लखनऊ: उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी ने चुनाव आयोग को एक ज्ञापन देते हुए विरोध जताया था. इसमें सपा ने मांग की थी कि मतदान के दौरान पुलिसकर्मियों द्वारा मतदाताओं की पहचान करने और मुस्लिम महिलाओं के नकाब हटाने जैसी प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए. इस पर आयोग ने अपनी बात स्पष्ट की है.
सपा का कहना है कि लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान पुलिसकर्मियों ने मतदाताओं, विशेषकर मुस्लिम महिलाओं को पहचान के बहाने भयभीत किया. आरोप लगाया कि महिलाओं को नकाब हटाने की प्रक्रिया से गुजरना पड़ा, जिससे वे असहज महसूस कर रही थीं. सपा ने दावा किया कि इससे सपा समर्थक मतदाता हतोत्साहित हुए और कई बिना मतदान किए लौट गए, जिससे मतदान प्रतिशत में गिरावट दर्ज हुई.
चुनाव आयोग का स्पष्टीकरण : चुनाव आयोग ने इस पर जवाब देते हुए स्पष्ट किया कि मतदान प्रक्रिया में मतदाताओं की पहचान का कार्य केवल पीठासीन अधिकारी और उनकी टीम द्वारा किया जाता है. "हैंडबुक फॉर रिटर्निंग ऑफिसर, 2023" के प्रस्तर 13.28 में इस विषय पर विस्तृत प्रावधान दिए गए हैं. पुलिस बल का कार्य सिर्फ शांति व्यवस्था बनाए रखना है, न कि मतदाताओं की पहचान करना. आयोग ने यह भी कहा है कि महिलाओं, खासकर पर्दानशीं महिलाओं की पहचान के लिए हैंडबुक के प्रस्तर 3.4.1 के तहत विशेष प्रावधान किए गए हैं. इन प्रावधानों के तहत महिला कर्मचारियों की तैनाती की जाती है, ताकि उनकी पहचान की प्रक्रिया में कोई असुविधा न हो.
निर्देशों का पालन अनिवार्य: चुनाव आयोग ने सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया है कि मतदान के दिन कानून और प्रक्रिया का सख्ती से पालन हो. पुलिसकर्मी केवल शांति व्यवस्था बनाए रखें और मतदाता पहचान की जिम्मेदारी चुनाव आयोग के अधिकारियों पर ही रहे. वहीं सपा ने इससे चुनाव प्रभावित होने की आशंका जताई है. कहा है कि यदि इस बार भी ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न होती हैं तो यह चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है.
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