आयोग द्वारा मजबूत इच्छा शक्ति से परीक्षा केंद्रों की संख्या बढ़ाकर परीक्षाओं को पूर्व की भांति ही आयोजित किया जा सकता है.
ज्ञापन में ये तर्क भी दिए गए: इसके साथ ही छात्रों द्वारा दिये गए 9 सूत्रीय ज्ञापन में यह भी लिखा है कि परीक्षाओं को एक से अधिक पालियों में कराना व नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया उचित या न्यायपूर्ण नहीं है.सभी छात्र सामूहिक रूप से इसका विरोध करते हुए इसे अस्वीकार करते हैं.क्योंकि इससे छात्रों का भविष्य गंभीर रूप से प्रभावित होगा.इसलिये उनकी मांग है कि उक्त परीक्षाओं को पूर्व की भांति ही एक दिवस व एक पाली में सुचिता पूर्ण और विवाद रहित तरीके से आयोजित कराया जाए.