फिरोजाबादः यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार जहां गो संरक्षण पर विशेष ध्यान दे रही है वहीं गो संरक्षण के नाम पर कर्मचारी जेब भरने में भी लगे है. एक ऐसा ही मामला सामने आया है फिरोजाबाद में. यहां गो सेवा आयोग के सदस्य रमाकांत उपाध्याय ने एक ऐसा ही गोलमाल पकड़ा है. एक गोशाला में तो लिखापढ़ी में 72 गायें दर्ज थी और उनका पैसा भी सरकार से मिल रहा था लेकिन मौके पर 20 गायें कम मिलीं. आयोग के सदस्य को मौके पर 52 गायें ही मिली. आयोग के सदस्य ने इसे गंभीर अनियमिता मानते हुए जांच के आदेश भी दिए है.
बताते चलें कि यूपी में बढ़ती निराश्रित गौवंश की तदायत के मद्देनजर योगी सरकार ने हर न्याय पंचायत स्तर पर गौ संरक्षण केंद्र खोले है. इनमें गायों को संरक्षित किया जाता है.योगी सरकार इनके चारे के लिए 50 रुपये प्रति गाय के हिसाब से पोषण भत्ता भी देती है लेकिन ऐसा लगने लगा है कि गो संरक्षण केंद्र जिम्मेदार लोगों के लिए जेब भरने का जरिया बन गया है. राज्य गौसेवा आयोग के सदस्य रमाकांत उपाध्याय ने जब ग्राम पंचायत गडोरा का निरीक्षण किया तो वह खुद दंग रह गए. इस गौशाला में 72 गाए लिखापढ़ी में दर्ज थीं लेकिन मौके पर 52 गायें हीं थी यानी कि 20 गायें मौके से नदारद थीं. रमाकांत उपाध्याय ने बताया कि यह गंभीर मामला है इसकी जांच के लिए कहा गया है.
कई अन्य गोशालाओं की जांच की: इसके अलावा उत्तर प्रदेश गो सेवा आयोग के सदस्य रमाकांत उपाध्याय ने बरतरा गोशाला, गडोरा गोशाला, हाथवंत स्थित गोशाला का निरीक्षण भी किया. इस निरीक्षण के दौरान उन्होंने पाया की इन गोशालाओं में गायों के लिए ठंडी के मद्देनजर जो व्यवस्था होनी चाहिए उसका अभाव हैं. साथ ही गायों को दिए जा रहे चारे में हरे चारे की उपलब्धता नहीं हैं. गो सेवा आयोग के सदस्य ने इन परिस्थितियों में सुधार लाने के निर्देश दिए हैं. गो सेवा आयोग के सदस्य ने संबंधित अधिकारियों एवं कर्मचारियों को निर्देशित किया है कि इन स्थितियों में सुधार लाएं अन्यथा कार्रवाई की जाएगी.