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क्या बिजली बिल की दरों में बढ़ोतरी करना चाहता है पावर कारपोरेशन?, नियामक आयोग को भेजे पत्र पर छिड़ी रार - Electricity Department Dispute

पावर कारपोरेशन के निदेशक वाणिज्य की तरफ से विद्युत नियामक आयोग को पत्र लिखा गया है. इसमें वर्ष 2024 -25 की बिजली दर को जारी करने के निर्देश हैं. इसे लेकर उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष ने अपनी नाराजगी जाहिर की है.

विद्युत नियामक आयोग को विरोध प्रस्ताव सौंपा गया है.
विद्युत नियामक आयोग को विरोध प्रस्ताव सौंपा गया है. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 26, 2024, 6:43 AM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने गुरुवार को विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार और सदस्य संजय कुमार सिंह से मुलाकात कर विरोध प्रस्ताव सौंपा. पावर कारपोरेशन की असंवैधानिक कार्रवाई का विरोध करते हुए कहा कि यह बहुत गंभीर मामला है. पावर कारपोरेशन के निदेशक वाणिज्य की तरफ से विद्युत नियामक आयोग को पत्र लिखकर वर्ष 2024 -25 की बिजली दर को जारी करने का निर्देश दिया जा रहा है, उन्हें क्या विद्युत नियामक आयोग का अधिकार नहीं पता है?, उन्हें शायद ये नहीं पता है कि विद्युत नियामक आयोग एक अर्ध न्यायिक स्वतंत्र संस्था है. उसके साथ इस प्रकार का पत्राचार संवैधानिक अधिकारों का हनन है. ऐसे में पावर कारपोरेशन प्रबंधन और निदेशक वाणिज्य के खिलाफ संवैधानिक परिपाटी का उल्लंघन करने के लिए विद्युत अधिनियम 2003 के प्रावधानों के तहत कठोर कार्रवाई की जाए.

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष ने कहा कि प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर 33122 करोड़ सरप्लस निकल रहा है तो देश का कोई ऐसा कानून नहीं है जो प्रदेश में विद्युत उपभोक्ताओं की बिजली दरों में बढ़ोतरी की इजाजत दे. पावर कारपोरेशन की तरफ से जारी पत्र जो नियामक आयोग को भेजा गया है वह जिस तिथि को भेजा गया उस 18 जुलाई को दक्षिणांचल में वार्षिक राजस्व आवश्यकता की सुनवाई हो रही थी.

ग्रेटर नोएडा सहित पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम की 20 जुलाई की सुनवाई शेष थी. ऐसे में पावर कारपोरेशन का यह पत्राचार पूरी तरह असंवैधानिक है. जहां तक सवाल है ईंधन अधिभार शुल्क के मामले में तो उसमें विद्युत नियामक आयोग ने भारत सरकार की गाइड लाइन के तहत आगे क्या कार्रवाई करना है, इसका निर्देश पहले ही दे चुका है. उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि सभी को पता है कि विद्युत नियामक आयोग एक संवैधानिक अर्धन्यायिक संस्था है. उसे कोई विद्युत वितरण कंपनी या पावर कारपोरेशन आदेश नहीं जारी कर सकता.

उन्होंने कहा कि विद्युत अधिनियम 2003 व मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन -2019 में स्पष्ट प्रावधानित है कि वार्षिक राजस्व आवश्यकता संबंधी याचिका स्वीकार करने के 120 दिन के अंदर जनता व हित धारकों से प्राप्त सुझाव और आपत्तियों को विचार करने के बाद आयोग टैरिफ आदेश निर्गत करेगा, लेकिन जिस प्रकार पावर कारपोरेशन असंवैधानिक दबाव बना रहा है उससे ऐसा लगता है कि वह बिजली दरों में बढ़ोतरी चाहता है. उसके लिए अपने तरीके से असंवैधानिक दबाव डालने पर आमादा है.

यह भी पढ़ें : बलिया वसूली मामले में योगी सरकार का बड़ा एक्शन; SP-ASP का ट्रांसफर, सीओ-थानेदार सस्पेंड, संपत्ति की होगी जांच


लखनऊ : उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने गुरुवार को विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार और सदस्य संजय कुमार सिंह से मुलाकात कर विरोध प्रस्ताव सौंपा. पावर कारपोरेशन की असंवैधानिक कार्रवाई का विरोध करते हुए कहा कि यह बहुत गंभीर मामला है. पावर कारपोरेशन के निदेशक वाणिज्य की तरफ से विद्युत नियामक आयोग को पत्र लिखकर वर्ष 2024 -25 की बिजली दर को जारी करने का निर्देश दिया जा रहा है, उन्हें क्या विद्युत नियामक आयोग का अधिकार नहीं पता है?, उन्हें शायद ये नहीं पता है कि विद्युत नियामक आयोग एक अर्ध न्यायिक स्वतंत्र संस्था है. उसके साथ इस प्रकार का पत्राचार संवैधानिक अधिकारों का हनन है. ऐसे में पावर कारपोरेशन प्रबंधन और निदेशक वाणिज्य के खिलाफ संवैधानिक परिपाटी का उल्लंघन करने के लिए विद्युत अधिनियम 2003 के प्रावधानों के तहत कठोर कार्रवाई की जाए.

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष ने कहा कि प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर 33122 करोड़ सरप्लस निकल रहा है तो देश का कोई ऐसा कानून नहीं है जो प्रदेश में विद्युत उपभोक्ताओं की बिजली दरों में बढ़ोतरी की इजाजत दे. पावर कारपोरेशन की तरफ से जारी पत्र जो नियामक आयोग को भेजा गया है वह जिस तिथि को भेजा गया उस 18 जुलाई को दक्षिणांचल में वार्षिक राजस्व आवश्यकता की सुनवाई हो रही थी.

ग्रेटर नोएडा सहित पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम की 20 जुलाई की सुनवाई शेष थी. ऐसे में पावर कारपोरेशन का यह पत्राचार पूरी तरह असंवैधानिक है. जहां तक सवाल है ईंधन अधिभार शुल्क के मामले में तो उसमें विद्युत नियामक आयोग ने भारत सरकार की गाइड लाइन के तहत आगे क्या कार्रवाई करना है, इसका निर्देश पहले ही दे चुका है. उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि सभी को पता है कि विद्युत नियामक आयोग एक संवैधानिक अर्धन्यायिक संस्था है. उसे कोई विद्युत वितरण कंपनी या पावर कारपोरेशन आदेश नहीं जारी कर सकता.

उन्होंने कहा कि विद्युत अधिनियम 2003 व मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन -2019 में स्पष्ट प्रावधानित है कि वार्षिक राजस्व आवश्यकता संबंधी याचिका स्वीकार करने के 120 दिन के अंदर जनता व हित धारकों से प्राप्त सुझाव और आपत्तियों को विचार करने के बाद आयोग टैरिफ आदेश निर्गत करेगा, लेकिन जिस प्रकार पावर कारपोरेशन असंवैधानिक दबाव बना रहा है उससे ऐसा लगता है कि वह बिजली दरों में बढ़ोतरी चाहता है. उसके लिए अपने तरीके से असंवैधानिक दबाव डालने पर आमादा है.

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