ETV Bharat / state

'यूपी के 70 लाख बिजली ग्राहक क्यों दें स्मार्ट मीटर का 110 रुपए प्रतिमाह तक किराया', निजी घरानों को फायदा क्यों, उपभोक्ता परिषद का सवाल

UP Electricity News: यूपी में 27,342 करोड़ का स्मार्ट प्रीपेड मीटर का प्रोजेक्ट चल रहा.

uppcl uttar pradesh power corporation up electricity 70 lakh customers why pay smart meter fare consumer council asked
यूपी में स्मार्ट मीटर के किराए को लेकर उपभोक्ता परिषद ने उठाया सवाल. (photo credit: etv bharat)
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 4, 2024, 9:28 AM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों में लगभग 27,342 करोड़ का स्मार्ट प्रीपेड मीटर का प्रोजेक्ट चल रहा है. इसके तहत प्रदेश में लगभग तीन करोड़ 45 लाख विद्युत उपभोक्ताओं के घरों में पुराने इलेक्ट्रॉनिक मीटर की जगह स्मार्ट प्रीपेड मीटर अनिवार्य रूप से लगाया जाना है. उपभोक्ता परिषद का कहना है कि कोई भी प्रोजेक्ट शुरू करने के पहले उसकी वित्तीय विश्लेषण किया जाता है कि इससे उत्तर प्रदेश को लाभ होगा या नुकसान होगा, लेकिन केंद्र सरकार की इस योजना को उत्तर प्रदेश में बिना किसी बदलाव के केंद्र सरकार के दबाव में लागू कर दिया गया. आने वाले समय में उत्तर प्रदेश के पावर सेक्टर को तबाही के रास्ते पर ले जा सकता है. इस पर बिजली कंपनियों को बहुत ही गंभीरता से सोचना पड़ेगा. उत्तर प्रदेश सरकार को भी इस दिशा में ध्यान देना होगा.

प्रोजेक्ट की कीमत कितनी बढ़ीः उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि केंद्र सरकार ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर योजना के लिए 18,850 करोड़ का प्रोजेक्ट पास किया, लेकिन उत्तर प्रदेश में टेंडर की अधिक दरों के चलते यह प्रोजेक्ट 27,342 करोड़ में देश के निजी घरानों को दिया गया यानी लगभग 9000 करोड़ रुपया ज्यादा.



केंद्र सरकार व विद्युत नियामक आयोग ने इसे आत्मनिर्भर योजना मानते हुए इसकी भरपाई उपभोक्ताओं से न की जाए का आदेश पारित किया. अब सवाल उठता है कि यह योजना वास्तव में आत्मनिर्भर है या नहीं इसका वित्तीय विश्लेषण किसी ने किया कि नहीं? उन्होंने कहा कि विद्युत नियामक आयोग ने जब वर्ष 2023- 24 का टैरिफ आदेश पारित किया था तो उसमें यह लिखा था कि बिजली कंपनियां यह बताएं कि उत्तर प्रदेश में करोडों की संख्या में लाइफ लाइन विद्युत उपभोक्ता हैं उन पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने से क्या लाभ होगा?



कितना किराया प्रतिमाह लेंगे निजी घरानेः वर्तमान में वर्ष 2024- 25 का टैरिफ आदेश जब जारी हुआ तो उसके आंकडे देखें तो उत्तर प्रदेश में कुल एक करोड़ 69,99,611 लाइफलाइन विद्युत उपभोक्ता हैं. लाइफलाइन विद्युत उपभोक्ता एक किलोवाट 100 यूनिट का भुगतान बिजली विभाग को करेगा वह रुपया 350 होगा. अगर 100 यूनिट से कम है तो शायद वह रुपया 200 के अंदर ही भुगतान करेगा. ओपेक्स मॉडल में प्रत्येक स्मार्ट प्रीपेड मीटर पर देश के निजी घराने 101 से लेकर रुपया 110 प्रति माह बिजली कंपनियों से वसूल करेंगे यानी 30 से 40 फीसद.लाइफ लाइन के मामले में देश के निजी घराने जो स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाएंगे उनको बिजली कंपनियों को देना पड़ेगा.


सवाल उठाए गएः विद्युत नियामक आयोग ने इस पर सवाल उठाते हुए वित्तीय विश्लेषण कर पूरी रिपोर्ट तलब की थी. आज तक उसकी रिपोर्ट विद्युत नियामक आयोग को नहीं सौंपी गई. पिछले माह जब विद्युत नियामक आयोग ने पुनः बिजली दर वर्ष 2024 -25 जारी किया तो उसमें सख्त निर्देश दिया कि बिजली कंपनियां तत्काल स्मार्ट प्रीपेड मीटर के वित्तीय विश्लेषण की रिपोर्ट आयोग के सामने ले आएं. उन्होंने सवाल किया कि वास्तव में इस योजना का लाइफलाइन विद्युत उपभोक्ताओं पर लागू करने से क्या बिजली कंपनियों का कोई भला होने वाला है? यदि नहीं होने वाला है तो ऐसा क्यों किया जा रहा है?




पुराने मीटरों का क्या होगा: उपभोक्ता परिषद ने कहा कि एक दूसरा वित्तीय विश्लेषण और भी जरूरी है क्योंकि जब उपभोक्ता के परिसर पर कोई मीटर लगाया जाता है तो उसका गारंटी पीरियड पांच साल से ज्यादा होता है. ऐसे में पांच 5 साल के पहले जो मीटर उतारकर कबाड़ में डाले जाएंगे उस पर कई करोड़ खर्च हुआ है उसका तो कोई हिसाब भी नहीं. अभी भी समय है पावर कॉरपोरेशन व सरकार को इस पर वित्तीय विश्लेषण करना चाहिए.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों में लगभग 27,342 करोड़ का स्मार्ट प्रीपेड मीटर का प्रोजेक्ट चल रहा है. इसके तहत प्रदेश में लगभग तीन करोड़ 45 लाख विद्युत उपभोक्ताओं के घरों में पुराने इलेक्ट्रॉनिक मीटर की जगह स्मार्ट प्रीपेड मीटर अनिवार्य रूप से लगाया जाना है. उपभोक्ता परिषद का कहना है कि कोई भी प्रोजेक्ट शुरू करने के पहले उसकी वित्तीय विश्लेषण किया जाता है कि इससे उत्तर प्रदेश को लाभ होगा या नुकसान होगा, लेकिन केंद्र सरकार की इस योजना को उत्तर प्रदेश में बिना किसी बदलाव के केंद्र सरकार के दबाव में लागू कर दिया गया. आने वाले समय में उत्तर प्रदेश के पावर सेक्टर को तबाही के रास्ते पर ले जा सकता है. इस पर बिजली कंपनियों को बहुत ही गंभीरता से सोचना पड़ेगा. उत्तर प्रदेश सरकार को भी इस दिशा में ध्यान देना होगा.

प्रोजेक्ट की कीमत कितनी बढ़ीः उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि केंद्र सरकार ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर योजना के लिए 18,850 करोड़ का प्रोजेक्ट पास किया, लेकिन उत्तर प्रदेश में टेंडर की अधिक दरों के चलते यह प्रोजेक्ट 27,342 करोड़ में देश के निजी घरानों को दिया गया यानी लगभग 9000 करोड़ रुपया ज्यादा.



केंद्र सरकार व विद्युत नियामक आयोग ने इसे आत्मनिर्भर योजना मानते हुए इसकी भरपाई उपभोक्ताओं से न की जाए का आदेश पारित किया. अब सवाल उठता है कि यह योजना वास्तव में आत्मनिर्भर है या नहीं इसका वित्तीय विश्लेषण किसी ने किया कि नहीं? उन्होंने कहा कि विद्युत नियामक आयोग ने जब वर्ष 2023- 24 का टैरिफ आदेश पारित किया था तो उसमें यह लिखा था कि बिजली कंपनियां यह बताएं कि उत्तर प्रदेश में करोडों की संख्या में लाइफ लाइन विद्युत उपभोक्ता हैं उन पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने से क्या लाभ होगा?



कितना किराया प्रतिमाह लेंगे निजी घरानेः वर्तमान में वर्ष 2024- 25 का टैरिफ आदेश जब जारी हुआ तो उसके आंकडे देखें तो उत्तर प्रदेश में कुल एक करोड़ 69,99,611 लाइफलाइन विद्युत उपभोक्ता हैं. लाइफलाइन विद्युत उपभोक्ता एक किलोवाट 100 यूनिट का भुगतान बिजली विभाग को करेगा वह रुपया 350 होगा. अगर 100 यूनिट से कम है तो शायद वह रुपया 200 के अंदर ही भुगतान करेगा. ओपेक्स मॉडल में प्रत्येक स्मार्ट प्रीपेड मीटर पर देश के निजी घराने 101 से लेकर रुपया 110 प्रति माह बिजली कंपनियों से वसूल करेंगे यानी 30 से 40 फीसद.लाइफ लाइन के मामले में देश के निजी घराने जो स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाएंगे उनको बिजली कंपनियों को देना पड़ेगा.


सवाल उठाए गएः विद्युत नियामक आयोग ने इस पर सवाल उठाते हुए वित्तीय विश्लेषण कर पूरी रिपोर्ट तलब की थी. आज तक उसकी रिपोर्ट विद्युत नियामक आयोग को नहीं सौंपी गई. पिछले माह जब विद्युत नियामक आयोग ने पुनः बिजली दर वर्ष 2024 -25 जारी किया तो उसमें सख्त निर्देश दिया कि बिजली कंपनियां तत्काल स्मार्ट प्रीपेड मीटर के वित्तीय विश्लेषण की रिपोर्ट आयोग के सामने ले आएं. उन्होंने सवाल किया कि वास्तव में इस योजना का लाइफलाइन विद्युत उपभोक्ताओं पर लागू करने से क्या बिजली कंपनियों का कोई भला होने वाला है? यदि नहीं होने वाला है तो ऐसा क्यों किया जा रहा है?




पुराने मीटरों का क्या होगा: उपभोक्ता परिषद ने कहा कि एक दूसरा वित्तीय विश्लेषण और भी जरूरी है क्योंकि जब उपभोक्ता के परिसर पर कोई मीटर लगाया जाता है तो उसका गारंटी पीरियड पांच साल से ज्यादा होता है. ऐसे में पांच 5 साल के पहले जो मीटर उतारकर कबाड़ में डाले जाएंगे उस पर कई करोड़ खर्च हुआ है उसका तो कोई हिसाब भी नहीं. अभी भी समय है पावर कॉरपोरेशन व सरकार को इस पर वित्तीय विश्लेषण करना चाहिए.

ये भी पढ़ेंः यूपी में बंद होंगे 27000 सरकारी स्कूल, CM योगी के फैसले से मायावती और केजरीवाल नाराज, कह दी ये बात

ये भी पढ़ेंः 4 लोगों की जान लेने वाला ये बिगडै़ल हाथी अब रहेगा 18 करोड़ के आशियाने में

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.