लखनऊ: ऑनलाइन हाजिरी के बाद शिक्षक अब योगी सरकार के संपत्ति ब्योरा देने संबंधित आदेश के विरोध में आ गए हैं. बेसिक शिक्षा परिषद ने बीती 8 जुलाई को शिक्षकों को ऑनलाइन उपस्थिति का आदेश जारी किया था, पर शिक्षकों के भारी विरोध के बाद विभाग में इसे वापस ले लिया था. इस आदेश के स्थगित होने के ठीक अगले ही दिन महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा की तरफ से एक आदेश जारी कर 31 जुलाई तक सभी बेसिक शिक्षकों को अपने संपत्ति का ब्योरा ऑनलाइन उपलोड करने का आदेश दिया था पर इस आदेश को भी शिक्षक गंभीरता से नहीं ले रहे हैं.
अभी तक साढ़े 4 लाख से अधिक शिक्षकों में से एक चौथाई शिक्षकों ने भी विभाग को अपनी संपत्ति का डिटेल नहीं जारी किया है. ठीक इसके उलट शिक्षकों का कहना है कि जब बेसिक शिक्षा विभाग जब शिक्षकों को राज्य कर्मचारी मानता ही नहीं तो इस आदेश को जारी करने का को औचित्य नहीं है. ऑनलाइन उपस्थिति के बाद माध्यमिक शिक्षा विभाग में अब चल एवं अचल संपत्ति ब्यौरा दर्ज कराने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है.
स्कूल शिक्षा महानिदेशक ने प्रदेश के शिक्षकों एवं शिक्षणेत्तर कर्मियों का मानव संपदा पोर्टल पर चल एवं अचल संपत्ति का विवरण देने के निर्देश दिए हैं. इसे लेकर राजकीय शिक्षक संघ ने महानिदेशक से मांग की है कि पहले शिक्षकों को यह बताया जाए कि टीचर राज्य कर्मचारी की श्रेणी में आते हैं या नहीं. प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष विनय सिंह ने बताया कि शासन के अपर मुख्य सचिव शासन डॉ देवेश चुतर्वेदी के पत्र पर महानिदेशक ने समस्त अधिकारियों व कर्मचारियों को 31 जुलाई तक अपनी चल एवं अचल संपत्ति का ब्यौरा देने के निर्देश दिए हैं. शिक्षकों को मानव संपदा पोर्टल पर यह ब्यौरा दर्ज कराने के निर्देश मिले हैं.
विनय सिंह ने बताया कि प्रदेश के राजकीय शिक्षक व शिक्षिकाओं की एसीपी की मांग पर उन्हें राज्य कर्मचारी न मानते हुए उनकी मांग को खारिज कर दिया था. वहीं, अपर मुख्य सचिव शासन का पत्र सभी राज्य कर्मचारियों के लिए हैं. ऐसे में जब शिक्षक राजकीय कर्मचारी की श्रेणी में आते हैं या नहीं है तो संपत्ति का ब्यौरा कैसा? वहीं, शिक्षक के पास वेतन के अलावा अपना कोई अन्य इनकम सोर्स भी नहीं है. वहीं, संघ ने शिक्षक व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों से पहले माध्यमिक शिक्षा विभाग के प्रदेश, मंडल, जनपद स्तर के अधिकारियों व कार्यालय में तैनात कर्मचारियों से उनकी चल एवं अचल संपत्ति का ब्यौरा दर्ज कराने की बात कही है. तभी शिक्षक व शिक्षणेत्तर कर्मचारी अपनी संपत्ति का ब्यौरा देंगे.