नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के प्रगति मैदान में 10 फरवरी से शुरू हुए विश्व पुस्तक मेले का रविवार को समापन हो गया. वीकेंड पर 18 फरवरी को आखिरी दिन 1.5 लाख से ज्यादा पुस्तक प्रेमी मेले में पहुंचे. इस दौरान सुबह से लेकर देर शाम तक हर मंडप में लोगों की भारी भीड़ देखने को मिली. रविवार को अंतिम दिन पुस्तक प्रेमियों ने अपनी मनपसंद किताबों पर 50 फीसदी तक का डिस्काउंट पाया.
दरअसल, आज मेले के आखिरी दिन प्रगति मैदान मेट्रो स्टेशन के आसपास और भैरव सिंह मार्ग की तरफ पाठकों की काफी लंबी भीड़ सड़कों पर देखी गई. पुस्तक मेले के आखिरी दिन किताबों की स्टॉलों पर विशेष ऑफर और छूट भी दी गई. ऐसे में ज्यादातर स्टॉल्स पर लोग अपनी पसंदीदा पुस्तकें खोजने में जुटे रहे. प्रकाशकों के द्वारा कहीं पर 15 से 20 प्रतिशत तक छूट दी जा रही थी, तो कहीं 50 प्रतिशत तक डिस्काउंट दिया जा रहा था.
विश्व पुस्तक मेले का आयोजन 10 फरवरी से लेकर 18 फरवरी तक किया गया. मेला आयोजक राष्ट्रीय पुस्तक न्यास (एनबीटी) के मुताबिक, पुस्तक मेले में वीकेंड पर शनिवार और रविवार दो दिनों में करीब तीन लाख की संख्या में लोग पहुंचे. नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया के अध्यक्ष प्रोफेसर मिलिंद सुधाकर मराठे ने विश्व पुस्तक मेला 2024 के सफल आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त करे हुए कहा, ''हमें पूर्ण विश्वास है कि अगली बार और अधिक प्रकाशक और पाठक इस मेले में शामिल होंगे. भारतीय प्रकाशन एवं लेखन की वैश्विक पहचान को मेले से एक मजबूती मिलेगी.
वहीं, नेशनल बुक ट्रस्ट इंडिया के निदेशक युवराज मलिक के अनुसार नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला 2024 भारतीय प्रकाशन उद्योग को वैश्विक स्तर पर नई पहचान देने में सफल रहा. इस मेले में जहाँ एक ओर विश्व के सभी शीर्ष पुस्तक मेलों- फ्रेंकफर्ट (जर्मनी), बोलोनिया (इटली), अबूधाबी, लंदन, तुर्की, शारजाह के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों ने भाग लिया, वहीं आम जनता की भी भरपूर भागीदारी रही. उन्होंने यह भी बताया कि अगले विश्व पुस्तक मेले की तैयारियाँ अभी से शुरू कर दी गई हैं.
10 से 18 फरवरी के बीच प्रगति मैदान में आयोजित इस बार नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला कई मायनों में खास रहा. एक ओर जहाँ पुस्तक प्रेमियों की संख्या में बढ़ोतरी देखी गई, वहीं भारत के प्रकाशन उद्योग ने भी नई ऊँचाइयों को छूआ. विदित है कि लगभग 50 हजार वर्ग मीटर में लगे इस बार के विश्व पुस्तक मेले में एक हजार से अधिक प्रकाशकों की किताबें सजी थी.
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इस बार किताबों की हुई रिकॉर्ड तोड़ बिक्री ने भी प्रकाशकों के उत्साह में इजाफा किया. लाखों बच्चों ने पाठ्यक्रम से हटकर कविताओं, कहानियों, उपन्यास और चित्रकथाओं की किताबों को पढ़ना पसंद किया. उनके लिए हॉल 3 में अलग से व्यवस्था थी. कॉलेज के छात्र, बच्चों के संग आए अभिभावक, प्रसिद्ध साहित्यकार, कलाकार, दर्शनार्थी, नेता अभिनेता, भाषाविदों, साहित्य आलोचकों, समीक्षकों, चित्रकारों, अध्येताओं, राजनयिकों, प्रशासनिक अधिकारियों हर किसी के लिए यह साहित्यिक उत्सव आकर्षण का केंद्र रहा.