लखनऊ : अब भारतीय मरीजों के हिसाब से खून की जांचों का मानक तय किया जाएगा. अभी पश्चिमी देश के मानकों पर भारतीय मरीजों की जांच हो रही है. इसके लिए इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने देश के 16 सेंटर चुने हैं. केजीएमयू को नोडल सेंटर बनाया गया है. यह जानकारी केजीएमयू क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. अविनाश अग्रवाल ने दी. शुक्रवार को केजीएमयू के क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग (सीसीएम) की ओर से प्रिसिजेन मेडिसिन एंड इंटेंशिव केयर कान्फ्रेंस 2024 हुई.
अटल बिहारी वाजपेई साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में डॉ. अविनाश अग्रवाल ने बताया कि पैथोलॉजी विभाग से मिलकर प्रोजेक्ट पूरा किया जाएगा. डॉ. ने कहा कि भारतीय व पश्चिमी देशों का रहन-सहन, खान पान और भौगोलिक स्थितियां बिलकुल अलग हैं. व्यक्ति की लंबाई, वजन आदि में भी काफी फर्क है. ऐसी दशा में खून की जांच का मानक वैल्यू (रेफरेंस रेंज) एक जैसा नहीं होना चाहिए. डॉ. अविनाश ने कहा कि जांच रिपोर्ट ही इलाज की दिशा तय करती है. रिपोर्ट के आधार पर मरीज की दवा, डोज आदि तय की जाती है. किसी भी जांच की रेफरेंस वैल्यू तय करने के लिए एक बड़ी आबादी की जांच जरूरी है. आबादी की 10 फीसदी स्वस्थ लोगों की जांच के आधार पर कोई मानक तय किया जा सकता है.
गाइडलाइन के बजाए सेहत देखकर दें इलाज : लोहिया संस्थान में एनस्थीसिया विभाग के अध्यक्ष डॉ. पीके दास ने बताया कि आईसीयू व वेंटीलेटर पर भर्ती मरीज को गाइडलाइन के हिसाब से दवा देने से बचें. मरीज की सेहत व दूसरे पैरामीटर को देखकर इलाज देना अधिक हितकर होगा. इससे मरीजों की जिंदगी बचाना आसान होगी. क्योंकि प्रत्येक मरीज पर बीमारी अलग तरह से हमला करती है. लिहाजा इलाज एक जैसा नहीं दिया जा सकता है. कार्यक्रम में ऑर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर पद्म भूषण डॉ. बीके राव, डॉ. अरिन्दम कर ने जानकारी साझा की.
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