कानपुर: एक ओर जहां उप्र क्रिकेट एसोसिएशन (यूपीसीए) की ओर से अगस्त के आखिरी हफ्ते में टी-20 लीग के दूसरे चरण की तैयारियां जोरों पर हैं, वहीं, यूपीसीए में फिर से घमासान की स्थिति बन आई है. दरअसल, कुछ दिन पहले ही जब लीग का खाका तैयार किया गया तो यूपीसीए ने पहली लीग में शामिल सेलेक्टर्स को हटा दिया.
सभी को बाहर करने के बाद फ्रेंचाइजी मालिकों को ही सपोर्टिंग स्टाफ रखने का अधिकार दे दिया गया. इससे सेलेक्टर्स अंदर ही अंदर बेहद नाराज हैं. वह दबी जुबान से अपना विरोध जता रहे हैं. सेलेक्टर्स की पीड़ा को ध्यान में रखते हुए यूपीसीए के कई पदाधिकारियों ने भी उन जिम्मेदारों के प्रति अपनी नाराजगी व्यक्त की है, जिन्होंने सेलेक्टर्स को हटाने का फैसला किया.
एपेक्स कमेटी की बैठक में सेलेक्टर्स को हटाने के फैसले पर नहीं हुई कोई बात: कुछ दिन पहले जब यूपीसीए की ओर से एपेक्स कमेटी की बैठक आयोजित की गई थी, तो उस बैठक में टी-20 लीग के दूसरे चरण को लेकर कई मुद्दों पर मंथन हुआ था. जब कार्यकारी अध्यक्ष के सामने सेलेक्टर्स को हटाने का जिक्र किया गया था, तो उनकी ओर से इस मामले में कोई रुचि नहीं ली गई थी.
फिर भी, अचानक ही कुछ जिम्मेदारों ने सेलेक्टर्स को हटाने का हैरानीभरा फैसला किया. यूपीसीए में ऐसा पहली बार नहीं हुआ, जब विरोध के सुर गूंज रहे हों. लगातार इस संस्था में पदाधिकारियों के दो गुट आपस में एक दूसरे पर आरोप लगाते रहे हैं. एपेक्स कमेटी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, कि सेलेक्टर्स पर ही खिलाड़ियों के चयन का जिम्मा होता है. अब, जब फ्रेंचाइजी मालिकों को ही यह अधिकार मिल जाएगा, तो वह इसमें मनमानी कर लेंगे, जो उचित नहीं है.
यूपीसीए के सीईओ अंकित चटर्जी ने बताया कि सेलेक्टर्स को हटाने का फैसला यूपीसीए के जिम्मेदार पदाधिकारियों ने लिया है. अब, सपोर्टिंग स्टाफ भी फ्रेंचाइजी मालिक खुद रख सकेंगे. टी-20 लीग के दूसरे चरण की तैयारियां जोरों पर हैं. अगस्त के आखिरी हफ्ते में लीग के मैच कराए जाएंगे. यूपी की कुल 6 टीमें टी-20 लीग में शामिल होंगी.
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