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अब ग्रामीणों से नल का किराया भी वसूलेगी यूपी सरकार, जल जीवन मिशन के तहत लेगी रुपए - UP Government Collect Tap Rent

Jal Jeevan Mission: जल जीवन मिशन को लेकर प्रमुख सचिवों की राष्ट्रीय सेमिनार के बाद इस मुद्दे पर आम सहमति बन चुकी है कि आने वाले समय में नलों का किराया ग्रामीणों से लिया जाए.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 18, 2024, 2:21 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार जल जीवन मिशन के तहत गांवों में लग रहे 2.63 करोड़ नलों के बदले में ग्रामीणों से किराया वसूलेगा. फिलहाल इसको लेकर खाका तैयार किया जा रहा है. 50 या ₹100 महीना लेकर लोगों को शुद्ध पेयजल की आपूर्ति जल जीवन मिशन करेगा.

इससे होने वाली आय का उपयोग योजना के रखरखाव को लेकर किया जाएगा. फिलहाल नलों को लगाने पाइपलाइन खींचने आदि के लिए केंद्र सरकार बजट दे रही है. मगर एक समय के बाद यह बजट नहीं मिलेगा. तब रखरखाव और अन्य व्यवस्थाओं के लिए बजट की आवश्यकता होगी.

Jal Jeevan Mission
Jal Jeevan Mission

जल जीवन मिशन को लेकर प्रमुख सचिवों की राष्ट्रीय सेमिनार के बाद इस मुद्दे पर आम सहमति बन चुकी है कि आने वाले समय में नलों का किराया ग्रामीणों से लिया जाए. वरना लंबे समय के लिए इस योजना को अस्तित्व में रखना मुश्किल हो जाएगा.

मगर मासिक किराया वसूलने से पहले लोगों को नल से जल की आदत पड़ना जरूरी होगा. 2019 से अब तक जल जीवन मिशन में विंध्य और बुंदेलखंड क्षेत्र में शत प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त किया जा चुका है. बाकी राज्य में भी धीरे-धीरे अधिकतर ग्रामीण घरों में नल कनेक्शन पहुंच चुके हैं.

Jal Jeevan Mission
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2.63 करोड़ के लक्ष्य के सापेक्ष 2 करोड़ से अधिक घरों में नल कनेक्शन दिए जा चुके हैं. केवल चार जिलों बलिया, फिरोजाबाद, आगरा और मथुरा में ही नलों का कनेक्शन देने का काम बचा हुआ है. जैसे-जैसे यह काम शत प्रतिशत की ओर जा रहा है, अधिकारियों के बीच में इस बात की चिंता बनी हुई है कि आगे क्या करना होगा.

योजना के रखरखाव का खर्च सालाना कम से कम 100 करोड रुपए उत्तर प्रदेश में होगा. ऐसे में अगर ₹40 प्रति कनेक्शन की दर से वसूली हो तो इस लक्ष्य को आसानी से प्राप्त किया जा सकता है. मगर ग्रामीण क्षेत्र में ₹40 प्रति माह की वसूली प्रत्येक घर से टेढ़ी खीर होगी.

Jal Jeevan Mission
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इसलिए लोगों के बीच में नल से पानी की आदत का पहला विस्तार किया जाएगा. उसके बाद में यूजर चार्ज की वसूली को लेकर सहमति बन रही है. नमामि गंगे एवं जल संरक्षण विभाग की राष्ट्रीय सचिव विनी महाजन का मानना है कि निश्चित तौर पर योजना को लंबे समय तक संचालित रखने के लिए लोगों के मन में यह एहसास कराना जरूरी है कि जो पानी उन्हें मिल रहा है उसकी एक कीमत है.

लगातार निशुल्क जल मिलाने से लोगों के मन में उसकी कीमत घट जाती है. इसलिए कुछ ना कुछ शुल्क लिया जाना जरूरी है. इसी शुल्क के जरिए भविष्य में रखरखाव की भी संभावना बढ़ेगी.

जल शक्ति मंत्रालय के केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी कहते हैं कि हमने शत प्रतिशत लक्ष्य जरूर प्राप्त कर लिया है. मगर, इस व्यवस्था को कायम रखने और भविष्य में यह योजना ऐसे ही चलती रहे इसके लिए जरूरी है कि लोगों से एक यूजर चार्ज वसूला जाए जिसका खाका हम तैयार कर रहे हैं.

ये भी पढ़ेंः यूपी के 20 लाख सरकारी कर्मचारियों को बड़ी खुशखबरी जल्द, योगी सरकार करने जा रही ये बड़ा ऐलान

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार जल जीवन मिशन के तहत गांवों में लग रहे 2.63 करोड़ नलों के बदले में ग्रामीणों से किराया वसूलेगा. फिलहाल इसको लेकर खाका तैयार किया जा रहा है. 50 या ₹100 महीना लेकर लोगों को शुद्ध पेयजल की आपूर्ति जल जीवन मिशन करेगा.

इससे होने वाली आय का उपयोग योजना के रखरखाव को लेकर किया जाएगा. फिलहाल नलों को लगाने पाइपलाइन खींचने आदि के लिए केंद्र सरकार बजट दे रही है. मगर एक समय के बाद यह बजट नहीं मिलेगा. तब रखरखाव और अन्य व्यवस्थाओं के लिए बजट की आवश्यकता होगी.

Jal Jeevan Mission
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जल जीवन मिशन को लेकर प्रमुख सचिवों की राष्ट्रीय सेमिनार के बाद इस मुद्दे पर आम सहमति बन चुकी है कि आने वाले समय में नलों का किराया ग्रामीणों से लिया जाए. वरना लंबे समय के लिए इस योजना को अस्तित्व में रखना मुश्किल हो जाएगा.

मगर मासिक किराया वसूलने से पहले लोगों को नल से जल की आदत पड़ना जरूरी होगा. 2019 से अब तक जल जीवन मिशन में विंध्य और बुंदेलखंड क्षेत्र में शत प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त किया जा चुका है. बाकी राज्य में भी धीरे-धीरे अधिकतर ग्रामीण घरों में नल कनेक्शन पहुंच चुके हैं.

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Jal Jeevan Mission

2.63 करोड़ के लक्ष्य के सापेक्ष 2 करोड़ से अधिक घरों में नल कनेक्शन दिए जा चुके हैं. केवल चार जिलों बलिया, फिरोजाबाद, आगरा और मथुरा में ही नलों का कनेक्शन देने का काम बचा हुआ है. जैसे-जैसे यह काम शत प्रतिशत की ओर जा रहा है, अधिकारियों के बीच में इस बात की चिंता बनी हुई है कि आगे क्या करना होगा.

योजना के रखरखाव का खर्च सालाना कम से कम 100 करोड रुपए उत्तर प्रदेश में होगा. ऐसे में अगर ₹40 प्रति कनेक्शन की दर से वसूली हो तो इस लक्ष्य को आसानी से प्राप्त किया जा सकता है. मगर ग्रामीण क्षेत्र में ₹40 प्रति माह की वसूली प्रत्येक घर से टेढ़ी खीर होगी.

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इसलिए लोगों के बीच में नल से पानी की आदत का पहला विस्तार किया जाएगा. उसके बाद में यूजर चार्ज की वसूली को लेकर सहमति बन रही है. नमामि गंगे एवं जल संरक्षण विभाग की राष्ट्रीय सचिव विनी महाजन का मानना है कि निश्चित तौर पर योजना को लंबे समय तक संचालित रखने के लिए लोगों के मन में यह एहसास कराना जरूरी है कि जो पानी उन्हें मिल रहा है उसकी एक कीमत है.

लगातार निशुल्क जल मिलाने से लोगों के मन में उसकी कीमत घट जाती है. इसलिए कुछ ना कुछ शुल्क लिया जाना जरूरी है. इसी शुल्क के जरिए भविष्य में रखरखाव की भी संभावना बढ़ेगी.

जल शक्ति मंत्रालय के केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी कहते हैं कि हमने शत प्रतिशत लक्ष्य जरूर प्राप्त कर लिया है. मगर, इस व्यवस्था को कायम रखने और भविष्य में यह योजना ऐसे ही चलती रहे इसके लिए जरूरी है कि लोगों से एक यूजर चार्ज वसूला जाए जिसका खाका हम तैयार कर रहे हैं.

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