बस्ती/गोरखपुर: उत्तर प्रदेश पिछले 3-4 दिन से हो रही मूसलाधार बारिश और पड़ोसी राज्यों के बांध से छोड़े जा रहे पानी की वजह से नदियां उफान पर हैं. बस्ती और गोरखपुर में सरयू और घाघरा नदियां उफान पर हैं. बस्ती में तो सरयू नदी ने कटान शुरू कर दिया है. इसमें कई मकान ढह गए हैं. बस्ती के 7 गांव में बाढ़ का पानी घुस गया है. करीब 2000 ग्रामीण प्रभावित हैं. वहीं गोरखपुर में 42 गांव में बाढ़ का पानी घुस गया है.
बस्ती के 7 गांवों पर खतरा: बता दें कि बस्ती जिले के विक्रमजोत विकास क्षेत्र में 1971 से अब तक सरयू की धारा में 43 गांव समा चुके हैं. अब 7 गांवों पर खतरा मंडरा रहा है. नदी कल्याणपुर, भरथापुर, पड़ाव, चांदपुर, संदलपुर, कन्हईपुर, खेमराजपुर गांवों से सटकर बह रही है. जिससे खतरा बढ़ता जा रहा है. लोग रातभर जागकर निगरानी कर रहे हैं और कुछ तो अपने घरों को तोड़कर समान के साथ पलायन कर चुके हैं.
नदी में समा चुके गांवों से जुड़े तमाम लोग दूसरी जगह बस गए हैं. कुछ बाढ़ पीड़ितों का गुजर बसर झुग्गी- झोपड़ियों में हो रहा है. इनकी पीड़ा यह भी है कि जहां रहते हैं, वहां के नागरिक न होने से सरकारी अभिलेखों में स्थायी पता देने में दिक्कत होती है.
सरयू नदी के कटान से ग्रामीण परेशान: कुदरहा ब्लॉक के मदरहवा पुरवा से मईपुर बड़का पुरवा तक सरयू नदी लगभग 1700 मीटर की लंबाई और गोलाई में बढ़ रही है. बाढ़ खंड विभाग द्वारा मदरहवा पुरवा में बचाव कार्य लगातार जारी है. नदी नीचे की तरफ कटान कर रही है, जिससे ग्रामीण परेशान हैं.
अपना मकान खुद तोड़कर मलबा सुरक्षित स्थान पर ले जा रहे ग्रामीण: मईपुर बड़का पुरवा के ग्रामीण कटान के चलते अपना खुद तोड़ रहे और बचे मलबे को सुरक्षित स्थान पर लेकर जाने का प्रयास कर रहे हैं. अब तक 6 से अधिक लोग अपना मकान या तो खुद तोड़ दिए या वे नदी में समा गए हैं. सरयू नदी का जलस्तर घट रहा है और कुदरहा ब्लॉक के महुआपार कला और बैड़ारी एहतमाली के मदरहवा व मईपुर बड़का पुरवा में कटान रुकने का नाम नहीं ले रही है.
बाढ़ खंड विभाग द्वारा एक सप्ताह से बचाव कार्य किया जा रहा है. उसके बाद भी नदी बचाव वाले ही स्थान पर 30 मीटर कटान कर चुकी है. हालात इतने भयावह हैं कि तटवर्ती इलाकों में रहने वाले लोग अब अपने सम्बन्धियों के घर शरण ले चुके हैं.
बस्ती में घाघरा नदी भी कहर ढा रही: बस्ती में घाघरा नदी भी इस वक्त कहर ढा रही है. नदी का जल स्तर अचानक बढ़ने की वजह से कटान तेज हो गया है. घाघरा नदी इस समय खतरे के निशान से 0.09 मीटर ऊपर बह रही है. नदी में अचानक 2.25 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने की वजह से नदी का जल स्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है.
जिसकी वजह से नदी तेजी से कटान करने लगी है. नदी के कटान की दहशत का आलम यह है की लोग अपने आशियाने को जेसीबी लगा कर तोड़ रहे हैं और घर का ईंट, दरवाजा और सामान सुरक्षित जगहों पर शिफ्ट कर रहे हैं. अपने घर को तोड़ कर सुरक्षित जगहों पर पलायन कर जाने को मजबूर हैं.
हजारों बीघा जमीन कटान के कारण नदी में समाई: नदी के कटान में बड़े-बड़े पेड़ तिनके की तरह बह रहे हैं. नदी का कटान जमीन का सीना चीर कर अपने आगोश में ले रही है. नदी कटान करते हुए अब आबादी के बिल्कुल करीब पहुंच चुकी है, जिसकी वजह से लोग अपने घरों को तोड़ कर समान ले जा रहे हैं, ताकि उनका घर नदी की कटान में विलीन न हो जाए.
बस्ती सदर तहसील के कलवारी रामपुर तटबंध के किनारे बसे मईपुर, बदलापुरवा, महुआपार कला के मदरहवा गांव पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं, घाघरा नदी कटान करते हुए गांव के दहलीज पर दस्तक दे चुकी है, कटान करते हुए घर बड़े बड़े पेड़ों को ताश के पत्ते की तरह बहा ले जा रही है.
नदी गांवों के करीब पहुंची: अब नदी गांव के घरों के बिल्कुल करीब पहुंच चुकी है, गांव वालों को डर सता रहा है की कहीं उनका घर नदी में न समा जाए, इसलिए अपने घरों को जेसीबी लगा कर तोड़ रहे हैं और सारा समान सुरक्षित जगहों पर पहुंचा रहे हैं, गांव वालों का आरोप है की जिला प्रशासन और बाढ़ खंड कटान को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा हैं.
गांव वालों में लगातार रोष बढ़ता जा रहा है. गांव वालों ने रामजानकी मार्ग को जाम कर कटान से बचाने की प्रशासन से गुहार लगाई. बाढ़ की वजह से जहां हजारों बीघा फसल बर्बाद हो गई वहीं अब बाढ़ का पानी घटने की वजह से कटान तेज हो गया है, जिसकी वजह से जमीन कट कर नदी में विलीन हो चुकी है.
डीएम रवीश गुप्ता ने बताया की नदी का जल स्तर घटने और बढ़ने की वजह से इस समय कटान तेज हो गया है. कटान करते हुए नदी मईपुर गांव के समीप पहुंच गई है. कटान की वजह से जिनके आवास प्रभावित हुए हैं, उनको बाढ़ शरणालय में तत्काल भेजा गया है, राशन वितरण कराया गया है. जिनके आवास प्रभावित हुए हैं, उनको आवासीय पट्टा दिया जा रहा है.
बाढ़ खंड के अधिकारियों का कहना है की बाढ़ के समय में तकनीकी रूप से व्यापक कार्य नहीं किया जा सकता. बाढ़ रोकने का व्यापक काम सूखे मौसम में किया जाता है. इलाके में ड्रेजिंग कराई गई थी. उसके बाद भी कटान हो रहा है. बाढ़ खंड को निर्देश दिया गया है कि लोगों को राहत देने के लिए तात्कालिक रूप से जो छोटे काम किए जा सकते हैं उसको करें, ताकि कटान को रोका जा सके.
बस्ती में 1970 से शुरू हुई सरयू की विनाश लीला: बता दें कि सरयू की विनाश लीला 1970 में तब शुरू हुई जब अयोध्या में पुल का निर्माण हुआ. तभी से नदी की धारा बदलने लगी. नदी के तटवर्ती इलाके के एक-एक कर गांव नदी की धारा में समाहित हो गए. इसमें से अधिकतर गांवों का नाम मानचित्र से भी गायब हो चुके हैं. वर्तमान पीढ़ी अपने गांवों का नाम भी भूल चुकी है. इनका उल्लेख सिर्फ सरकारी अभिलेखों में ही मिल पाता है.
गोरखपुर के 42 गांवों में आफत: गोरखपुर में बेसमय आ चुकी बाढ़ जिले के 42 गांव के लोगों के लिए आफत बन गई है. जिले का दक्षिणांचल हिस्सा इससे खासा प्रभावित हुआ है. सरयू, राप्ती और घाघरा नदी के जलस्तर में वृद्धि के कारण यह गांव बाढ़ की चपेट में आए हैं.
बड़हलगंज में घाघरा नदी के किनारे बना मुक्तिपथ शवदाह गृह पानी में डूब चुका है. जिससे लोगों को अंत्येष्टि के लिए समस्या उत्पन्न हो रही है. बाढ़ की चपेट में आए लोग जहां नाव के सहारे अपने बचाव का उपाय कर रहे हैं, वहीं यह जल प्रलय लोगों को बड़ी आर्थिक क्षति भी पहुंचा रहा है.
आपदा प्रबंधन विभाग के साथ जिला प्रशासन लोगों को नाव, खाद्य सामग्री आदि मुहैया कराने का प्रयास कर रहा है, लेकिन बाढ़ जिस तरह से लोगों को नुकसान पहुंचा रही है. उससे वह कई वर्ष विकास में पीछे चले गए हैं. उनके पशु भी सड़कों के किनारे सुरक्षित किए गए हैं जिन्हें बचाए जाने के लिए करीब बीस हजार कुंतल से अधिक भूसा का भी वितरण आपदा प्रबंधन विभाग की तरफ से किया गया है.
उन्नाव में खतरे के निशान से ऊपर बह रही गंगा: उन्नाव में शुक्रवार की सुबह गंगा नदी चेतावनी बिंदु 112 मीटर पर पहुंच गई है. गंगा अब चेतावनी बिंदु पार कर खतरे के निशान की ओर बढ़ने लगी है. गंगा का बढ़ता जलस्तर देख जिला प्रशासन सतर्क हो गया है. लोगों को सुरक्षित स्थान पर जाने के लिए कहने लगे हैं. प्रशासन ने गोताखोरों को भी एक्टिव कर दिया है. किसी भी अनहोनी से निपटने के लिए जिला प्रशासन अपनी तैयारी को अंतिम रूप देने में जुट गया है.
उन्नाव के गंगा घाट कोतवाली क्षेत्र में स्थित गोताखोर मोहल्ला मोहम्मद नगर मोहल्ला शाही नगर मोहल्ला कर्बला आदि मोहल्ले में कई मकान बाढ़ के पानी से गिर गए हैं. यहां के लोग नाव से आवागमन कर रहे हैं. गंगा किनारे बसे मनोहर नगर सीताराम कॉलोनी बालू घाट, शक्ति नगर, इंदिरा नगर,गंगानगर,रविदास नगर आदि मोहल्ले में खलबली मची हुई है.
इन मोहल्लों में रहने वालों लोगों ने ऊपर की मंजिलों और छत पर रहना शुरू कर दिया है. अपर जिलाधिकारी नरेंद्र सिंह ने बताया कि गंगा के जल स्तर को देखते हुए जिला प्रशासन ने बाढ़ चौकिया को एक्टिव कर दिया है. जहां पर पानी बढ़ रहा है वहां के लोगों को सुरक्षित स्थान पर भेजा जा रहा है.
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